वक्रतुण्ड महागणपति

श्री वक्रतुण्ड महागणपति सहस्रनाम स्त्रोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

प्रथम पूज्य भगवान गणपति सिद्धि- बुद्धि के प्रदाता हैं और समस्त प्राणियों  के विघ्नों का हरण करने वाले हैं। भगवान् गणेश का ही दूसरा नाम महागणपति और वक्रतुण्ड भी हैं। भगवान गणपति के एक हजार नामों की स्तुति इस श्रीवक्रतुण्डमहागणपतिसहस्रनामस्तोत्र में की गयी है। यह सहस्रनाम स्तोत्र शाक्त प्रमोद नामक ग्रन्थ के गणेशतन्त्र से उद्धृत है। भगवान गणेश का यह स्तोत्र  साधक के  पाप, ताप, एवं संताप आदि दोषों को दूर करने में सहायक है। सच्ची श्रद्धा, भक्ति एवं विश्वास के साथ विधि विधान से इस सहस्रनाम स्तोत्र  का पाठ करने से समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।भगवान गणेश के इस दिव्य सहस्रनामस्तोत्र का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है। भगवान गणेश के स्तवन् से प्रतिकूल परिस्थितियां अनुकूल होतीहैं, तथा घर में  मंगल कार्यों का सृजन होता है। समस्त कार्यों को निर्विघ्नतया पूर्ण करने के लिए भगवान गणपति का प्रथम पूजन,अर्चन एवं वन्दन  का विधान शास्त्रों में वर्णित है। भगवान वक्रतुण्ड समस्त देवों के द्वारा वन्दनीय अनन्त शुभ गुण गणों से युक्त तथा अपने भक्तों के दुःखों का हरण करने वाले,अनन्त सुखों को प्रदान करने वाले हैं। भगवान गणपति की अर्चना करने से  विद्या, विनय, वैभव  तथा बुद्धि की प्राप्ति होती है और घर में व्याप्त समस्त अमंगलों का  विनाश होता है।

Benefits

श्रीवक्रतुण्डमहामहागणपतिसहस्रनामस्तोत्र पाठ का माहात्म्य=:-

  • वक्रतुण्ड महागणपति स्तोत्र के स्तवन् से उपासक को आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य, धर्म, शौर्य, बल, यश, प्रज्ञा, कान्ति एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है। 
  • यह स्तोत्र वाद-विवाद में विजय प्राप्त कराने वाला है।
  • समस्त विघ्न, कलह एवं दुःस्वप्न आदि से रक्षण करता है।
  • इस  स्तोत्र के द्वारा गणपति स्तवन् से दुर्भिक्ष की शान्ति तथा दूर्वा के द्वारा अर्चन करने से बाधाओं का विनाश होता है।
  • अकूत धन धान्य की प्राप्ति होती है तथा माता लक्ष्मी का सानिध्य निरन्तर बना रहता है।
  • यह स्तोत्र ज्ञान एवं वैराग्य की प्राप्ति कराने वाला है।
  • इस स्तोत्र पाठ से दान, व्रत एवं यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
  • दुर्वाङ्कुरों  से गणपति पूजन एवं अर्चन करने से परम सिद्धि की प्राप्ति होती  है।
  • इस स्तोत्र के स्तवन् से समस्त विघ्नों का शमन तथा भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।


 

Process

श्री वक्रतुण्ड महागणपति सहस्रनाम स्त्रोत्र प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, 
  • पंचगव्य गोघृत

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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