श्रीसीतासहस्रनामस्तोत्र

श्री सीता सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 45 min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

     सर्वमङ्गलदायिनी त्रिभुवन जननी माता सीता मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्री रामचन्द्र की सहधर्मिणी हैं। जगत् का प्रत्येक जीव उनके कृपा करुणा द्वारा पोषित है। सद्बुद्धि जीवों का उत्थान तथा दुर्बुद्धि युक्त जीवों का अपने सतीत्व के प्रभाव से  विनाश करने वाली ह़ैं। अभिमानियों के गर्व को समूल विदीर्ण करने वाली हैं। ब्रह्मा, विष्णु, तथा महेश की जननी हैं ।तथा अपने भक्तों का सदैव पोषण करने वाली हैं । श्री सीता सहस्रनाम स्तोत्र का वर्णन महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित आदिकाव्य श्री वाल्मीकि रामायण के अद्भुतोत्तरकाण्ड में वर्णित है। इस सहस्रनाम  में जगत्जननी मां जानकी के दिव्य  एक हजार नामों का वर्णन किया गया है। इन  दिव्य नामों के स्तवन् (पाठ)मात्र से ही साधक को आध्यात्मिक तथा आधिभौतिक लाभ होता है। इस स्तोत्र के स्तवन् करने से  भगवान श्रीराम के प्रति साधक की प्रीति बढती है तथा भगवान् राम अति शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। माता सीता को सौभाग्य की देवी तथा माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। राजा जनक की पुत्री होने के कारण इन्हें जानकी, जनकसुता भी कहा जाता है।माता सीता को मिथिला की राजकुमारी होने के कारण मैथिली नाम से भी प्रसिद्धि प्राप्त है ।  सीतासहस्रनाम का स्तवन् करके साधक  नित्य ही यश की प्राप्ति करता है तथा समस्त अभीष्ट वस्तुओं को सहज ही प्राप्त  कर लेता है। माता सीता *मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी हैं, इसलिये माता को जगज्जननी भी कहा गया है।

Benefits

श्री सीता सहस्रनामस्तोत्र पाठ माहात्म्य :-

  • श्री सीता सहस्रनाम स्तोत्र के स्तवन्(पाठ) से महामारी, आधि व्याधि आदि भयानक उपद्रवों से श्रद्धालु पाठक(यजनकर्ता) की  निश्चय  ही रक्षा होती है।
  • इस सहस्रनामस्तोत्र के प्रभाव से शत्रुओं की पराजय होती है।
  • इस स्तोत्र के प्रभाव से साधक को अभिलषित वस्तुओं की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
  • चारों वर्णों ( ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य, शूद्र) को अपने- अपने अभीष्ट कामनाओं की सिद्धि होती है।
  • भगवान् श्रीरामचन्द्र की कृपा प्राप्त होती हैं।
  • इसके पाठ करने से ही साधक को भौतिक वस्तओं की प्राप्ति होती है, साथ ही नवीन कार्यों के द्वार भी खुल जाते हैं।अर्थात् आय के मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं।
Process

श्री सीता सहस्रनाम स्तोत्र प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन
  • चावल(छोटा वाला)
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती
  • पंचगव्य गोघृत

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  • कमलगट्टा, पंचमेवा 
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • गरी गोला 
  • तुलसी पत्र -7
  • पानी वाला नारियल,
  • दीपक मिट्टी का 
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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