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श्री सूक्त (लक्ष्मी सूक्त) पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 12000
About Puja

        सनातन मतावलम्बियों में ऐसा कौन होगा, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के मूल कारण भगवान् नारायण की शक्ति, नित्यसङ्गिनी अर्धाङ्गिनी भगवती महालक्ष्मी (श्री) से परिचित नही हो। समस्त शक्तियों के मूल में भगवती महालक्ष्मी ही हैं , ये सर्वोत्तम पराशक्ति हैं। इनका स्वरूप दो रूपों में दृष्टिगत् होता है, श्रीरूप एवं लक्ष्मी रूप । दोनों ही रूपों में ये नारायण की पत्नी हैं। महालक्ष्मी उपासना के द्वारा व्यक्ति समस्त वैभवों से सम्पन्न हो जाता है। भगवती महालक्ष्मी चल एवं अचल, दृश्य एवं अदृश्य सभी सम्पत्तियों की अधिष्ठात्री तथा सिद्धियों एवं निधियों की प्रदायिनी हैं। महालक्ष्मी के विभिन्न नामों से अङ्ग पूजन एवं विभिन्न दिशाओं में अष्ट सिद्धियों का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही अष्ठ प्रकार की लक्ष्मी का विशेष रुप है, जिसका नाम है- आद्यलक्ष्मी,विद्यालक्ष्मी,सौभाग्य लक्ष्मी,अमृतलक्ष्मी,कामलक्ष्मी,सत्यलक्ष्मी,भोगलक्ष्मी और योगलक्ष्मी।  इनकी भी अलग अलग विशेष रूप से उपासना की परम्परा है। भगवती लक्ष्मी कमलवन में निवास करती हैं,कमल पर आसन लगाती हैं और हाथ में कमल ही धारण करती हैं। माता लक्ष्मी को कमलपुष्प अत्यन्त प्रिय हैं।

Benefits

श्रीसूक्त (लक्ष्मी सूक्त)  पाठ एवं हवन का  माहात्म्य:-

  • शास्त्रविधि का अनुसरण कर पाठ कराने से आर्थिक व मानसिक दरिद्रता दूर होती है।   
  • विधि निषेध पूर्वक अर्चना से  कीर्ति के साथ धन और यश  की प्राप्ति होती है।
  • विद्यालक्ष्मी की विशेष पूजा से  विद्यार्थियों की बुद्धि एवं प्रतिभा का विस्तार होता है।
  • सौभाग्यलक्ष्मी की उपासना से माताओं का सुहाग  अटल रहता है और वह स्त्री  सदा सौभाग्यशालीनी रहती है।   
  •  श्रीसूक्त के द्वारा दुष्टों का दमन, कुत्सित विचारों का निरसन तथा जीवन में सदा  मङ्गल होता है। 
  • भगवती लक्ष्मी के उपासना से  कामनानुसार  पुष्कल धन,  उत्तम गौएँ अश्व और पुत्र  आदि की प्राप्ति होती है।
  • लक्ष्मी (धन) की कामना वालों को पवित्र एवं संयमशील  होकर  विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा श्रीसूक्त का पाठ एवं हवन कराना चाहिए  जिससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन वैभव की वृद्धि  करती है।
  • अलक्ष्मी (दरिद्रता) और असमृद्धि का सर्वथा निरसन होता है।
Process

श्री सूक्त (लक्ष्मी सूक्त)   पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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