श्रीभवानीसहस्रनामस्तोत्र

श्री भवानी सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

भवानी अर्थात् संसार की पालनकर्तृ माता पार्वती। माता के एक हजार नामों का समायोजन श्रीभवानीसहस्रनामस्तोत्र में किया गया है। यह स्तवन्  रुद्रयामल तन्त्र के नन्दिकेश्वर संवाद से लिया गया है। माता भवानी का यह स्तवन् समस्त मनोभिलषित कामनाओं की पूर्ति कराने में सहायता प्रदान करता है तथा साथ ही साधक के लिए अपने इष्ट के प्राप्ति का यह अमोघ स्तोत्र है। माता भवानी को सर्वशक्तिमयी कहा गया है, जिनकी दया से ही समस्त सांसारिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से गतिमान हो रही हैं। श्रीभवानीसहस्रनाम के स्तवन् से जीवन में किसी प्रकार की अपूर्णता का भान नहीं होता। अर्थात् साधक की समस्त कामनाओं की पूर्ति स्तवन् करने से ही पूर्ण हो जाती है। दु:ख,दारिद्रय आदि से भी मुक्ति माता के  इस दिव्य स्तोत्र के पाठ कराने से मिलती है। इस स्तवन का  विधिपूर्वक पाठ कराने से घर तथा व्यापार में व्याप्त समस्याओं से शीघ्र ही उपासक को लाभ प्राप्त होता है। इस स्तोत्र के पाठ से मनोगत कार्यों की सिद्धि प्राप्त होती है, तथा मस्तिष्क में ओजस्विता आती है और बुद्धि प्रखर हो जाती है। 

Benefits

श्री भवानी सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का माहात्म्य =

  • इस स्तोत्र के प्रभाव से परिवार में परस्पर प्रेमभाव की वृद्धि होती है।
  • यह स्तोत्र भूमि प्राप्ति में सहायक तथा प्रचुर  धन-धान्य की प्राप्ति कराने वाला है।
  • इसके पाठ से शत्रु के द्वारा किया गया अभिचार एवं भय समाप्त होता है।
  • ग्रहबाधा दूर करने का यह पाठ उत्तम साधन है।
  • इसके स्तवन् से पति-पत्नी में परस्पर सम्बन्धों में प्रीति बढ़ती है।
  • यह स्तोत्रपाठ समस्त दुःखो की निवृत्ति कराने वाला है।
  • इस सहस्रनामस्तोत्र पाठ के द्वारा कारागार आदि के बंधन से मुक्त होता है।
  • गर्भपात का भय इस स्तोत्र के प्रभाव से नष्ट होता है।  अर्थात्  यह स्तोत्र गर्भ की रक्षा में सहायता  प्रदान कराने वाला है।
  • अष्टमी, नवमी एवं चतुर्दशी को स्तोत्र पाठ से भक्त का परम कल्याण होता है।
  • कन्या को सुयोग्य वर की प्राप्ति कराने वाला यह स्तोत्र है।
  • किसी के द्वारा प्रयुक्त अभिचार ( जादू-टोना) का फल निष्फल होता है।
  • धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति कराने वाला है। 
     
Process

श्री भवानी सहस्रनाम स्तोत्र प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती
  • पंचगव्य गोघृत

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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