श्री गोपाल सहस्रनामस्तोत्र

श्री गोपाल सहस्रनामस्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 6100 to 15000

About Puja

सृष्टि के उत्पत्ति आदि के मूल कारण भगवान् विष्णु ही हैं। भगवान विष्णु भक्तवत्सल हैं तथा अपने भक्तों पर सदैव अनुकम्पा बनाये रहते हैं। भगवान विष्णु की महिमा अनन्य है,और अपने अनेक स्वरूपों का चयन भक्तों के कल्याण हेतु धारण किया। उन्हीं स्वरूपों में भगवान् विष्णु जी का एक स्वरूप गोपाल है, अर्थात् गायों का पालन -पोषण करने वाला हैं। श्री गोपाल जी की कृपा करुणा से ही समस्त प्राणी अपने- अपने कार्य का निष्पादन भली भांति कर रहे है। यह गोपाल सहस्रनाम श्री सम्मोहन तन्त्र के पार्वती ईश्वर संवाद में उद्धृत है। श्रीगोपाल जी के स्तवन के लिए गोपाल जी का अनन्य और प्रिय स्तोत्र   श्रीगोपाल सहस्रनाम स्तोत्र है।
इस स्तोत्र में भगवान के एक हजार नामों का वर्णन किया गया है। यह गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र विष्णु भक्तों का कल्याण करने वाला तथा महारोगों का निवारण करने वाला है।

 चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति दिलाता है। रोगों से मुक्त होने के साथ ही जेल (कारागृह) के बन्धन आदि से छुटकारा पाने के लिए भी गोपाल सहस्रनाम का पाठ अद्भुत फल देने वाला है, गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र एकमात्र ऐसा पाठ है जिसे करने या किसी विद्वान् के द्वारा करवाने से भक्त साधक के असाध्य रोग, सभी प्रकार के कर्ज और चिंता से मुक्त होकर जीवन के सुखों  का आनंद ले पाता है।

Benefits

श्री गोपाल सहस्रनाम पाठ का माहात्म्य :-

  • इस पाठ के करने अथवा नाम गोत्र के माध्यम से कराने पर पाप राशियों का समूल विनाश होता है।
  • विशेष रूप से यह पाठ व्यापार वृद्धि तथा लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कराया जाता है।
  • इसके पाठ से महारोगों की निवृत्ति होती है।
  • पुरुषार्थ चतुष्टय (धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष) की प्राप्ति होती है।
  • मानसिक, वाचिक एवं शारीरिक तापों की निवृत्ति होती है। 
  • प्रभूत ( पर्याप्त) धन सम्पदा की प्राप्ति होती है। 
  • गोदान एवं ब्रह्मयज्ञ का फल मिलता है।
  • रोग एवं दरिद्रता का विनाश होता है। 
  • दुर्भिक्ष एवं महामारी की निवृत्ति तथा भूत,प्रेत आदि की बाधा का सर्वदा विनाश होता है।
  • रविवार,शुक्रवार, द्वादशी तिथि एवं श्राद्ध के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है।
Process

श्री गोपाल सहस्रनामस्तोत्र पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती,

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • गोदुग्ध,गोदधि

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