सूर्यसूक्त  पाठ एवं हवन

सूर्यसूक्त पाठ एवं हवनसूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours

Price Range: 11000

11000 ₹ 9900

पूजा विवरण

       यह सूक्त ऋग्वेद में उपलब्ध है। सूर्यसूक्त के ऋषि कुत्स -आङ्गिरस ,देवता सूर्य तथा त्रिष्टुप् छन्द है। भगवान् सूर्य, नारायण स्वरूप से हीं जगत् में विद्यमान हैं। चराचर समस्त जीवों के रक्षक, भुवन को प्रकाशित करने वाले भगवान् सूर्य जीव मात्र के नेत्र हैं। इनको स्थावर जङ्ग‌मात्मक समस्त विश्व का आत्मा कहा जाता है। प्राणियों की बुद्धि को प्रकाशित करने के साथ ही जीव मात्र को शुभ कर्मों की ओर प्रेरित करने वाले हैं। मानव जीवन में सूर्योपासना महत्वपूर्ण उपासनाओं के अन्तर्गत् है। भगवान् सूर्य को अर्घ्य प्रदान मात्र से सद्बुद्धि एवं सद्वृत्ति की प्राप्ति होती है, तो सूर्यसूक्त से सूर्योपासना का तो अपरिमित माहात्म्य है।

       भगवान् सूर्य परम आभा सम्पन्न उषा देवी का अनुगमन करते हैं। अपने उदय काल में ही प्राणी मात्र को कर्तव्य पथ पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

Benefit

सूर्यसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  • पंच देवों में सूर्यनारायण की उपासना पूर्ण ब्रह्म के रूप में की जाती है। 
  • असाध्य रोगों की मुक्ति हेतु सूर्य सूक्त की उपासना अत्यन्त उपादेय है।      
  •  "आरोग्यं भाष्करादिच्छेत् " अर्थात् आरोग्य प्राप्ति हेतु भगवान् सूर्य की उपासना अत्यन्त महत्वपूर्ण है।       
  • सूर्य किरणों के सेवन से अनेक रोगों की निवृत्ति होती है। 
  •  ब्रह्मतेज की कामना वाले पुरुष को अवश्यमेव सूर्यसूक्त का पाठ विद्वान् ब्राह्मणों से कराना चाहिए।
  • सूर्यसूक्त के द्वारा सूर्योपासना से आयु की वृद्धि होती है।  
  •  सूर्य की किरणें ब्रह्मज्योति स्वरूपा  होती हैं।
  • सूर्योपासक उच्च लोकों को प्राप्त करता है।
  • सूर्योपासना से कर्तव्य पथ से विमुख मनुष्यों को पुनः कर्तव्य का बोध स्वीकार कर अपने सत्कर्म में युक्त होते हैं।
  • पति पत्नी में परस्पर प्रेम की वृद्धि करने वाले भगवान् भुवन भास्कर हैं।
  •  भगवान् सूर्य अपने किरण मण्डल के द्वारा समस्त भुवन में व्याप्त हो जाते हैं। जैसे यह देव निरन्तर अपने मार्ग पर ही चलते हैं, उसी प्रकार सूर्योपासक भी अपने कर्तव्यपथ पर आरूढ़ हो जाता है।
  •  भगवान सूर्य की रश्मियाँ रसभोजी मानी गयीं हैं। अत: इनकी उपासना से समस्त रस साधक को सुलभ होते हैं।
  • पापकृत्य दुःख, एवं दारिद्र्य से भगवान् सूर्य रक्षा करते हैं।
  •  इस सूक्त की उपासना अक्षय यश को प्राप्त कराती है।
  •  नेत्ररोग निवारण के लिए भी सूर्यसूक्त द्वारा सूर्य अर्चना करायी जाती है।

Process

सूर्यसूक्त पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि

Puja samagri :-

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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