भगवान विष्णु के सातवें अवतार की गाथा, जानें श्री राम चन्द्र जी के पूजन की उत्तम विधि

भगवान विष्णु के सातवें अवतार की गाथा, जानें श्री राम चन्द्र जी के पूजन की उत्तम विधि

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री राम जी ने समस्त जगत् को मर्यादा का संदेश दिया है। उन्होंने भगवान् विष्णु के छठे अवतार, श्री रामचन्द्र जी के रूप में इस धरा पर अवतरित हुए। हिन्दू पंचांग के अनुसार राम नवमी के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम चन्द्र का जन्म हुआ था। महर्षि वाल्मीकि जी के अनुसार चैत्र मास की शुक्लपक्ष नवमी के दिन अभिजित् मुहूर्त में भगवान् श्रीरामचन्द्र जी ने पिता दशरथ और माता कौशल्या जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया।

राम नवमी का  शुभ मुहूर्त

राम नवमी हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि को आती है। इस वर्ष 2024 में राम नवमी 17 अप्रैल 2024, बुधवार को मनाई जाएगी। 
राम नवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: सूर्योदय से सायं 5:22 तक है।

भगवान् विष्णु ने क्यों लिया राम अवतार ?

महाभारत के अनुसार, भगवान् श्रीकृष्ण ने, पार्थ अर्जुन को उपदेश देते हुए कहा था, 
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्"।।
अर्थात् - जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि और अधर्म वृद्धि होगी, तब-तब मैं धर्म की रक्षा एवं अधर्म के नाश के लिए धरती पर अवतार लूंगा। ठीक इसी प्रकार से भगवान् विष्णु ने अधर्म के विनाश के लिए धरती पर सातवां अवतार भगवान् श्रीरामचन्द्र जी के रूप में लिया। 

भगवान् राम ने कौशल्या माता की कोख से ही क्यों लिया जन्म?

श्रीरामचन्द्र जी भगवान् विष्णु के ही एक अवतार हैं, उन्होंने परम पावनि अवधपुरी में जन्म लिया। पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार, राजा दशरथ एवं माता कौशल्या अपने पूर्व जन्म में स्वायम्भू मनु एवं उनकी धर्मपत्नी शतरूपा थीं, दोनों ने सभी कामनाओं और मोह का त्याग करके भगवान् विष्णु (नारायण) की कठोर तपस्या शुरू कर दी। भगवान् उनकी तपस्या से अत्यधिक प्रसन्न हुए और उनके समक्ष प्रकट होकर उनसे वर मांगने को कहा। भगवान् का अलौकिक रूप बहुत ही दिव्य एवं मनमोहक था, जिसे देख दोनों मुग्ध हो गए। उन्होंने भगवान् से वर मांगा- हे‌ भगवन्! हमारे घर में आपके जैसे गुण एवं रूप वाले पुत्र का जन्म हो।  तब भगवान् विष्णु कहते हैं कि, मेरे जैसे रूप एवं गुण वाला मैं स्वयं ही हूं, लेकिन हां मैं त्रेतायुग में आपके घर पुत्र के रूप में जन्म लूंगा। त्रेता युग में मनु और शतरूपा का जन्म दशरथ एवं कौशल्या के रूप में हुआ और फिर भगवान् विष्णु ने उनके पुत्र भगवान् श्रीरामचन्द्र जी के रूप में प्रकट हुए। 

राम जन्म भूमि अयोध्या नगरी 

भगवान् श्री राम चन्द्र जी का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ। अयोध्या सात मोक्षदायिनी पुरियों में प्रथम नगरी है, आखिर होगी भी क्यों नहीं, क्योंकि भगवान् रामजी ने यहां जन्म लेकर इस अवधपुरी को परम पुनीत एवं पावन कर दिया। 22 जनवरी 2024 को भगवान् रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दिव्य मंदिर का उद्घाटन किया गया। लगभग 500 वर्षों तक चले इस संघर्ष में अन्तत: विजय की प्राप्ति हुई। रामनवमी के इस पावन पर्व पर तथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी का दिव्य एवं भव्य मन्दिर निर्माण के उपलक्ष्य में, यह राम नवमी बड़े ही विधि एवं हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। 

भगवान् विष्णु ने क्यों लिया राम अवतार?

भगवान् विष्णु ने अब तक इस पृथ्वी पर कुल 23 अवतार ग्रहण किये हैं। भगवान् ने प्रत्येक अवतार साधु,सज्जनों के दुःख को दूर करने के लिए, असाधु, असज्जनों के नाश हेतु तथा धर्मध्वजा की स्थापना हेतु प्रत्येक युग में अवतरित होते हैं। यह तो हम सब जानते ही हैं कि भगवान् ने रामावतार रावण के वध के लिए लिया था। लेकिन इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार एक बार जब सनकादि मुनि भगवान् विष्णु जी के दर्शन के लिए वैकुण्ठ गए, तो वहां के द्वारपाल जय और विजय ने मुनियों की अवहेलना की, जिससे मुनि को बहुत आघात पहुंचा। मुनि ने क्रोध में आकार दोनों को श्राप दिया कि तुम दोनों अगले तीन जन्मों तक राक्षस कुल में ही जन्म लोगे। दोनों द्वारपालों को अपने अपराध का पाश्चताप हुआ और मुनियों से क्षमा याचना करने लगे,तब मुनियों ने कहा- तुम तीनों जन्मों में भगवान् विष्णु के हाथों ही मारे जाओगे और अन्ततः तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी।

जो पहले जन्म में वे हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष हुए जिसमें नरसिंह एवं वराह रुप में अवतरित होकर भगवान् ने उनका संहार किया। दूसरे जन्म में रावण एवं कुम्भकरण के रूप में जन्म हुआ जिसमें भगवान् श्रीरामचन्द्र अवतरित होकर रावणादि के साथ ही अनेक राक्षसों का संहार किया, यही जय-विजय तीसरे जन्म में शिशुपाल और दन्तवक्र के रूप में जन्म लिया जिसमें भगवान् लीलापुरुषोत्तम श्रीकृष्ण चन्द्र के रूप में अवतरित होकर इन दोनों राक्षसों का वध किया।

राम जी की पूजन की विधि

  • सर्वप्रथम प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • भगवान राम के नाम का जाप करते हुए सर्वप्रथम भगवान् सूर्य नारायण को अर्घ्य दें।
  • राम नवमी चैत्र नवरात्रों के नवें दिन ही होती है। भगवान् श्रीरामचन्द्र जी के बालरूप की उपासना करें।
  • इस दिन राम जी के साथ ही लक्ष्मी स्वरूपा माता सीता का पूजन अवश्य ही करना चाहिए।-  
  • राम नवमी के दिन घर में अथवा मंदिर में जाकर राम रक्षा स्तोत्र एवं श्री हनुमान् चालीसा का पाठ अवश्य करें। 
  • श्रीराम सहस्रनाम का पाठ करें अथवा किसी विद्वान् ब्राह्मण से कराएं।
  • सामर्थ्यानुसार नवरात्रों के समय अखण्ड रामायण का पाठ करें। 

यदि आप राम नवमी के पावन अवसर पर वैदिक-विधि द्वारा श्रीराम सहस्रनाम पाठ, अखण्ड रामायण पाठ, श्रीरामरक्षा स्तोत्र पाठ, अनुष्ठान, हवन इत्यादि माङ्गलिक कार्यक्रम सम्पन्न कराना चाहते हैं, तो वैकुण्ठ आपकी सहायता करता है। वैकुण्ठ एक पण्डित बुकिंग एप है, जिसके माध्यम से आप किसी भी प्रकार के पूजा-पाठ एवं हवन संपन्न करवा सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए हमारे साइट पर विजिट करें।

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