ganga mata

श्री गंगा सहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 7100 to 15000

About Puja

श्री गंगा सहस्रनाम स्तोत्र

माता गङ्गा सभी मनोरथों को प्रदान कराने वाली प्रत्यक्ष रूप में सदैव मनुष्यों के कल्याण हेतु कल-कल निनाद करते हुए धरा पर निरन्तर प्रवाहित हो रही हैं।जलरूप में ये साक्षात् धर्म की राशि हैं, तथा भगवान विष्णु के चरणारविन्दों से प्रकट हुई सुधा रूपी सार हैं। दुःख दारिद्र्य का शमन करने वाली माता गंगा का यह *श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्र*  है। इस स्तोत्र का वर्णन *स्कन्दपुराण में काशीखण्ड के पूर्वार्द्ध*  में है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माता गंगा की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के कमंडल के जल से एक युवती के रूप में प्राकट्य हुआ। दूसरी मान्यता यह है, कि  वैष्णव सन्तों के अनुसार ब्रह्मा जी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमण्डलु में एकत्रित कर लिया।

राजा सगर के साठ हजार पुत्रों की मृत्यु कपिल मुनि के श्राप के कारण हो गयी, तथा उनकी आत्माएं प्रेत बनकर इधर-उधर विचरण करने लगी अर्थात् मोक्ष नहीं हुआ। उनकी शान्ति तथा मोक्षार्थ भगीरथजी ने प्रतिज्ञा की कि वे माता गंगा को पृथ्वी पर अवतरित करेगे, जिससे माता गंगा के जल से सगर के पुत्रों के पाप शान्त हो जाए, तथा उनको मोक्ष की प्राप्ति हो सके। इसके निमित्त भगीरथ जी ने ब्रह्मा जी आराधना की। ब्रह्मा जी प्रसन्न हुये और माता गंगा को आदेश दिया कि वे पृथ्वी पर जायें। इस प्रकार माता गंगा का आगमन पृथ्वी पर हुआ और उन सगरपुत्रों की आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति हुई।इस गंगा सहस्र नाम स्तोत्र में माता गंगा के एक हजार दिव्य नामों  का वर्णन किया गया है। इसकी आराधना से समस्त विघ्नों  की शान्ति हो जाती है। इसका पाठ करने से मनुष्य को गंगा स्नान का फल  प्राप्त होता है। इस स्तोत्र का पाठ मन को नियंत्रित करके भक्तिपूर्वक करने अथवा कराने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, तथा समस्त पापों से साधक मुक्त हो जाता है ।

Benefits

श्री गंगा सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ का माहात्म्य:-

श्री गंगासहस्रनाम स्तोत्र के पाठ को करवाने से *सुयोग्य पुत्र* की प्राप्ति होती है।

* समस्त उपद्रवों का विनाश, दीर्घायु की प्राप्ति एवं आरोग्य लाभ इनके स्तवन् से होता है।

* इस सहस्रनाम पाठ से समस्त अभीष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है तथा अमंगलों की निवृत्ति यथा शीघ्र हो जाती है।

* आधि एवं व्याधि का सर्वथा विनाश होता है समस्त देवों की पूजा का फल इसके स्तवन् होता है।

* अकाल मृत्यु तथा भय से सर्वथा के लिए निवृत्ति हो जाती है।

* महापातकों का शमन होता  है, तथा मोक्ष प्राप्ति का उत्तम उपाय इस सहस्रनाम का पाठ है।

* श्रद्धापूर्वक पाठ करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।

* इस स्तोत्र पाठ से पूर्वजों को प्रसन्नता की प्राप्ति होती है, तथा गंगा मां का विशिष्ट गुण शीतलत्व पावनत्व आदि गुणों       की वृद्धि होती है।

Process

श्री गंगा सहस्रनाम स्तोत्र के पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग
  17. करन्यास
  18. हृदयादिन्यास
  19. ध्यानम्
  20. स्तोत्र पाठ
  21. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  22. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  23. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  24. भूरादि नौ आहुति, स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  25. संस्रवप्राशन, मार्जन, पूर्णपात्र दान
  26. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  27. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  1. रोली, कलावा    
  2. सिन्दूर, लवङ्ग 
  3. इलाइची, सुपारी 
  4. हल्दी, अबीर 
  5. गुलाल, अभ्रक 
  6. गङ्गाजल, गुलाबजल 
  7. इत्र, शहद 
  8. धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  9. यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  10. देशी घी, कपूर 
  11. माचिस, जौ 
  12. दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  13. सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  14. अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  15. चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  16. पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  17. सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  18. पञ्चरत्न, मिश्री 
  19. पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  1.  काला तिल 
  2.  चावल 
  3.  कमलगट्टा
  4.  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  5.  गुड़ (बूरा या शक्कर)
  6.  बलिदान हेतु पापड़
  7.  काला उडद 
  8.  पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  9.  प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  10.  हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  11.  पिसा हुआ चन्दन 
  12.  नवग्रह समिधा
  13.  हवन समिधा 
  14.  घृत पात्र
  15.  कुशा
  16.  पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  1. वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  2. गाय का दूध - 100ML
  3. दही - 50ML
  4. मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  5. फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  6. दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  7. पान का पत्ता - 07
  8. पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  9. पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  10. आम का पल्लव - 2
  11. विल्वपत्र - 21
  12. तुलसी पत्र -7
  13. शमी पत्र एवं पुष्प 
  14. थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  15. अखण्ड दीपक -1
  16. देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  17. बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  18. गोदुग्ध,गोदधि

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