About Puja
गोस्वामी तुलसी दास जी द्वारा विरचित श्रीरामचरितमानस सप्त काण्डों में विभक्त है,जिसका पञ्चम काण्ड (सोपान) सुन्दरकाण्ड के नाम से विख्यात है। सुन्दर काण्ड नामकरण का आधार यह है कि- सत्यं शिवं सुन्दरं अर्थात् सत्य ही शिव का स्वरूप और शिव परम सुन्दर हैं तथा श्री हनुमानजी महाराज भगवान् शिव के एकादश अवतार हैं और इस काण्ड में श्री राम जी के अनन्य भक्त श्री हनुमानजी महाराज की अष्टसिद्धियों, विभिन्न शक्तियों तथा तेज,बल,पराक्रम का विशद् वर्णन किया गया है। श्री हनुमानजी महाराज के बल, बुद्धि और विद्या आदि की महिमा का उल्लेख सुन्दरकाण्ड में प्राप्त होता है।
इस काण्ड के माध्यम से यह बताया गया है कि जीवन में कोई भी कार्य असम्भव नहीं है, बस व्यक्ति में एक दृढ़निश्चय, आत्मविश्वास और संकल्प साधना की शक्ति होनी चाहिए। श्री हनुमान महराज जी के बल और पराक्रम को समर्पित सुन्दरकाण्ड का पाठ विधि-विधान के द्वारा करने से भक्त ( पाठक) की समस्याओं का समाधान हो जाता है। इस पाठ के माध्यम से साधक की कुण्डली में स्थित शनि ग्रह जनित अशुभ प्रभाव शान्त हो जाता है, तथा भक्त के जीवन में अपार सुख -समृद्धि और घर में शान्ति स्थापित होती है। शास्त्रोक्त विधि के अनुसार पूजा करने से जीवन में समृद्धि आती है। इस पूजा को कराने से भक्त को मनोवाञ्छित फल प्राप्त होते हैं। पूजा के प्रभाव से आचार, व्यवहार तथा व्यापार में सकारात्मकता आती है,जीवन में प्रसिद्धि, समाज में प्रतिष्ठा,यश और मान-सम्मान प्राप्त होता है।
घर के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर होता है।यह पूजा अथवा अनुष्ठान सम्पन्न कराने से आपके महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण होते हैं। इस पूजा के प्रभाव से आपके वो सभी कार्य जो रुके हुए थे,वो पूरे हो जाते हैं, तथा शारीरिक और मानसिक चिन्ताएं दूर होती हैं।
Benefits
सुन्दरकाण्ड पाठ का माहात्म्य
- समस्त संकटों से रक्षा करता है तथा अभय वरदान प्राप्त होता है।
- नौकरी, शिक्षा, करियर और जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं।
- इस पाठ के प्रभाव से शनि ग्रह जनित समस्त नकारात्मक प्रभावों की निवृत्ति होती है,और हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
- यह दिव्य पाठ शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने का अचूक उपाय है।
- इस पाठ के प्रभाव से घर में व्याप्त भूत-प्रेत जनित समस्त बाधाओं की निवृत्ति होती है, तथा घर में सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- इस पाठ के प्रभाव से उपासक को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति,तथा विद्या आदि विभिन्न क्षेत्रों में सफलता भी मिलती है।
Process
सुन्दरकाण्ड पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-
- स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
- प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
- गणपति गौरी पूजन
- कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
- षोडशमातृका पूजन
- सप्तघृतमातृका पूजन
- आयुष्यमन्त्रपाठ
- नवग्रह मण्डल पूजन
- पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन
- रक्षाविधान,
- प्रधान देवता पूजन
- पाठ विधान
- ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
- आरती, विसर्जन
Puja Samagri
वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-
- रोली, कलावा
- सिन्दूर, लवङ्ग
- इलाइची, सुपारी
- हल्दी, अबीर
- गुलाल, अभ्रक
- गङ्गाजल, गुलाबजल
- इत्र, शहद
- धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई
- यज्ञोपवीत, पीला सरसों
- देशी घी, कपूर
- माचिस, जौ
- दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा
- सफेद चन्दन, लाल चन्दन
- अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला
- चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का
- सप्तमृत्तिका
- सप्तधान्य, सर्वोषधि
- पञ्चरत्न, मिश्री
- पीला कपड़ा सूती
यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-
- वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
- गाय का दूध - 100ML
- दही - 50ML
- मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार
- फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
- दूर्वादल (घास ) - 1मुठ
- पान का पत्ता - 07
- पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
- पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
- आम का पल्लव - 2
- विल्वपत्र - 21
- तुलसी पत्र -7
- शमी पत्र एवं पुष्प
- थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि
- अखण्ड दीपक -1
- देवताओं के लिए वस्त्र - गमछा, धोती आदि
- बैठने हेतु दरी,चादर,आसन
- पानी वाला नारियल
- तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
- गोदुग्ध,गोदधि