जानें गुरुपूर्णिमा का पौराणिक महत्त्व एवं गुरुपूजन की सर्वोत्तम विधि

जानें गुरुपूर्णिमा का पौराणिक महत्त्व एवं गुरुपूजन की सर्वोत्तम विधि

।। गुरु पूर्णिमा पर्व 2024 ।।

“गुरु पूर्णिमा” का यह पावन पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है । महर्षि वेदव्यासजी का जन्मदिवस होने के कारण गुरुपूर्णिमा को व्यासपूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है । 

पारंपरिक रूप से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुदीक्षा प्राप्त करने वाला शिष्य अपने गुरु के समीप जाता है तथा गुरूजी का पूजन कर आशीर्वाद ग्रहण करता है । श्रीभविष्योत्तर पुराण में कहा गया है जो मनुष्य गुरुदीक्षा प्राप्त कर अपने गुरुदेव की उपासना करता है उस मनुष्य के जीवन में कठिनाइयाँ नहीं आती हैं क्योंकि गुरु स्वयं ही अपने शिष्य का कल्याण करने वाले होते हैं इसलिए गुरु शब्द का अर्थ ही है ‘अंधकार को मिटाने वाला तथा प्रकाश का मार्ग को प्रशस्त कराने वाला । गुरु की महिमा अत्यन्त व्यापक है ।  

प्राचीन वैदिक शास्त्रों और पुराणों में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्रदान किया गया है । पुराणों में कहा गया है - 

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु:, गुरुर्देवो महेश्वरा: ।
गुरुर्साक्षात् परम ब्रह्मा, तस्मै श्री गुरवे नम:।।

अर्थात् हे गुरुदेव आप देवतुल्य हैं। आप भगवान् ब्रह्मा हैं, आप भगवान् विष्णु हैं और आप ही भगवान् महेश्वर हैं, आप देवताओं के देवता हैं। हे गुरुवर, आप सर्वस्व हैं अतः मैं नतमस्तक होकर आपको नमन\प्रणाम  करता हूं ।

गुरु पूर्णिमा के दिन कैसे करें गुरुपूजा ?  :

  • गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान आदि नित्यकर्मों से निवृत्त होने के बाद साफ़-स्वच्छ  वस्त्र धारण करें ।
  • पूजा स्थल को गंगाजल से अभिमंत्रित कर व्यास जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें । 
  • व्यास जी के चित्र पर पुष्प तथा पुष्पमाला अर्पित करें ।
  • महर्षि व्यासजी को गन्ध-अक्षत पुष्प आदि अर्पित करने के पश्चात् नैवेद्य अर्पित करें । 
  • वेदव्यास जी आरती करें और फिर प्रसाद ग्रहण कर गुरुआश्रम, गुरुस्थान की और प्रस्थान करें ।   
  • अपने गुरु को ऊँचे सुसज्जित आसन पर बिठाकर पुष्पमाला अर्पण करें ।
  • गुरूजी का गन्ध और चन्दन का तिलक करें और अक्षत अर्पण करें । 
  • इसके पश्चात् वस्त्र-दुपट्टा- इत्यादि से गुर्जी को सुज्जित करें ।
  • वस्त्र प्रदान करने के पश्चात् फल तथा मिष्ठान भोगरूप में प्रदान करें ।
  • अपनी सामर्थ्य अनुसार गुरूजी को दक्षिणा प्रदान कर उनका ग्रहण करें ।
  • संभव हो तो गुरुपूर्णिमा के दिन जितना हो सके गुरु और भगवन्न नाम का सुमिरण करें ।  

गुरु पूर्णिमा पर्व 2024 का शुभ मुहूर्त :

  • गुरु पूर्णिमा पर्व का शुभ मुहूर्त 21 जुलाई 2024 को है।

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है ?

गुरु, साधक के अज्ञानरूपी अन्धकार को मिटाकर प्रकाशरूपी ज्ञान की और प्रेरित करते हैं ।

ग्रीष्म संक्रांति के बाद अषाढ़ मास में आने वाली प्रथम पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है ।  मान्यता है कि इस पावन दिवस पर शिव जी, जिन्हें आदियोगी या योगी भी कहा जाता है अपने प्रथम सात शिष्यों एवं सप्तर्षियों को योग का ज्ञान प्रदान किया तथा गुरु पूर्णिमा पर वैदिक ज्ञान निधि को एक सूत्र में पिरोने वाले सूत्रधार महर्षि वेदव्यास जी का भी जन्म हुआ ।

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें ?

  • गुरुकृपा से ही विद्यार्थी विद्या प्राप्त करता है, इसीलिए इस दिन गुरुदेव भगवान् की उपासना श्रद्धापूर्वक करनी चाहिए ।
  • गुरु द्वारा दीक्षा प्राप्त करना मानव जीवन में परमावश्यक है अतः आज का दिन दीक्षा प्राप्ति  हेतु श्रेष्ठ होता है । 
  • इस दिन गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए ।
  • गुरु की कृपा ही शिष्य के लिए  ज्ञानवर्धक और कल्याणकारी सिद्ध होती है । संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु के आशीर्वाद से ही प्राप्त होती है ।

महर्षि वेदव्यास और गुरु पूर्णिमा का सम्बन्ध :

महर्षि वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे जिन्होंने प्राचीनकाल में ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अठारह पुराण आदि की रचनाकार की । महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर हुआ । 

पौराणिक ग्रन्थों के आधार पर महर्षि वेदव्यास जी को तीनों कालों के ज्ञाता के रूप में माना गया । उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की आस्था में अल्पता आएगी । धर्म में आस्था कम होने से मनुष्य का ईश्वर के प्रति विश्वास कम होगा अत: मनुष्य अपने कर्तव्य से विमुख हो जायेगा और अल्पायु को प्राप्त करेगा । जिस कारण सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करने में असमर्थ होगा, इसलिए महर्षि व्यासजी ने सम्पूर्ण वेदशास्त्र को चार भागों में विभक्त कर दिया जिससे कि अल्पबुद्धि तथा अल्पायु वाले व्यक्ति भी वेदों का अध्ययन कर सकें ।

व्यास जी द्वारा ही ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद की रचना की गई । सम्पूर्ण वैदिक वांग्मय का विभाजन कर्ता होने के कारण उन्हें वेदव्यास के नाम से जाना गया । उन्होंने इन चारों वेदों का ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों वैशम्पायन, सुमन्तुमुनि, पैल और जैमिन को प्रदान किया । महर्षि वेदव्यासजी के शिष्यों ने अपनी मति (बुद्धि) के अनुसार चारों वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में विभाजित किया । महर्षि व्यास ने ही महाभारत की रचना की । महर्षि व्यास जी को आदि-गुरु के नाम से भी संबोधित किया जाता है ।

गुरु पूर्णिमा के नाम से प्रसिद्ध इस पवन पर्व को व्यास जयन्ती के रूप में भी मनाया जाता है। इसलिए इस पर्व को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं और इस दिन हमें अपने गुरुओं को व्यासजी का अंश मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए ।

गुरु पूर्णिमा पर्व का माहात्म्य :

  • गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुपूजा करने या गुरु से आशीर्वाद प्राप्त कर लेने से जीवन में आ रहीं बाधाएँ दूर होती हैं क्योंकि गुरु हमें समस्या समाधान के लिए पथ प्रदर्शित करते हैं । 
  • गुरु जीवनचर्या में परिवर्तन करता है, जब मनुष्य किसी गुरु से जुड़ जाता है तो उसका अहंकार नष्ट हो जाता है जिससे वह परमात्मा की प्राप्ति के लिए उन्मुखी हो जाता है ।
  • गुरु सेवा से शिष्य की मन:स्थिति सकारात्मक हो जाती है तथा आत्मिक प्रगति के द्वार खुलते हैं।
  • गुरु पूजन से भाग्योदय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास रहता है। 
  • गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन करने से नौकरी, व्यापार और करियर में लाभ मिलता है।

इस प्रकार गुरुपूर्णिमा पर गुरुजी की उपासना करनी चाहिए जिससे हम नित्य कर्तव्यपथ पर अग्रसित हों और अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकें । गुरुपूर्णिमा का यह पर्व स्वयं में सिद्ध पर्व है । सम्पूर्ण दिवस में अपने गुरुदेव और भगवन् नाम जप का सुमिरन कर इस दिन को सफल बनायें ।   

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें ।

Vaikunth Blogs

Hartalika Teej 2024: Date, Shubh Muhurat and Fasting Rituals
Hartalika Teej 2024: Date, Shubh Muhurat and Fasting Rituals

Hartalika Teej is celebrated to honor the marital bond of Lord Shiva and Goddess Parvati. Both girls...

जानें गङ्गा दशहरा पर स्नान और दान का महत्व
जानें गङ्गा दशहरा पर स्नान और दान का महत्व

।।  गंगा दशहरा पर्व ।।  वराहपुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा म...

Sawan Shivratri 2024 – Dates and Auspicious Rituals for 16 Somvaar Vrat
Sawan Shivratri 2024 – Dates and Auspicious Rituals for 16 Somvaar Vrat

Shivratri is the most celebrated and notable festival in Hinduism. ‘Shiv’ means Lord Shiva and ‘Ratr...

Raksha Bandhan 2024: Bhadra Kaal and Auspicious Timings to Tie Rakhi
Raksha Bandhan 2024: Bhadra Kaal and Auspicious Timings to Tie Rakhi

Rakshabandhan is one of the most popular Hindu festivals, celebrated all over India. The term Raksha...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account