अखण्ड रामायण पाठ (रामचरितमानस)

अखण्ड रामायण पाठ (रामचरितमानस)

स्मार्त यज्ञ | Duration : 2 Days
Price Range: 25020 to 31320

About Puja

श्री रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास जी महराज द्वारा रचित प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के सम्पूर्ण चरित्र का वर्णन किया गया है। श्री रामचरितमानस का भारतीय संस्कृति में विशिष्ट स्थान है। भगवान श्री रामचन्द्र जी के समस्त आदर्शों को इस ग्रन्थ में वर्णित किया गया है। जिनमें सभी प्रकार के गुणों का समावेश है। श्री राम करुणा,दया,क्षमा, सत्य, न्याय,सदाचार,साहस,धैर्य और नेतृत्व करने की क्षमता जैसे विभिन्न विशिष्ट गुणों के प्रभु श्रीराम धनी हैं। वे एक आदर्श पुत्र, भाई, पति, राजा और मित्र हैं। भगवान श्री रामचन्द्र जी, हमारे धर्मशास्त्रों के अनुसार अखिल ब्रह्माण्ड के स्वामी हरि नारायण के ही अवतार हैं।रामचरितमानस से समाज को‌ ज्ञान होता है कि जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी किस प्रकार से धर्माचरण से विमुख न होकर उन विकट परिस्थितियों का सामना किस प्रकार से करना है और उसमें अपनी विजय किस प्रकार प्राप्त करनी है। भगवान् श्रीराम सर्वशक्तिमान होते हुए भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। रामचरितमानस ग्रन्थ का मूल उद्देश्य, श्रीरामचन्द्रजी के चरित्र के माध्यम से जीवन में नैतिकता और सदाचार आदि गुणों का आधान करना है। यह ग्रन्थ समस्त पुराणों तथा उपनिषदों का  सार है।  रामचरितमानस का पाठ करने से घर में  पिता पुत्र अथवा भाई-बहन या भाई का भाई के साथ सम्बन्धों में निकटता बढ़ती और सदाचार और परस्पर प्रेम में वृद्धि होती है। गृह सम्बन्धी क्लेश शान्त होते हैं, तथा घर में सुख ,समृद्धि और शान्ति की स्थापना होती है। व्यक्ति और समाज में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा का विनाश होता है। 

रामचरितमानस में सात काण्ड हैं, इन सात काण्डों का अलग-अलग प्रसंग।

  1. बालकाण्ड : भगवान् श्रीरामजी का जन्म, ऋषि विश्वामित्र के साथ वन गमन, यज्ञ रक्षा से लेकर राम विवाह और बारात का अयोध्या तक वापस लौटना.
  2. अयोध्या काण्ड : भगवान् श्रीराम,सीता और अन्य सभी भाइयों का अयोध्या में सुख पूर्वक रहकर श्री राम के राज्याभिषेक की तैयारी, वनवास जाने का प्रसंग,भरतजी का रामजी से वनवास का परित्याग करके राज्य सम्हालने का अनुरोध और फिर उनके आदेश से अयोध्या में उनका प्रतिनिधि बनकर राज करना।
  3. अरण्यकाण्ड: श्रीराम एवं सीताजी एवं लक्ष्मण का विभिन्न ऋषियों से मिलना, उनकी रक्षा, राक्षस वध की प्रतिज्ञा और सीता हरण तक का प्रसङ्ग.
  4. किष्किन्धा काण्ड : सुग्रीव से मित्रता और बाली वध, सीता खोज की व्यवस्था वानरों द्वारा
  5. सुन्दरकाण्ड : हनुमान जी का समुद्र लांघना, लंका में सीता खोज, लंका दहन और फिर वापस समुद्र तट पर आकर श्री राम लक्ष्मण को सूचना देना, वानर सेना की तैयारी, रावण को मन्दोदरी विभीषण और माल्यवन्त का सुझाव।
  6. लंकाकाण्ड: समुद्र पर श्रीराम सेतु निर्माण, लंका में शान्ति हेतु प्रस्ताव अंगद से, वानर सेना की चढ़ाई, कुम्भकर्ण, मेघनाद , अतिकाय और रावण आदि राक्षसों का वध, विभीषण का राज्याभिषेक और श्री सीता राम लक्ष्मण का पुष्पक विमान से अयोध्या वापस प्रस्थान।
  7. उत्तरकाण्ड : भरत हनुमान मिलन फिर भरत राम मिलन, राम राज्याभिषेक, रामजी का प्रजा को उपदेश, पुत्रोत्पत्ति, अमरत्व प्राप्ति, नारद लीला, शिव पार्वती, गरुड़़ कागभुशुंडि और निरन्तर रामकथा की चर्चा, विनय, स्तुति, आरती आदि।
Benefits

रामचरितमानस पाठ करने से लाभ:-

  • पारिवारिक जीवन में परस्पर प्रीति में वृद्धि होती है,तथा सौहार्दपूर्ण वातावरण का निर्माण होता है।
  • मानसिक शान्ति और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • जीवन में धैर्य,शान्ति,वीरता और सामञ्जस्य स्थापित होता है तथा शुद्ध और मर्यादित आचरणों का विकास होता है।
  • उपासक की निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
  • रामचरितमानस  का पाठ करने से घर में दैवीय शक्तियों का प्रसन्नतापूर्वक वास होता है तथा घर की रक्षा में सहायता प्रदान करती हैं।
  • तनाव से मुक्ति,तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
Process

रामचरितमानस पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान,  प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

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