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श्री अन्नपूर्णा सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

माता अन्नपूर्णा देवी हिन्दू धर्म में मान्य देवी- देवताओं में विशेष रूप से पूजनीय हैं। इनकी आराधना जगत्जननी मां जगदम्बा स्वरूप  मे किया जाता है, जिनसे सम्पूर्ण विश्व का संचालन होता है। माता जगदम्बा के अन्नपूर्णा स्वरूप से ही संसार का भरण-पोषण  होता है। अन्नपूर्णा का शाब्दिक  अर्थ (धान्य) अन्न की अधिष्ठात्री देवी हैं ।   श्रीअन्नपूर्णसहस्रनाम स्तोत्र  का वर्णन रुद्रयामल के उत्तरखण्ड में  प्राप्त  होता है।     
इसमें उद्धृत है कि प्राणियों का भोजन (जीवन) माँ अन्नपूर्णा की कृपा से ही प्राप्त होता है। वर्तमान समय में माता अन्नपूर्णा  का काशी  में प्रधान पीठ  है। "ब्रह्मवैवर्त पुराण" के काशी- रहस्य खण्ड में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि भवानी ही साक्षात् माता अन्नपूर्णा हैं।  माता अन्नपूर्णा के स्तवन् से  साधक की समस्त प्रकार की विपत्तियों से रक्षा होती है। अन्नपूर्णा देवी की उपासना करने से भक्त के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। घर में व्याप्त अलक्ष्मी (दरिद्रता) का समूल नाश होता है।
माता अन्नपूर्णा की पूजा आराधना से समस्त प्रकार की मनोभिलषित  कामनाओं की प्राप्ति होती है तथा नित्य आनन्द की  प्राप्ति उपासक को  होती है।

Benefits

श्री अन्नपूर्णासहस्रनामस्तोत्र के पाठ का माहात्म्य :-

  • माता अन्नपूर्णा पाठ के स्तवन् से राजभय तथा चोरभय का विनाश होता है। 
  • अनिष्ट आपदाओं का उन्मूलन होता है तथा प्रचुर मात्रा में अन्न तथा धन  की प्राप्ति होती है। 
  • अभिलषित फलों की प्राप्ति होती है ।
  • समाज में प्रतिष्ठा एवं कीर्ति का विस्तार होता है। 
  • इसके पाठ के द्वारा अमंगलों  का ह्रास होता है तथा  जीवन में  मंगल की प्राप्ति होती है।
  • इस स्तवन की दस आवृत्ति से महारोगों से निवृत्ति होती है।
  • स्त्री सदा आज्ञाकारिणी तथा वश में रहती है।
  • भवबन्धन (संसारबन्धन) से साधक मुक्त  हो जाता है।
Process

श्री अन्नपूर्णासहस्रनामस्तोत्र प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती
  • पंचगव्य गोघृत

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  •  कमलगट्टा
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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