श्री लक्ष्मीनृ‌सिंहसहस्रनाम स्तोत्र

श्री लक्ष्मीनृ‌सिंहसहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 6500 to 15000

About Puja

जगत् के पालक भगवान विष्णु ही अपने परम भक्त प्रह्लाद की, दैत्य हिरण्यकशिपु से रक्षा करने के उद्देश्य से नृसिंह रूप में धरा पर अवतरित हुए। यही स्वरूप श्रीलक्ष्मी जी के साथ होने से श्रीलक्ष्मीनृसिंह भगवान् कहे गये हैं। लक्ष्मीनृसिंह भगवान ब्रह्माण्ड की अद्वितीय संरचनाओं में से एक हैं। जिनका स्वरूप और मुख मण्डल केशरी (सिंह) सदृश तथा शरीर नर के समान है, ऐसे अदभुत् नरसिंह भगवान की उपासना करने से मनुष्य के समस्त कष्टों का नाश हो जाता है। भगवान नृसिंह विष्णु जी के सबसे उग्र अवतार माने जाते हैं। लक्ष्मीनृसिंह भगवान सदा ही अपने भक्तों ( याचकों) को कष्टों से उबारते हैं, तथा समस्त नकारात्मक शक्तियों का भी शमन- दमन करके बीमारियों से रक्षा करते हैं। श्रीलक्ष्मीनृसिंह सहस्रनाम स्रोत्र" है, जिसके द्वारा भगवान लक्ष्मीनृसिंह की उपासना करके भक्त(ग्रह सम्बन्धी बाधा,भूत-प्रेत,नकारात्मकता, डर या असुरक्षा की भावना आदि) से निवृत्त हो जाते  हैं। श्रीलक्ष्मीनृसिंह भगवान  बहुत ही भक्तवत्सल हैं तथा सदैव ही अपने भक्तों की रक्षणार्थ तत्पर रहते हैं इसका उदाहरण श्रीमद्भागवत् महापुराण में मिलता है कि किस प्रकार अपने परम भक्त प्रहलाद को हिरण्यकशिपु से बचाया तथा उस असुर का संहार किया और अपने अनन्य भक्त प्रह्लाद को अभय दान का वर देकर  प्रभु ने अपने भक्तवत्सल होने का प्रमाण दिया। जो भी भक्त भयंकर कष्टो में घिरा हो जब कोई उपाय न सूझ रहा हो उस समय  "नृसिंह भगवान" की स्तुति से समस्त कष्टों का शमन शीघ्र ही नृसिंह भगवान करते हैं। इस प्रकार नृसिंह भगवान अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। इनकी कृपा मात्र से समस्त  कार्य  सम्पन्न होते हैं और भक्तों की  समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

Benefits

श्री लक्ष्मीनृसिंह सहस्रनाम पाठ का माहात्म्य = 

  • इस सहस्रनाम का स्तवन करने से अन्तः करण निर्मल होता है,तथा इहलोक एवं परलोक विषयक कामनाओं की पूर्ति होती है।
  • सिंह के समान बल, तेज,पौरुष की प्राप्ति होती है। 
  • अकाल मृत्यु की निवृत्ति इस सहस्र नामके पाठ से होती है। 
  • शत्रुओं को वश में करना भी इस पाठ की महत्ता है।
  • इस सहस्रनाम का पाठ कराने से आधिदैविक, आधिभौतिक तथा आध्यात्मिक त्रिविध (तापों) दुःखों की निवृत्ति होती है।
Process

श्री लक्ष्मीनृ‌सिंहसहस्रनाम स्तोत्र में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. नवग्रह मण्डल पूजन
  10. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  11. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  12. रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
  13. पाठ विधान
  14. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  15. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  16. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  17. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  18. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  19. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  20. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  21. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  22. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आ

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