
अग्निसूक्त पाठ एवं हवनसूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: ₹ 12000
12000
₹ 10800
पूजा विवरण
ऋग्वेद में लगभग 200 सूक्तों के द्वारा अग्निदेव का स्तवन किया गया है। अग्निसूक्त के ऋषि मधुच्छन्दा , छन्द गायत्री तथा देवता अग्नि हैं। ऋग्वेद के प्रारम्भ में हीं अग्निसूक्त विद्यमान है , इसी आधार पर कहा जा सकता है, कि अग्निसूक्त प्राणियों के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण एवं उपादेय है। तत् तत् देवताओं को हविष्यान्न प्राप्त कराने वाले ये अद्भुत देव हैं। अतएव अग्नि देव को समस्त देवताओं का मुख बताया गया है। सभी देवों में प्रथम स्थान अग्नि का ही है। मनुष्यों का ही नहीं अपितु देवताओं का भी उपकारक अग्निदेव को माना गया है, ऋग्वेद के अतिरिक्त सामवेद में भी अग्नि देव की स्तुति की गयी है। महान ओजस्वी अग्निको ही यज्ञ का पालक माना गया है। अग्निके अनेक भेद तत् तत् कर्मानुसार उपनिषदों में वर्णित है।
Benefit
अग्निसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-
- आग्नितत्व के द्वारा ही देवता (इन्द्रियां) शरीर में प्रतिष्ठित रहती हैं।
- शरीर से अग्नि के निकल जाने पर सभी देव शरीर का परित्याग कर देते हैं।
- पुष्टि एवं बल प्राप्ति हेतु अग्निसूक्त का अत्यन्त उपादेय है।
- अग्निदेव को ही यश एवं धन की वृद्धि करने वाला कहा जाता है।
- अग्निदेव की कृपा प्राप्त होने पर सभी देवों की कृपा स्वयमेव प्राप्त होती है।
- समस्त यज्ञ अग्नि पर ही आधारित हैं एवं समस्त यज्ञों के रक्षक अग्निदेव ही हैं।
- पृथ्वी पर ये प्रत्यक्ष देवता हैं।
- अग्नि की उपासना से सुन्दर सन्तति (पुत्र एवं पुत्री) की प्राप्ति होती है।
- सुख एवं समृद्धि को बढाने वाले अग्निदेव ही हैं।
- व्यक्ति के शरीर में तेज का संचार अग्नि सूक्त के विधिवत् पारायण से होता है।
- दुष्ट एवं दुराचारी शत्रुओं का नाश करने वाला यह सूक्त है
Process
अग्निसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पंचभूसंस्कार
- अग्नि स्थापन
- ब्रह्मा वरण
- कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति
- मूलमन्त्र आहुति
- चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति
- स्विष्टकृत आहुति
- पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन
- मार्जन
- पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक
- मार्जन
- बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन आदि
Puja samagri :-
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- जौ,चावल
- कमलगट्टा, पंचमेवा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला
- पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 11
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि,गोबर