Book Pandit for Personalized Puja Experience

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पितृसूक्त पाठ एवं हवन

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यह सूक्त ऋग्वेद दशम् मण्डल में प्राप्त होता है।

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वरुणसूक्त पाठ एवं हवन

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ऋग्वेद के प्रथम मण्डल के 25 वें सूक्त को वरुणसूक्त कहते हैं।

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इन्द्रसूक्त पाठ एवं हवन

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 इन्द्र सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ है, देवता इन्द्र तथा छन्द त्रिष्टुप है।

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पवमानसूक्त पाठ एवं हवन

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अथर्ववेद की पैप्लादशाखा में पठित 21 मन्त्रों को पवमान सूक्त के नाम से जाना जाता है।

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अग्निसूक्त पाठ एवं हवन

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ऋग्वेद में लगभग 200 सूक्तों के द्वारा अग्निदेव का स्तवन  किया गया है।

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सूर्यसूक्त पाठ एवं हवन

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 यह सूक्त ऋग्वेद में उपलब्ध है। सूर्यसूक्त के ऋषि कुत्स -आङ्गिरस ,देवता सूर्य तथा त्रिष्टुप् छन्द है।

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निष्क्रमण संस्कार एवं सूर्यावलोकन

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निष्क्रमण का अर्थ है शिशु को प्रथम बार घर से बाहर निकालना। आचार्य पारस्कर का कथन है

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विष्णुसूक्त पाठ एवं हवन

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सर्वव्यापक होने के कारण परमेश्वर का एक नाम विष्णु भी है।

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नारायणसूक्त पाठ एवं हवन

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 समस्त जीव समूह को नार संज्ञा दी गयी है और उन समस्त जीवों का जो अयन (आश्रय) है,

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