यमुनास

श्री यमुनासहस्रनाम स्तोत्र

सहस्रनाम स्तोत्र पाठ | Duration : 4 Hrs 30 Min
Price Range: 6100 to 11000

About Puja

माता यमुना सम्पूर्ण सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं। इनके पिता सूर्य है, तथा यमुना जी की उत्पत्ति के विषय में श्री गर्ग संहिता' के माधुर्यखण्ड में वर्णन उद्धृत है। यमुना जी की उत्पत्ति श्रीकृष्ण के बायें कंधे से  हुई। माता यमुना साक्षात् श्रीकृष्णस्वरुपिणी है। श्रीयमुनासहस्रनामस्तोत्र के  स्तवन् से समस्त कुत्सित कर्मों  का शमन हो जाता है  ।कुबुद्धि मनुष्य  भी यमुना जी में स्नान करके स्वंय  को कृतार्थ कर लेता है। यमुना जी के स्तवन् से श्रीकृष्ण जी प्रसन्न हो जाते हैं। अर्थात् श्रीकृष्ण जी की कृपा भक्तों को  प्राप्त होती । हमारे धर्मशास्त्रों में उद्धृत है कि भगवान श्रीराधाकृष्ण यमुना जी के तट पर ही रासोत्सव करते थे। कृष्ण दर्शन और  यमुना जी के स्तवन् मात्र से साधक को सहज रूप में  मनोवांछित कामना की प्राप्ति होती है ।
माता यमुना जी में स्नान करने से मनुष्य समस्त कामनाओं की प्राप्ति शीघ्र ही कर लेता है।

Benefits

श्री यमुनासहस्रनामस्तोत्र का माहात्म्य :-

  • यह स्तवन् समस्त सिद्धियों की प्राप्ति करानेवाला उत्तम साधन है। 
  • श्रीयमुनासहस्रनामस्तोत्रपाठ करने अथवा कराने से साधक के यश और कीर्ति का विस्तार सर्वत्र होता है ।
  • इस स्तोत्र के प्रभाव से समस्त पापों का दमन हो जाता है तथा पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • यह स्तोत्र दीर्घायु को प्रदान करने वाला है।
  • भक्तिपूर्वक श्रद्धा के साथ इस सहस्रनाम  स्तोत्र का पाठ दस बार करने से रोगी रोग से मुक्त हो जाता है।
  • गर्भिणी स्त्री को पुत्र की प्राप्ति होती है।
  • कैद में पड़ा व्यक्ति  बन्धन से मुक्त हो जाता है।
  • सम्मोहन और वशीकरण इसके स्तवन् से मनुष्य सहज ही प्राप्त कर लेता है।
  • चोर एवं दस्युओं के भय की निवृत्ति होती है।
  • ब्राह्मण ब्रह्मतेज से सम्पन्न  क्षत्रिय बल एवं प्रभुता से युक्त वैश्य धन वैभव से समृद्ध  तथा शूद्र का आचरण निर्मल हो जाता है
  • वल्लभ सम्प्रदाय के प्राचीन मन्दिरों में यमुना जल से ही बना हुआ प्रसाद ठाकुर जी को अर्पण होता है, यमुना जल परम पावन एवं निर्मल है। इनकी आराधना से गोलोक का मार्ग प्रशस्त होता है।
Process

श्री यमुनासहस्रनाम स्तोत्र पाठ में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, प्रधान देवता पूजन
  14. पाठ विधान
  15. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  16. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  17. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  18. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  19. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  20. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  21. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  22. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  23. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती
  • पंचगव्य गोघृत

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र

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