About Puja
भगवान् श्रीकृष्ण का सहज एवं सरल स्वभाव है कि वे अपने भक्तों से अतिशय प्रेम करते हैं। प्रभु प्राप्ति के लिए शास्त्रों में विभिन्न प्रकार के मन्त्रों के जप- तप तथा अनुष्ठानों के विषय में वर्णन प्राप्त होता है। लेकिन भगवान् श्रीकृष्ण की विशिष्ट कृपा करुणा तो मात्र प्रेम एवं भक्ति के माध्यम से ही प्राप्त हो जाती है। भगवान् श्रीकृष्ण की आराधना के लिए विभिन्न आर्ष ग्रन्थों में उत्कृष्ट स्तोत्रादि उद्धृत हैं, उन्हीं में से एक श्री कृष्णसहस्रनाम स्तोत्र जो कि विष्णु धर्मोत्तर पुराण में प्राप्त होता हैं। इस स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से अथवा किसी योग्य आचार्य द्वारा पाठ कराने से मनमोहन श्रीकृष्णचन्द्र निश्चित ही भक्त-साधक पर प्रसन्न होकर समस्त लौकिक एवं पारलौकिक फलों की प्राप्ति कराते हैं तथा समस्त मनोकामनाओं को शीघ्र ही पूर्ण करते हैं। श्रीकृष्ण सहस्रनाम स्तोत्र में सोलह कलाओं से परिपूर्ण भगवान् श्री कृष्ण के एक सहस्र नामों का वर्णन किया गया है। इस पाठ के प्रभाव से साधक भक्त के समस्त पाप शान्त हो जाते हैं तथा उस साधक की यश,ख्याति सर्वत्र व्याप्त होती है।
Benefits
श्रीकृष्ण सहस्रनाम पाठ,अर्चन एवं हवन का माहात्म्य:-
- जगत् में जो पुण्य हजारों शिवलिङ्ग की प्रतिष्ठा के उपरान्त प्राप्त होता है वही पुण्य श्रीकृष्ण सहस्रनामस्तोत्र के पाठ करने तथा विधिवत् कराने से साधक को प्राप्त होता है।
- भगवान् श्रीकृष्ण की सहस्रनामस्तोत्र के द्वारा आराधना करने से समस्त प्रकार के अरिष्टों(पापों) का शमन हो जाता है।
- कृष्णोपासक कृष्णोपासना से समस्त अशुभ वासनाओं से निवृत्त होकर कल्याणकारी विचारों से युक्त हो जाता है।
- ऋणत्रय ऋषिऋण,पितृऋण एवं देवऋण से साधक सदा के लिए मुक्त हो जाता है।
- इस स्तोत्र का पाठ करने या किसी योग्य आचार्य के द्वारा कराने से समग्र वेदपाठ करने का फल प्राप्त होता है।
- श्रीकृष्ण सहस्रनामस्तोत्र पाठ, समस्त पारिवारिक क्लेशों को शान्त करता है तथा परिवार में परस्पर स्नेह एवं प्रेम का भाव स्थित रहता है।
- पाठ के प्रभाव से समस्त अमङ्गलों की हानि तथा व्यावसायिक, आर्थिक तथा सामाजिक क्षेत्र में अभ्युदय होता है।
- श्रीकृष्ण सहस्रनामस्तोत्र का पाठ अक्षय प्रतिष्ठा की प्राप्ति एवं शत्रुओं पर विजय हेतु भी कराया जाता है।
- इसके पाठ के प्रभाव से यश, ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि की प्राप्ति के साथ व्यापार में सफलता मिलती है ।
- यह स्तवन साधकों की चिन्ता और संशय को दूर करने में सहायता प्रदान करता है तथा आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि करता है।
Process
श्री कृष्णसहस्रनाम स्तोत्र पाठ अर्चन एवं हवन प्रयोग या विधि::
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
- नवग्रह मण्डल पूजन
- अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- विनियोग
- करन्यास
- हृदयादिन्यास
- ध्यानम्
- स्तोत्र पाठ
- पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
- आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
- घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
- भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
- संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
- प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम
- पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती,
हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-
- काला तिल
- चावल
- कमलगट्टा
- हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
- गुड़ (बूरा या शक्कर)
- बलिदान हेतु पापड़
- काला उडद
- पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
- प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
- हवन कुण्ड ताम्र का 10/10 इंच या 12/12 इंच
- पिसा हुआ चन्दन
- नवग्रह समिधा
- हवन समिधा
- घृत पात्र
- कुशा
- पंच पात्र
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- पानी वाला नारियल
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा , धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- गोदुग्ध,गोदधि