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प्रतिष्ठानों में नित्य पूजन

कार्पोरेट दैनिक पूजा | Duration : 30 minute
Price : 11000
About Puja

    बृहद् प्रतिष्ठानों एवं कार्यालयों में वैभव (सम्पदा)वृद्धि के लिए वैदिक पण्डितों द्वारा नित्य पूजन अर्चन की परम्परा अनादि काल से चली आ रही है। सनातन परम्परा के वाहक हिन्दू, सिख, बौद्ध एवं जैन के साथ ही इन धर्मो के अङ्ग एवं उपाङ्ग जो भी हैं, वो बिना भगवद् आराधना के निर्जीव (शून्य) हैं। सनातन मताबम्बियों को वर्ण, आश्रम , परम्परा एवं कुलदेवता के साथ ही सम्प्रदायानुसार प्राप्त मन्त्र या देवता की पूजा अर्चना एवं उपासना करनी या करानी चाहिए। जब भारतवर्ष में राजतंत्र की व्यवस्था थी, राजाओं के द्वारा शासन आदि संचालित होता  था,  उस समय भी उस राज्य के अन्तर्गत् वस्तु तथा आयुध् निर्माण आदि के जितने संस्थान हुआ करते थे वहां पर विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा दैनिक देव पूजा की परम्परा का पालन होता था। कालांतर में जब राजतंत्र लोकतन्त्र में परिवर्तित हुआ तो वह आयुध निर्माण आदि वर्तमान व्यवसायिक कारखानों एक कार्यालयों के रूप में अवस्थित हुआ तथा इन कार्यालयों के विकास तथा विस्तार के लिए देवपूजा परम्परा अबाध गति से चली आ रही है,  जिसके कृपा करुणा से वैभव लक्ष्मी तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है।

     

Benefits

 भारत ही नहीं बल्कि विश्व का कोई ऐसा स्थान नहीं जहाँ, सनातन संस्कृति को मानने व जानने वालों का प्रतिष्ठान, संस्थान, कार्यालय, कारखाना आदि न हो और सभी प्रतिष्ठानों में अपने आराध्य को स्थापित न किये हों। यद्यपि उन विशिष्ट प्रतिष्ठानों में समय  एवं परम्पराओं के अनुसार नित्य धूप दीप होता है। तथापि इन वृहद् एवं विशिष्ट कार्यालयों और प्रतिष्ठानों में शास्त्रोक्त परम्पराओं एवं श्रुति सिद्धान्तों के आधार पर वेदोच्चारण पूर्वक यदि शाक्त, शैव एवं वैष्णव धर्मावलम्बियों के अनुसार उपासना अर्चना आदि किया जाए तो, उसका एक विशिष्ट महत्व होगा। हमारी वैकुण्ठ नामक संस्था इन प्रतिष्ठानों एवं कार्यालयों में मन्त्रोच्चार पूर्वक शास्त्र विधि से नित्य भगवान् का पूजन एवं अर्चन विद्वान् एवं कर्मनिष्ठ पण्डितों के माध्यम से कराती है। संस्था को इस पथ पर आने का मूल कारण यही है कि, वैदिक पथ के पथिक जो विद्वान् हैं, वो उत्तम विधि से देव अर्चन तथा पूजन करके,अपना और समाज का सर्वविध विकाश के साथ  कल्याण करें। यजनकर्ता (यजमान/ साधक) का स्पष्ट, शुद्ध मन्त्रों के प्रभाव से वातावरण की शुद्धता के साथ ही उत्तमचरित्र निर्माण तथा प्रतिष्ठानों की उन्नति करेगा। इस विधि का अनुसरण करने से सनातन धर्म की भी प्रोन्नति होगी,और सनातन धर्म सर्वप्रकार से सुदृढ़ होगा।

Process

प्रतिष्ठानों 'एवं कार्यालयों में होने  वाले नित्य पूजन का स्वरूप:-

  1. पात्रपक्षालन एवं मन्दिरमार्जन 
  2. पवित्रीकरण
  3. दीप प्रज्ज्वलन
  4.  स्वस्तिवाचन
  5. मङ्गलश्लोकोच्चारण
  6. सङ्कल्प
  7. गणपति गौरी स्मरण
  8. वैभव एवं समृद्धि के लिए देवों  का तद्तद् सूक्तों से पूजन
  9. यदि मुख्य देवता शिव हैं तो रुद्रसूक्त पाठ
  10.  यदि मुख्य देवता विष्णु है तो  पुरुषसूक्त पाठ
  11. यदि मुख्य आराधिका देवीं हैं तो श्रीसूक्त पाठ 
  12. यदि मुख्य देव श्रीगणेश हैं तो गणपत्यथर्वशीर्ष पाठ
  13. इन वैदिक मन्त्रों से विधिवत् तत् तत् विशिष्ट देवताओं का पूजन के पश्चात् आरती होगी।
  14. वैदिक मंत्र पुष्पांजलि
  15. प्रसाद वितरण
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री:-
•    रोली , सिन्दूर 
•    चन्दन ,अक्षत
•    हल्दी, अबीर
•    गुलाल,  भस्म
•     इत्र, लौंग
•     इलायची, सुपारी
•     यज्ञोपवीत, कलावा
•     धूपबत्ती, रुई बत्ती
•     दियाली, कपूर 
•    गंगाजल, माचिस
•     भोग प्रसाद

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