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Most Popular Puja

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गर्भाधान

गर्भाधान संस्कार

 गर्भ+आधान। आधान का अर्थ है स्थापित करना।

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शिवाथर्वशीर्षम्

शिवाथर्वशीर्षम्

"वेद: शिव: शिवो वेद:" वेद शिव हैं और शिव वेद हैं,

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देव्यथर्वशीर्षम

देव्यथर्वशीर्षम्

जिस प्रकार भक्ति के बिना भक्तिमान् (भक्त)की कल्पना नहीं की जा सकती ,

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नारायणाथर्वशीर्षम्

नारायणाथर्वशीर्षम्

नर शब्द जीव का वाचक है, नार= जीवों के समूह और उन जीवों का अयन (आश्रय) परमेश्वर हैं,

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सौभाग्य प्रदायक

सौभाग्य प्रदायक चतुर्थी कर्म

विवाह के पश्चात् तीन रात पर्यन्त वर वधू को विशेष नियमों का पालन करते हुए चौथी रात्रि में ह...

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गणपत्यथर्वशीर्ष

जन्मोत्सव पूजा

मानव जीवन- स्वास्थ्य रक्षण पूर्वक दीर्घायु एवं समृद्धि वैभव युक्त रहे, इसके लिए सनातन वैदि...

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सूर्याथर्वशीर्षम्

सूर्याथर्वशीर्षम्

भगवान् सूर्य को वेदों में चराचर जगत् का आत्मा कहा गया है।

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पुंसवन संस्कार

पुंसवन संस्कार

गर्भाधान संस्कार के अनन्तर पुंसवन संस्कार का क्रम आता है।

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shri ganesh

गणपत्यथर्वशीर्षम्

 गणपति स्तवन प्राय: समस्त मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम करने का विधान है।

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प्रतिष्ठानों

प्रतिष्ठानों में नित्य पूजन

बृहद् प्रतिष्ठानों एवं कार्यालयों में वैभव (सम्पदा) वृद्धि के लिए वैदिक पण्डितों द्वारा नि...

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गणपतिसूक्त

ब्रह्मणस्पति (गणपति सूक्त) पाठ एवं हवन

गणपति सूक्त को ब्रह्मणस्पति सूक्त भी कहा जाता है।

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सीमन्तोन्नयन

सीमन्तोन्नयन संस्कार

 सीमन्त तथा उन्नयन इन दो शब्दों के योग से सीमन्तोन्नयन सिद्ध हुआ है।

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रुद्रसूक्त

रुद्र सूक्त [शिवसूक्त,नीलसूक्त] पाठ एवं हवन

भूतेश्वर भगवान् शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्रसूक्त के पाठ का अनिर्वचनीय फलश्रुति है।

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मेधासूक्त

मेधा सूक्त पाठ एवं हवन

मेधाशब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - धारणाशक्ति, प्रज्ञा, बुद्धि आदि। मेधाशक्ति से सम्पन्न म...

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देवीसूक्त

देवी सूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन

 देवी सूक्त को वैदिकवाङ्मय में वाक् सूक्त भी कहा गया है तथा इसी सूक्त को आत्मसूक्त भी कहते...

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जातकर्म

जातकर्म संस्कार

जन्म के बाद जो प्रथम संस्कार होता है ,उसे जातकर्म संस्कार कहते हैं।

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नामकरण

नामकरण संस्कार

इस जगत् में समस्त व्यक्ति, वस्तु एवं स्थान की कुछ ना कुछ संज्ञा होती है ।

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पुरुषसूक्त

पुरुष सूक्त पाठ एवं हवन

 वैदिक सूक्तों में पुरुषसूक्त का स्थान अत्यन्त महनीय है।

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