Book Pandit for Personalized Puja Experience

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पुरुषसूक्त पाठ एवं हवन

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 वैदिक सूक्तों में पुरुषसूक्त का स्थान अत्यन्त महनीय है।

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नामकरण संस्कार

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  इस जगत् में समस्त व्यक्ति, वस्तु एवं स्थान की कुछ ना कुछ संज्ञा होती है ।

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सरस्वतीसूक्त पाठ एवं हवन

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सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठातृ देवी हैं।

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मेधासूक्त पाठ एवं हवन

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 मेधाशब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - धारणाशक्ति, प्रज्ञा, बुद्धि आदि। मेधाशक्ति से सम्पन्न मनुष्य को ही मेधावी कहते है।

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देवीसूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन

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 देवी सूक्त को वैदिकवाङ्मय में वाक् सूक्त भी कहा गया है तथा इसी सूक्त को आत्मसूक्त भी कहते हैं।

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श्री सूक्त (लक्ष्मी सूक्त) पाठ एवं हवन

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सनातन मतावलम्बियों में ऐसा कौन होगा, जो जगत् की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के मूल कारण भगवान् नारायण की शक्ति,

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जातकर्म संस्कार

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जन्म के बाद जो प्रथम संस्कार होता है ,उसे जातकर्म संस्कार कहते हैं।

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रुद्रसूक्त [शिवसूक्त,नीलसूक्त] पाठ एवं हवन

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भूतेश्वर भगवान् शिव की प्रसन्नता के लिए रुद्रसूक्त के पाठ का अनिर्वचनीय फलश्रुति है।

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सीमन्तोन्नयन संस्कार

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 सीमन्त तथा उन्नयन इन दो शब्दों के योग से सीमन्तोन्नयन सिद्ध हुआ है।

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