माता बगलामुखी

श्रीबगलामुखी मन्त्रजप (अनुष्ठान)

मंत्र जप | Duration : 3 Days
Price Range: 21000 to 99999

About Puja

दश महाविद्याओं में से एक माता बगलामुखी है़ं। जिन्हें बगला, पीताम्बरा, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से जाना जाता है।माता के दश महाविद्या रूप में उत्पत्ति का वर्णन श्रीशिव महापुराण की  उमासंहिता  में प्राप्त होता  है।
माता बगला की पूजा करने से उपासक के समस्त विघ्नों की परिसमाप्ति हो जाती है। माता बगलामुखी मनुष्यों के जीवन में व्याप्त समस्त नकारात्मक बाधाओं और पाप कर्मों की समाप्ति करती हैं। माता बगलामुखी की पूजा में पीले वस्त्र अथवा पीली वस्तुओं का प्रयोग पूजन में  करना चाहिए तथा उनकी पूजा मध्य रात्रि में करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है, साथ ही  बगला माता की पूजा करने से भक्त के जीवन में चली आ रही समस्त समस्याओं का शमन होता है, तथा शत्रुजनित भय से साध़क की रक्षा होती है।इनकी आराधना तथा पूजा करने से भूत-प्रेत जनित समस्त बाधाएं शान्त होती हैं।कोर्ट-कचहरी, से सम्बन्धित वाद-विवाद में सफलता की प्राप्ति होती है,जिन साधकों को शिक्षा क्षेत्र में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है उनके लिए इस दिव्य अनुष्ठान के माध्यम से सफलता की प्राप्ति सहज भाव में ही हो जाती है,अथवा राजनीतिक के  क्षेत्र में अपने करियर को उत्कृष्ट करने के लिए तथा सर्वदा विजय के लिए, राजकीय कार्यों में उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए माता बगलामुखी का अनुष्ठान कराना चाहिए। देवी बगलामुखी को इस चराचर जगत की सबसे शक्तिशाली मातृशक्ति के रूप में पूजते हैं। बगला माता को उनकी असीमित क्षमताओं के कारण सद्गुणों की संरक्षणकर्ता तथा  नकारात्मक बुराइयों का विनाश करने वाली मातृशक्ति के रूप में पूजा जाता है।

माँ बगलामुखी के प्रसिद्ध तीन शक्तिपीठ :-

 1- बगलामुखी शक्तिपीठ,नलखेड़ा :-  मध्य प्रदेश के नलखेड़ा में देवी बगलामुखी का प्राचीन मन्दिर है, जो नदी के किनारे स्थित है। 
इस मन्दिर में मां बगलामुखी की प्रतिमा स्वयम्भू है।  ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर की स्थापना महाभारत युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण के निर्देशानुसार की थी। इस मन्दिर में लोग मुख्यत: विजय प्राप्ति के लिए अनुष्ठान पूजा, अर्चन, यज्ञ, हवन या पाठ कराते हैं।

2 पीताम्बरा मन्दिर,दतिया:- देश के लोकप्रिय शक्तिपीठों में से एक है पीताम्बरा शक्तिपीठ जो मध्यप्रदेश राज्य के दतिया में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि माँ के दरबार में मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है।  माँ बगलामुखी शत्रु नाश एवं राजसत्ता की देवी हैं। 

3- बगलामुखी मन्दिर, कांगड़ा :- हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में प्रसिद्ध शक्तिपीठ बगलामुखी मंदिर स्थित है।  देवी बगलामुखी को समर्पित यह मन्दिर प्राचीनकाल से ही हिन्दू धर्म के लोगों की आस्था का केन्द्र रहा है।  बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत कालीन माना जाता है।

माता बगलामुखी का दिव्य मन्त्र

"ॐ ह्रीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलय बुुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा "

Benefits

श्रीबगलामुखी मन्त्रजप (अनुष्ठानका माहात्म्य :-

  • माता बगलामुखी का  मन्त्र शत्रुओं को परास्त करने और उन पर विजय प्राप्ति का अचूक उपाय है।
  • यह दिव्य मन्त्र विरोधियों, बुरी नजर, काला जादू, वित्तीय असुरक्षा, कानूनी कठिनाइयों, पुरानी समस्याओं और दुर्घटना आदि से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अपने विरोधियों को वश में करने और उन्हें परास्त करने  के लिए मां बगलामुखी की पूजा उत्तम विधि है।
  • बगलामुखी मन्त्र अविश्वसनीय रूप से प्रभावी है,यह शक्तिशाली मन्त्र भक्तों को भविष्य में होने वाले भय से सर्वदा रक्षा करता है, और उन्हें अपने शत्रुओं  को हराने में मदद करता है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
  • राजनीति के क्षेत्र में अभ्युदय, यश एवं प्रगति प्राप्त करने हेतु यह अनुष्ठान सर्वोत्कृष्ट उपाय है।
Process

श्रीबगलामुखी मन्त्रजप (अनुष्ठानमें होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा, पंचमेवा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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