diwali

दीपावली एवं महालक्ष्मी पूजन

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 2 Hrs 30 min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

विश्व के सभी देशों में भारतवर्ष ही एक ऐसा देश है जिसमें सभी देवी- देवताओं की पूजा- अर्चना के साथ-साथ पेड-पौधों "और नदियों की भी पूजा की परम्परा सभी धर्मावलम्बियों में व्याप्त है। विभिन्न पर्व- त्यौहारों पर देवी- देवताओ के पूजा का महत्व और अधिक बढ जाता है। दूसरे रूप में कहें, तो भारतीय संस्कृति और प्राचीन परम्परा को सदियों से जीवन्त रखने के लिए प्राचीन ऋषि- मुनियों, शास्त्रवेत्ता और मनीषियों ने देवी- देवताओं से पर्व-त्यौहारों की सीधे जोड़ दिया है । किसी भी पर्व या त्यौहार का आनन्द एवं उल्लास, उससे सम्बन्धित देवी- देवता की पूजा-अर्चना  के बिना सम्पन्न नहीं होती।उन्हीं त्योहारों में से एक माता लक्ष्मी और भगवान् गणेश का पर्व है ।यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है, जिसे हम दीपावली के नाम से जानते है। दीपावली अति प्राचीन और पूरे भारत में प्रचलित पर्व है। दीपावली का पर्व भगवान् श्रीराम के 14 वर्षो के वनवास के पश्चात्, अयोध्या लौटने  की प्रसन्नता के रूप में मनाने की परम्परा है। दीपावली के पावनपर्व पर घरों कार्यालयों तथा व्यावसायिक केन्द्रों पर महालक्ष्मी, गणेश जी की पूजा के साथ आयुर्वेद चिकित्सा के प्रवर्तक भगवान् धन्वन्तरी, धन के अधिष्ठाता भगवान् कुबेर, अष्टसिद्धि, अष्टलक्ष्मी, देहली विनायक, महाकाली, लेखनी, सरस्वती,तुला एवं दीपमालिका आदि का पूजन विधिपूर्वक करना एवं कराना चाहिए।
 यह त्योहार धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसे प्रकाश के त्यौहार के रूप में भी जाना जाता है, जो अंधकार और अज्ञानता को हराकर प्रकाश और ज्ञान की विजय को दर्शाता है।

धार्मिक महत्व=  दीपावली के दिन देवी लक्ष्मी और भगवान् गणेश जी की पूजा के द्वारा समस्त विघ्नों का नाश होता है तथा लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से घर में धन, समृद्धी, वैभव , ऐश्वर्यादि का आगमन होता है।

Benefits

 दीपावली में महालक्ष्मी एवं गणपति पूजन का माहात्म्य :-

  • दीपावली के  पर्व पर माता लक्ष्मी के निमित्त कनकधारा स्तोत्र का पाठ तथा श्रीसूक्त पाठ करने या करवाने से धन की प्राप्ति तथा  व्यापार में गति ( बढ़ोत्तरी) होती है।
  • दारिद्रय  का समूल विनाश  हो जाता है तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  • कुटुम्ब में सुख- शान्ति का प्रादुर्भाव सदैव बना रहता है।
  • माता लक्ष्मी की कृपा से याचक (भक्तगण) के परिवार  में धन ,सम्पत्ति का आगमन होता है। 
  • नकारात्मक ऊर्जा का अंत होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचय  होता है।
  • भगवान् गणेश का पूजन करने से समस्त विघ्नों का शमन होता है।
Process

दीपावली एवं महालक्ष्मी पूजन में  होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. नवग्रह मण्डल पूजन
  9. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  10. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  11. रक्षाविधान
  12. प्रधान देवता पूजन
  13. प्रधान देव गणपति लक्ष्मी पूजन
  14. अङ्ग पूजन
  15. अष्टसिद्धि पूजन
  16. अष्टलक्ष्मी पूजन
  17. देहली विनायक पूजन
  18. महाकाली (दवात) पूजन
  19. लेखनी पूजन
  20. सरस्वती (पञ्जिका बही-खाता)
  21. कुबेर पूजन तिजोरी में
  22. तुला पूजन
  23. दीपमालिका पूजन
  24. प्रधान आरती प्रसाद वितरण
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती,

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

No FAQs Available

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account