गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र

गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

भगवती गायत्री सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं।भगवती गायत्री का जप, अनुष्ठान करके जीवात्मा ब्रह्म का बोध सहजता पूर्वक कर सकता है। अठारह विद्याओं में मीमांसा अति श्रेष्ठ है, उससे भी  उत्तरोत्तर न्यायशास्त्र, उससे भी श्रेष्ठ पुराण, धर्मशास्त्र, वेद, उपनिषद् इत्यादि हैं,उनमें से भी अतिश्रेष्ठ गायत्री उपासना अर्थात् गायत्री सहस्रनाम का पाठ है। गायत्री मन्त्र के देवता सविता हैं। गायत्री का शाब्दिक अर्थ है- गायत् त्रायते गाने वाले का त्राण (रक्षा) करने वाली हैं। गायत्री जप अथवा गायत्री सहस्रनाम का पाठ करने वाला कभी पाप से लिप्त नहीं होता गायत्री तो जपेन्नित्यं न स पापेन लिप्यते मां गायत्री के सहस्रनाम पाठ से परिवार में अकाल मृत्यु नहीं होती, और न ही उस घर में सर्प आदि का निवास रहता हैं। अर्थात् सर्पजनित कष्टों से निवृत्ति हो जाती है। "महाभारत" में वर्णित है- कि गायत्री उपासना करने वाला साधक अपने कल्याण के साथ-अपने परिवार की भी सर्वदा रक्षा करता है। देवी गायत्री को वेदमाता कहा गया है।भगवती गायत्री की उपासना श्रीगायत्रीसहस्रनामस्तोत्र के द्वारा करने पर मनोभिलषित फल की प्राप्ति साधक को शीघ्र ही हो जाती है।

यह स्तोत्र श्रीमद्देवी भागवत् महापुराण से उद्धृत है।

गायत्रीं यो न जानाति वृथा तस्य परिश्रमः इस वाक्य से प्रमाणित होता है कि देवी गायत्री की उपासना सर्वोपरि है गीता में भी भगवती गायत्री की महिमा का वर्णन स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा गायत्री छन्दसामहम् मैं वेदों में गायत्री हूँ। इस वाक्य से स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण ने स्वयं और गायत्री में ऐक्यभाव माना है। गायत्री देवी की उपासना श्रीगायत्रीसहस्रनामस्तोत्र से करने पर उस साधक की बुद्धि से अहंकार जड़ता, अज्ञानता, भ्रान्ति आदि भेदभावों का शमन हो जाता है, तथा सदाचार और सुविचारों का उदय हो जाता है । 

Benefits


गायत्री सहस्रनामस्तोत्र की उपासना का फल:-

  • गायत्री सहस्रनाम स्तोत्र की उपासना करने से साधक के समस्त पापों का शमन तथा महा- पातकों से छुटकारा मिलता है।
  • देवी गायत्री का उपासक इहलोक और परलोक उभयत्र सुख प्राप्त करता है।
  • मनोऽभिलषित कार्य की सिद्धि शीघ्र ही हो जाती है।
  • साधक को महासम्पत्ति का लाभ होता है।
  • चंचला माता लक्ष्मी भी इस स्तोत्र पाठ के प्रभाव से स्थिर हो जाती हैं।
  • यह स्तोत्र दुःख एवं दारिद्र्य का विनाशक है।
  • इस स्तोत्र पाठ एवं गायत्री उपासना से मुमुक्षु पुरुषों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • रोगों से मुक्ति तथा कारागृह (जेल) आदि के बंधनों से मुक्ति इस स्तोत्र के प्रभाव से होती है।
Process

गायत्री सहस्रनामस्तोत्र पाठ मैं प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती,

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • पानी वाला नारियल

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