बुध ग्रह

बुध ग्रहनवग्रह शान्ति विधान | Duration : 4 Hours 45 minute

Price Range: 15000

15000 ₹ 13500

पूजा विवरण

  संसार के समस्त चराचर प्राणियों पर नवग्रहों का प्रभाव रहता ही है । अथर्ववेद के अनुसार नवग्रहों में बुध अत्रिगोत्रीय एवं मगधदेश के स्वामी हैं । ये चार हाथों में ढाल, गदा, वर, और खड्ग धारण करते हैं । बुधग्रह पीले रंग की पुष्पमाला तथा पीत वस्त्र धारण करते हैं । इनके शरीर की कान्ति कनेर के पुष्प के समान है । इनकी बड़ी ही सौम्यमूर्ति है । यह सिंह पर विराजमान रहते हैं । इनके आधिदेवता नारायण और प्रत्यधिदेवता विष्णु हैं । बुध के पिता का नाम चन्द्रमा तथा माता का नाम तारा है । ब्रह्माजी ने बुद्धि की गम्भीरता के कारण इनका नाम बुध रखा ।
श्रीमद्भागवत के अनुसार ये सभी शास्त्रों में पारङ्गत तथा चन्द्रमा के समान ही कान्तिमान् हैं । मत्स्यपुराण के अनुसार इनको सर्वाधिक योग्य जानकर ब्रह्माजी ने इन्हें भूतल का स्वामी तथा ग्रह बना दिया । महाभारत की कथा के अनुसार इनकी विद्या तथा बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने अपनी गुणवती कन्या इला का इनके साथ विवाह किया । इला और बुध के संयोग से महाराज पुरुरवा की उत्पत्ति हुई ।  इस तरह चन्द्रवंश का विस्तार हुआ । बुधग्रह के प्रभाव से जातक की वाणी, विद्या और बुद्धि का मुख्य रूप से विचार किया जाता है । बुधग्रह मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं तथा विंशोत्तरी दशा के अनुसार इनकी महादशा सत्तरह वर्ष की होती है । बुधग्रह मन की विभिन्न क्षमताओं से सूक्ष्मरूप से जुड़ा है । यदि किसी जन्मपत्रिका में बुध पापग्रह से युक्त अथवा पापग्रह के द्वारा दृष्ट हो तो ऐसे व्यक्ति में भ्रम एवं सशंकित रहने की आदत होती है अर्थात् उसे कई बार स्वयं पर भी भरोसा नहीं होता है । जिस जातक की जन्मपत्रिका में बुध ग्रह प्रतिकूल अवस्था में हो तो उस जातक का पढ़ने में मन नहीं लगता अथवा पढ़ने में कमजोर रहता है और उसकी वाणी में ओजस्विता नहीं होती है । बुधग्रह के प्रतिकूल होने पर व्यक्ति में तुतलाने की आदत, स्वरभङ्ग , वाणी में दोष जैसे - ओष्ठ, तालु , जिह्वा आदि स्वर यन्त्रों में खराबी देखी जाती है । जिस जन्म कुण्डली में बुधग्रह कमजोर अवस्था में हो । ऐसे जातक प्रायः बोलने में असमर्थ और यदि अन्य ग्रह भी प्रतिकूल हों तो मूक भी देखने को मिलते हैं ।

Benefit

बुधग्रह के मन्त्रजप का माहात्म्य :-

  • यदि जातक की जन्मपत्रिका में बुध ग्रह पापग्रह से युक्त हो अथवा पापग्रह के द्वारा दृष्ट हो तो बुधग्रह की शान्ति अवश्य करवानी चाहिए ।
  • जिस व्यक्ति का बुध अनुकूल रहता है वह जातक पढ़ने में बहुत अच्छा रहता है ।
  • उसकी वाणी ओजपूर्ण होती है एवं उसमें गम्भीरता रहती है तथा उसकी बात सुनने को लोग लालायित रहते हैं  ।
  • बुध ग्रह के अनुकूल हो जाने पर इनसे जनित रोगों का शमन हो जाता है ।
  • बुध ग्रह की अनुकूलता से व्यक्ति की बात बहुत ध्यान से सुनी जाती है ।
  • योग्य विद्वान् ब्राह्मणों के द्वारा ही इस प्रकार के अनुष्ठान करवाने चाहिए यदि अशास्त्रीय विधि से अनुष्ठान किया जाता है तो उसकी सम्पूर्ण क्रियाएं निष्फल हो जाती हैं । इसीलिए अनुष्ठान की सफलता हेतु योग्य ब्राह्मणों का चयन बहुत ही आवश्यक है जिससे सङ्कल्पित कार्य की सिद्धि प्राप्त हो सके ।
  • बुध ग्रह की शान्ति के लिए प्रत्येक अमावस्या अथवा बुधवार को व्रत करना चाहिए ।
  • पन्ना रत्न धारण करने से भी बुध ग्रह की अनुकूलता प्राप्त होती है ।
  • शास्त्रों में बुध ग्रह की शान्ति अनुष्ठान में इनकी मन्त्र जपसंख्या 9000 बताई गई है ।
  • मंत्र जप करने या कराने से पूर्व  किसी कुंडली विशेषज्ञ को कुंडली जरूर दिखाएं।
  • इस अनुष्ठान में हरे वस्त्र, मूंग की दाल, पन्ना, धार्मिक ग्रन्थ, फल तथा घी इत्यादि का दान करना चाहिए ।

Process

बुधग्रह के मन्त्रजप में होने वाले प्रयोग  या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान,  प्रधान देवता पूजन
  14.  मन्त्रजप विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Puja samagri :-

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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महीने की विशेष पूजा