श्री राम सहस्रनाम स्तोत्र

श्री राम सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

रमन्ते योगिनो अस्मिन् इति रामः अर्थात् योगीजन जिसमें रमण करते हैं, उस परमार्थ सत्ता परब्रह्म की संज्ञा श्रीराम है।

राम शब्द की व्युत्पत्ति रमु क्रीडायां धातुसे अधिकरण में धञ् प्रत्यय के योग से होती है,अथवा  " यः सर्वस्मिन् रमते , सर्वं वा यस्मिन् रमते सोऽपि राम:"।
समग्र विश्व के कण कण में जो व्याप्त हैं अथवा समस्त विश्व जिनके अन्तर्गत् रमण कर रहा है, वे भगवान् श्री राम हैं। इस व्युत्पत्ति लभ्य अर्थ के द्वारा परब्रह्म परमेश्वर के सहस्रों नामों में राम नाम भी है, वही राम त्रेतायुग में सरयु के पावन तट पर विद्यमान अवधपुरी में महाराज दशरथ के पुत्र रूप में अवतरित होते हैं। भगवान् श्रीराम को भारतीय वाङ्मय में मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। अमर्यादित हुए जगत्‌ को मर्यादा के अन्तर्गत् लाने हेतु अपने सदाचार से भगवान् श्रीराम अनुपम आचरण का आदर्श प्रस्तुत करते हैं।अतएव भगवान् श्रीराम को साक्षात् धर्म का ही प्रतिरूप कहा गया है । "रामो विग्रहवान् धर्मः" यह उक्ति यही सङ्केत करती है।

श्रीमद्भगवद्गीता में भी परमपिता परमात्मा को पुरुषोत्तम कहा गया है। महर्षि वाल्मीकि ने श्रीराम को गाम्भीर्य में समुद्र के समान, धैर्य में पर्वतराज हिमालय तथा क्षमा में पृथिवी के समान कहा है। लोक शिक्षा हेतु ही भगवान् धराधाम पर अवतरित होते हैं। सद्पुरुषों का संरक्षण, दुष्टों का दमन तथा धर्म की स्थापना हेतु ही परमात्मा  का अवतरण  होता  हैं। सागर पर सेतुबन्धन तथा राक्षसी सेना का संहार आदि कार्य लोकातिशायी है। विश्वविजेता रावण को ब्रह्मा जी के वरदान के कारण अ‌द्भुत शक्ति प्राप्त थी, जिसके कारण उसने लोकपालों को भी वश में कर रखा था।

भगवान् श्रीराम के राज्य में भी प्रजा सर्वथा धर्म परायण होकर मर्यादित भाव से सानन्द जीवन यापन करती थी। भगवान् श्रीराम के स्तवन के द्वारा परम नि:श्रेयस् की सिद्धि होती है। प्रभुराम के स्मरण मात्र से जीवन में सुख, सौभाग्य, सम्पदा, समृद्धि आदि सहज रूप से प्राप्त होती है | श्री रामसहस्रनाम आनन्द रामायण में प्राप्त होता है, जिसके पाठ एवं अनुष्ठान का विशेष महत्व है। 

           राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
           सहस्रनाम ततुल्यं रामनामवरानाने।।

      

Benefits

श्री राम सहस्रनाम पाठ अर्चन एवं हवन महात्म्य :-

  • पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम के इस सहस्रनाम पाठ से मनुष्यों को माता-पिता एवं गुरु चरणों में अनुराग तथा भक्ति प्राप्त होती  है, और इन तीनों के आशीर्वाद से विफल काम भी सफल एवं सम्पन्न हो जाता है।
  • समाज एवं घर से क्लेशों की निवृत्ति, भ्रातृप्रेम की अभिवृद्धि तथा परिजनों का विश्वास प्राप्त होता है। 
  • मर्यादा पुरुषोत्तम के सहस्रों नाम जो विशेष गुणों से युक्त है, उनके विधिपूर्वक अनुष्ठान से उन दिव्य गुणों का आगमन यजन कर्ता एवं समस्त परिवारीजनों को प्राप्त होता है. जिसके कारण सर्वत्र अभय पूर्वक विघ्नबाधा रहित जीवन प्रकाशित होता है।
  • भगवान् श्रीरामचन्द्र की कृपा करुणा से सामाजिक प्रतिष्ठा, उन्नति, वैभव, प्रभुता आदि की प्राप्ति होती है।
Process

श्री राम सहस्रनाम पाठ अर्चन एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन

Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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