दिवाली 2023: पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व

दिवाली 2023: पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व

दिवाली एक महत्वपूर्ण महापर्व है, जिससे लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ दीप जलाकर मनाया जाता है। दिवाली का पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के आता है, लेकिन इस वर्ष अमावस्या को लेकर लोगों के मन में थोड़ा सा संकोच है, क्योंकि अमावस्या का मुहूर्त 2 दिन तक चल रहा है।

दिवाली 2023  शुभ मुहूर्त

अमावस्या का मुहूर्त 12 नवंबर दोपहर 2.44 से शुरू होकर 13 नवंबर 2.56 को समाप्त हो रहा है, इसलिए लोगों के मन में प्रश्न है कि दिवाली 12 को मनाई जाए या 13 को। दिवाली की पूजा अमावस्या की रात प्रदोष काल में की जाता है और वैदिक आयार्च के अनुसार प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर सायं 5.40 से सायं 7.36 तक है।

दिवाली के दिन इसलिए की जाती है माता लक्ष्मी जी की पूजा

विष्णु पुराण के अनुसार, सतयुग में जब असुरों और देवताओं के बीच अमृत के लिए समुद्र मन्थन चल रहा था तो इस दौरान कार्तिक मास की अमावस्या यानि कि दिवाली के दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी जी की उत्पत्ति हुई थी। माता लक्ष्मी जी को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए दिवाली के दिन माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है।  चूंकि माता लक्ष्मी जी भगवान शिव के छोटे पुत्र को अपना दत्तक पुत्र मानती हैं, इसलिए दिवाली के दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की भी पूजा की जाती है।

मां लक्ष्मी क्षीरसागर में करती हैं वास

मां लक्ष्मी जब धरती पर प्रकट हुईं तो उनके हाथों में कमल पुष्प की माला थी और पूरी प्रकृति उनके तेज से जगमगा उठी. देवता, दैत्य और मनुष्य सब मां लक्ष्मी को देख मोहित हो गए, लेकिन मां लक्ष्मी को इनमें से कोई भी योग्य वर नहीं मिला, तब उन्होंने भगवान विष्णु के गुणों को देख उन्हें पाने के लिए घोर तप किया. अंतत: मां लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से हुआ. तब से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का निवास स्थान क्षीरसारग बना और वह कमल पुष्प पर वास करते हैं, इसलिए मां लक्ष्मी जी को कमल पुष्पों की माला अर्पित करनी चाहिए.

माता लक्ष्मी के साथ क्यों होती है भगवान गणेश जी की पूजा?

माता लक्ष्मी जी को चल माना जाता है, यानि कि वह एक जगह पर स्थिर नहीं रह सकती हैं। लेकिन माता और पुत्र के प्रेम में ऋषि, देवता या मनुष्य कोई भी हो, जब मां के पास होते हैं तो, न मां अपने पुत्र से दूर जाना चाहती है और न ही पुत्र। इसलिए पुत्र मोह में माता लक्ष्मी भगवान गणेश के पास ही रहती हैं। यही कारण है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी जी को अपने घरों में बुलाने के लिए शुभ लाभ के देवता भगवान गणेश जी की भी पूजा की जाती है, ताकि माता लक्ष्मी जी हमारे सारे दुखों का नाश करके संवत्सर तक हमारे घर में ही वास करें।

दिवाली के दिन शास्त्र स्वर्ण एवं शस्त्र को रखकर माता के समक्ष पूजा करने से उसमें लौकिक शक्तियों का प्रादुर्भाव होता है तथा धन आदि में नित्य बढ़ोतरी होती है। इसलिए दिवाली के दिन घर के सभी लोगों को स्वच्छ वस्त्र धारण करके माता लक्ष्मी   एवं गणेश भगवान की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी की पूजा संध्या काल में करने से देवी अति प्रसन्न होती है।

लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने हेतु करें ये काम

  • दिवाली के दिन माता लक्ष्मी का पूजन एवं पाठ विधिवत करना चाहिए, जिससे माता प्रसन्न होकर भक्त के कल्याण के लिए धन, वैभव, ज्ञान, बुद्धि एवं तेज प्रदान करती हैं।
  • गरुण पुराण के अनुसार, दिवाली के दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से वह अति प्रसन्न होती हैं।
  • माता लक्ष्मी को 16 श्रृंगार अर्पण करने चाहिए, भगवान गणेश को उत्तम पीत वस्त्र पहनाना चाहिए, जिससे आपको मनचाहा फल प्राप्त होगा।
  • भगवान गणेश एवं माता लक्ष्मी को गोम्फ्रेना फूलों (वैजयंती) एवं कमल पुष्पों की माला अति प्रिय है। दिवाली के दिन निश्चित ही हमें यह भगवान को अर्पण करनी चाहिए।
  • दिवाली की रात में विशेषत: माता लक्ष्मी को खीर एवं पान (पुंगी फल) का भोग लगाना चाहिए।
  • भगवान गणेश को पंचमेवा, दूर्वा एवं कैथे का भोग लगाना चाहिए।

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