पाशुपतास्त्र

पाशुपतास्त्र स्तोत्र पाठ

स्तोत्र पाठ | Duration : 1 Day
Price Range: 11000 to 31000

About Puja

हमारे वेदों एवं पुराणों में अनेक स्त्रोत,मन्त्र आदि प्राप्त होते हैं, उनमें से अति दुर्लभ पाशुपतास्त्र स्तोत्र है। यह स्तोत्र अनेकों संकटों व असाध्य बीमारियों का हरण कर लेता है। यह भगवान् शिव की आराधना हेतु उत्तम स्त्रोत है। यह स्तोत्र अग्निपुराण के 322 वें  अध्याय में वर्णित है। यह दिव्य स्तोत्र अत्यन्त प्रभावशाली तथा शीघ्र फल प्रदान करने वाला है। इस स्तोत्र का नियमित स्तवन् करने से साधक की यश,कीर्ति का विस्तार चारों दिशाओं में होता है, और उपासक को सर्वत्र विजय की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान पशुपतिनाथ अपने भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं,भगवान शिव जी की प्रसन्नता से शनि देव भी प्रसन्न होकर भक्त को अनुकूल फल प्रदान करते हैं। इस चमत्कारी स्तोत्र  का पाठ घर, दुकान ,व्यापारिक क्षेत्र,कार्यालय आदि में नियमित रूप से करने पर वहां पर प्राप्त समस्त क्लेशों और नकारात्मक ऊर्जाओं की परिसमाप्ति हो जाती है, तथा कार्यक्षेत्र में निरन्तर उत्तरोत्तर वृद्धि होती है। जीवन में साधक के कार्यों में किसी भी प्रकार से अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो, अथवा अति विकट परिस्थिति उत्पन्न हो जाए,ऐसी स्थिति में इस स्तोत्र का अनुष्ठानात्मक पाठ कराने से समस्त कार्य  पुनः फलीभूत हो जाते हैं। इस स्तोत्र में भगवान शिव के स्तवन् का उग्र प्रयोग प्रदर्शित किया गया है, जब साधक असाध्य बीमारियों से पीड़ित हो गया हो, अथवा कोर्ट कचहरी में बुरी तरह फंसने का भय हो, एवं शत्रु बहुत ज्यादा परेशान कर रहा हो। ऐसी विकट से विकट परिस्थितियों में इस स्तोत्र का पाठ अकाट्य फल प्रदान करता है।

Benefits

पाशुपतास्त्र स्तोत्र पाठ का माहात्म्य :-

  • स्तोत्र की एक बार आवृत्ति करने से भक्त के समस्त विघ्नों की निवृत्ति हो जाती है।
  • पाशुपतास्त्र स्तोत्र की सौ बार आवृत्ति करने से समस्त प्रकार के उत्पातों की परिसमाप्ति हो जाती है।
  • शत्रुगत भय से मुक्ति मिलती है, तथा युद्ध क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से घर,परिवार में व्याप्त समस्त क्लेशों का शमन  होता है।
  • कोर्ट,कचहरी ,मुकदमा आदि से सम्बन्धित कार्यों में विजय की प्राप्ति होती है।
Process

पाशुपतास्त्र स्तोत्र पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान,  प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा,
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

No FAQs Available

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account