श्रीदत्तात्रेयसहस्रनाम स्तोत्र

श्रीदत्तात्रेयसहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 3 Hrs 30 min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

सनातन वैदिक उपासना एवं पूजा पद्धति में भगवान दत्तात्रेय का विशिष्ट स्थान है। भगवान दत्तात्रेय कृपा की मूर्ति कहे जाते हैं। परम भक्त वत्सल दत्तात्रेय भगवान भक्त के स्मरण करते ही उसके  समस्त विघ्नों का शमन करते   हैं। इसीलिये इन्हें "स्मृतिगामी" तथा " स्मृतिमात्रानुगन्ता' भी कहा जाता है। महायोगीश्वर दत्तात्रेय भगवान विष्णु के  ही अवतार हैं। श्रीमद्भागवतमहापुराण  में वर्णन प्राप्त होता है कि पुत्र प्राप्ति की इच्छा से महर्षि अत्रि के व्रत करने पर दत्तोमयाहमिति यद् भगवान् स दत्त अर्थात् मैंने अपने को  आपके प्रति समर्पित कर दिया- अत्रि के ऐसा  कहने से भगवान विष्णु ही अत्रि के रूप में अवतरित हुए और दत्त कहलाए। अत्रिपुत्र होने के कारण ये आत्रेय कहलाते हैं। दत्त और आत्रेय के संयोग से इनका नाम दत्तात्रेय पड़ा। इनकी माता अनुसुइया हैं।
भगवान श्री दत्तात्रेय के एक हजार दिव्य नामों का वर्णन परम पुनीत श्री दत्तात्रेयसहस्रनाम में वर्णित किया  गया है। यह स्तोत्र नामावली श्रीमद्दत्तात्रेयपुराण में उद्‌धृत है। दत्तात्रेय भगवान की इस स्तुति पाठ करने से पितृदोष सम्बन्धी समस्या का समाधान होता है तथा साधक की मनोकामनाओं  की पूर्ति कराने  वाला परम पवित्र स्तोत्र है। भगवान श्री दत्तात्रेय  तंत्राधिपति भी कहा जाता है। नारदपुराण में ऐसा वर्णन मिलता है कि जो साधक दत्तात्रेय भगवान की स्तुति करता है उस मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट दूर होते है तथा जीवन में सतत उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं। 

Benefits

श्री दत्तात्रेयसहस्रनाम स्तोत्र पाठ का माहात्म्य:-

  • यह परम पुनीत स्तोत्र उपासक को इहलोक  एवं परलोक में आनन्द की प्राप्ति कराने वाला है। 
  • इस स्तोत्र के स्तवन् से मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति होती है।
  • भगवान विष्णु के चरणों की अखण्ड भक्ति की प्राप्ति होती है।
  • साधक का सांसारिक मोह नष्ट हो जाता है।
  • साधक का भय नष्ट होता है तथा इनकी उपासना से अभय वर की  प्राप्ति होती है।
Process

श्री दत्तात्रेयसहस्रनाम स्तोत्र में होने वाले प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  • कमलगट्टा, पंचमेवा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • चावल(छोटा वाला)
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • दीपक मिट्टी का 
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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