व्यपोहन स्तोत्र पाठ

व्यपोहन स्तोत्र पाठ

स्तोत्र पाठ | Duration : 1 Day
Price Range: 11000 to 31000

About Puja

भगवान् शिव का स्तवन् (स्तोत्र) परम कल्याणकारी तथा ज्ञात अज्ञात समस्त पापों से मुक्त करता है। ऐसा ही एक स्तवन्  श्रीलिङ्गपुराण के 82 वें  अध्याय में प्राप्त होता है, जिसका नाम व्यपोहन स्तोत्र है ।व्यपोहन अर्थात् (वि= विशिष्ट रूप) से (अपोहन= का अर्थ है - 'दूर हटाना या छिपाना) अर्थात् साधक के अन्दर विद्यमान समस्त पापों को नष्ट करके सर्वदा दोषों से रक्षा करता है।
यह स्तवन् अत्यन्त मंगलमय तथा समस्त सिद्धियों को प्राप्त कराने वाला है। इस स्तोत्र के अनुष्ठान मात्र से साधक आशुतोष भगवान् शिव की कृपा से अपने सभी अरिष्टों को ध्वस्त करके जगत् में यश तथा प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।

इस स्तोत्र को सूतजी ने  ऋषियों को तथा नन्दी के मुख से सुनकर महात्मा सनत्कुमार ने व्यासजी को बताया था । ऐसा वर्णन श्रीलिङ्गपुराण में प्राप्त होता है। यह स्तवन्  हृदय को शुद्धता तथा निर्मलता प्रदान करता है। इस स्तोत्र के प्रभाव से अरिष्टों का विनाश होता है। इस स्तोत्र  के स्तवन् करने से समस्त  अभिलाषाओं की प्राप्ति होती है ।तथा  कन्या की अभिलाषा रखने वाले साधकों को यह स्तोत्र परम फलदायी है। इसके  स्तवन् में भगवान् शिव के साथ माता पार्वती, भगवान्  स्कन्द, द्वादश  आदित्य, तथा पञ्चमहाभूत आदि  से पापों की निवृत्ति के लिए प्रार्थना, भगवती उमा सहित भगवान् शंकर से की गयी है।इसके अनुष्ठान मात्र से ही साधक की मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

Benefits

व्यपोहन स्तोत्र पाठ माहात्म्य :-

  • इस स्तवन् के द्वारा शिवाराधन करने से विजयश्री की कामना करने वाले साधकों को विजय की प्राप्ति होती है।
  • यजमान की समस्त मनोवांछित कामनाओं की प्राप्ति होती है
  • अकस्मात् मृत्यु से बचाव होता है तथा सर्पादि से भय नहीं रहता।
  • यह स्तोत्र पाठ साधक को  कन्या तथा पुत्र की  प्राप्ति में सहायता प्रदान करता है।
  • गौ हत्यारा, ब्रह्महत्यारा, मित्र के साथ विश्वासघात करने वाले, दुष्ट, पापमय आचरण करने वाला इस पाठ के द्वारा सभी पापों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त करता है।
  • धन, ऐश्वर्य, विद्या, वैभव, यश, मान, प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति इस  स्तोत्र के द्वारा होता है
Process

व्यपोहन स्तोत्र में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान,  प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • पानी वाला नारियल
  • तुलसी पत्र -7
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

No FAQs Available

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account