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श्री राधाकृष्ण सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

श्रीराधा रानी सनातन हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वह कृष्ण की परम आह्लादिनी, नित्यसंयोगिनी सञ्चारिणी, आनन्दवर्धिनी तथा नित्य प्रेयसी के रूप में ख्यापित हैं। अत एव उन्हें वृन्दावन बिहारी भगवान् श्रीकृष्ण के साथ नित्य संगिनी के रूप में पूजन किया जाता है। राधा रानी को पद्म पुराण के अनुसार लक्ष्मी जी का अवतार स्वीकार किया गया है। वैष्णव समाज में राधारानी को शक्ति और भगवान श्री कृष्ण को शक्तिमान रूप में प्रतिष्ठित हैं। एक ही शक्ति के दो रूपों का एक साथ वर्णन श्रीराधाकृष्ण सहस्रनाम स्तोत्र में किया गया है।

इस स्तोत्र में राधा और कृष्ण के युगल रूप का वर्णन प्राप्त होता है। कृष्ण कहने से स्वामी भक्ति का उदय होता है उसी प्रकार राधा का नाम उच्चारण करने से भक्ति का प्रादुर्भाव अन्त: करण में स्वतः उपस्थापित हो जाता है।(श्रीराधाकृष्णसहस्रनामस्तोत्र) का पाठ करने से भौतिक पदार्थों का लाभ होता है, तथा समस्त क्लेश, रोग, शोक, मोह, मनोविकार से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। यह स्तवन मन्त्रमहार्णव में पूर्वखण्ड के नवम तरङ्ग में उद्धृत है

Benefits

श्री राधाकृष्ण सहस्रनाम पाठ का माहात्म्य=

  • श्री राधाकृष्ण सहस्रनाम के पाठ को करने अथवा कराने से स्त्री में व्याप्त बन्ध्या भाव की निवृत्ति होती है तथा पुत्रप्राप्ति में यह स्तोत्र सहायक है।
  • स्तोत्र पाठ से दरिद्रता एवं समस्त रोगों का समूल विनाश होता है।
  • समस्त शत्रुओं का दमन एवं पापों का प्रशमन इस पाठ के प्रभाव से होता है।
  • इस पाठ के द्वारा सम्मोहन (जादू टोना) आदि क्रियाएं नष्ट होती हैं।
  • अग्नि जनित कष्टों से निवृत्ति होती है।
  • घर तथा व्यापार में सर्वप्रकार से उन्नति का प्रादुर्भाव होता है।
  • अनिष्ट की भावनाओं का अन्त होता है, व्यक्ति को सन्मार्ग पर चलने की शक्ति प्राप्त होती है।
Process

श्री राधाकृष्णसहस्रनामस्तोत्र पाठ प्रयोग या विधि:

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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