श्रीललितासहस्रनामस्तोत्र

श्री ललिता सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 45 min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

आदि शक्ति माता श्री ललिता जी के सहस्रनामस्तोत्र का वर्णन श्रीब्रह्माण्डपुराण  ललितोपाख्यान के हयग्रीव और अगस्त्य संवाद में प्राप्त होता है । भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर (सती) माता नैमिषारण्य क्षेत्र में लिंगधारिणीनाम से विख्यात हुई जिन्हें ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा। ऐसा वर्णन देवी भागवत महापुराण में मिलता है। एक अन्य कथा के  अनुसार ललिता देवी का प्रादुर्भाव तब हुआ जब भगवान विष्णु द्वारा छोड़े गये चक्र से पाताल लोक समाप्त होने लगा। इस स्थिति से
विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं और सम्पूर्ण पृथ्वी जलमग्न होने लगती है तब सारे ऋषि-मुनि, देवता मिलकर
माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं।  उनकी प्रार्थना से  प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट  होती हैं तथा इस विनाशकारी  चक्र को थाम लेती हैं।
इस प्रकार सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है
ललिता माता देवी सती-पार्वती का ही रूप हैं। ललिता माता  को त्रिपुरसुन्दरी, षोडशी तथा ललिता त्रिपुर सुन्दरी आदि नामों से भी जाना जाता है।

इस सहस्रनाम स्तोत्र में माता के एक हजार दिव्य नामों का वर्णन किया गया है।

Benefits

श्री ललिता सहस्रनामस्तोत्र पाठ का माहात्म्य =

  • ललितासहस्रनामस्तोत्र से माता की आराधना करने से भक्तों को सुख समृद्धि व मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात् जीवन मरण के  निश्चक्र से विमुक्त हो जाता है।
  • यह स्तोत्र सर्वरोगनाशक तथा अकाल मृत्यु का भी निवारण करता है।
  • इस स्तोत्र पाठ से धनसम्पदा की भी वृद्धि होती है।
  • माता ललिता की उपासना करने से निश्चय ही पुत्र की प्राप्ति होती है।
  • समस्त प्रकार के  रोगों का शमन तथा आयु रक्षण इस स्तोत्र के स्तवन् से होता है।
  • इस स्तोत्र के प्रभाव से घर में लक्ष्मी जी का निवास अचल भाव से होता है। 
  • बुद्धि (मेधा) वृद्धि के लिए यह स्तोत्र परम उपयोगी है।
Process

श्री ललिता सहस्रनामस्तोत्र पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  • कमलगट्टा, पंचमेवा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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