सत्यनारायण कथा का पाठ करवाने के 10 लाभ

सत्यनारायण कथा का पाठ करवाने के 10 लाभ

सत्यनारायण कथा, भगवान विष्णु को समर्पित एक प्रमुख कथा है, जिसके प्रभाव से भगवान नारायण की कृपा सदैव व्यक्ति पर बनीं रहती है। सत्यनारायण दो शब्दों से मिलकर बना है- सत्य और नारायण, जिसमें नारायण का अभिप्राय: भगवान विष्णु से है। "सत्यमेव जयति नानृतम्"  अर्थात् सत्य की ही सदा विजय होती है और यही सिद्धान्त सत्यनारायण व्रत कथा का सार है। सत्यनारायण पूजा विशेष अवसर जैसे की विवाह, जन्मदिन, मुंडन, वैवाहिक वर्षगांठ एवं शुभ कार्यों की सफलता के लिए की जाती है। कई स्थानों पर यह पूजा गृह प्रवेश एवं निर्माण कार्य से पूर्व भी की जाती है साथ ही व्यवसाय में उन्नति एवं घर में सुख समृद्धि के लिए लोग सत्यनारायण व्रत कथा सुनते है तथा सुनते हैं। 

सत्यनारायण पूजा का महत्व और विशेषता 

सत्यव्रतं सत्यपरं त्रिसत्यं 

सत्यस्य योनिं निहितं च सत्ये। 

सत्यस्य सत्यमृतसत्यनेत्रं 

सत्यात्मकं त्वां शरणं प्रपन्ना:।। 

श्रीमद्भागवत के इस श्लोक का अर्थ है कि, भगवान नारायण ही सत्य के संकल्प  हैं, सत्य के माध्यम से भगवान की प्राप्ति होती है। सृष्टि की रचना से पहले, प्रलय के बाद एवं संसार की स्थिति के समय – इन सब असत्य अवस्थाओं में केवल नारायण ही सत्य हैं। पंच तत्व- पृथ्वी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि के कारण आप ही हैं। नारायण ही मधुरवाणी और समन दर्शन के प्रवर्तक हैं। भगवान ही सत्यस्वरूप हैं, इसलिए हम आपकी शरण में आते हैं।  

श्रीमद्भागवत पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतार उल्लेखित हैं और प्रत्येक अवतार भगवान ने धर्म की रक्षा के लिए लिये हैं। भगवान नारायण की कृपा जिस व्यक्ति पर पड़ती हैं उसका जीवन संवर जाता है, इसके कुछ उदाहरण हमारे पुराणों एवं शास्त्रों में प्राप्त है।  

1. कहा जाता है कि महान ज्ञाता शतानन्द नामक ब्राह्मण अपने दूसरे जन्म में सुदामा नामक ब्राह्मण के रूप में जन्मे एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र बने और उनकी कृपा भी प्राप्त हुई।  

2. महाराज उल्लकामुख को अपने अगले जन्म में राजा दशरथ बनकर भगवान राम जी के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।  

सत्यनारायण कथा की प्रक्रिया 

सत्यनारायण कथा में सर्वप्रथम पवित्र होकर पूजन की समस्त सामग्रियों को कथा स्थल पर रखा जाता है, उसके बाद वैदिक ब्राह्मण के द्वारा स्वस्तिवाचन, संकल्प, गणपति गौरी पूजन, कलश में देवताओं का आवाहन एवं पूजन, नवग्रह, षोडश मातृका, सप्त घृत मातृका, पंचलोकपाल, दशदिक्पाल आदि देवताओं के साथ श्री शालिग्राम भगवान की पूजा अर्चना विधि विधान से करके सत्यनारायण व्रत कथा का श्रवण किया जाता है तथा कथा श्रवण के बाद हवन के द्वारा पूर्णाहुति दी जाती है।  

सत्यनारायण कथा के लाभ 

1. भक्तिभाव में लीन होकर जो व्यक्ति सत्यनारायण व्रत कथा करता है, उसे सत्य अनुपालन की शक्ति के साथ धन धान्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही केवल सत्यनारायण कथा मात्र सुनने से भी फल की प्राप्ति होती है।  

2. सत्यनारायण कथा के पाठ से निर्धन व्यक्ति धनी, जिज्ञासु व्यक्ति बुद्धिमान एवं भयभीत व्यक्ति को अभय की प्राप्ति होती है।  

3. सत्यानारायण कथा के प्रभाव से व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।  

4. भगवान नारायण की कृपा से समस्त दुःखों का नाश होता है, साथ ही व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।  

5. जो व्यक्ति सत्यनारायण व्रत का आचारण एवं अनुपालन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं एवं मनोरथ सिद्ध होता है।  

6. सत्यनारायण कथा से व्यवसाय में समृद्धि आती है एवं हर प्रकार से लाभ ही लाभ मिलता है।  

7. सत्यनारायण व्रत एवं कथा से व्यक्ति को परलोक की प्राप्ति होती है। 

8. इस पूजा से व्यक्ति के समस्त दु:खों का नाश होता है एवं सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। 

9. सत्यनारायण कथा सुनने से सत्य के प्रति निष्ठा तथा सत्य का अनुपालन करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।  

10. जो व्यक्ति सत्य का आचरण करता है, समस्त लौकिक सामग्रियां स्वयं उपस्थित हो जाती हैं।  

सत्यनारायण कथा  

स्कंदपुराण में उल्लेखित सत्यनारायण की कथा- 

एक बार ऋषियों तथा मुनियों ने सूत जी से पूछा कि किस व्रत या तपस्या से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी? तब सूत जी बताते हैं कि एक बार नारद जी लोगों के कल्याण हेतु अपनी लोक यात्रा पर निकले और जब वह मृत्युलोक में पहुंचे तो उन्होंने मनुष्य के कर्म के अनुसार उन्हें दुख क्लेश के रूप में फल भोगते हुए देखा, तो उनके मन में शंका उठी कि इनके दुखों का नाश कैसे हो सकता हैं?  इसी प्रश्न के उत्तर के लिए वह विष्णु लोक पहुंचे। वहां पर भगवान ने उनका प्रश्न सुना और कहा कि  विधि विधान पूर्वक भगवान सत्यनारायण का व्रत करने से मनुष्य शीघ्र ही सारे पापों से मुक्त होकर सुख की प्राप्ति के साथ परलोक में मोक्ष प्राप्त करेगा। उन्होंने कहा कि सत्यनारायण कथा या व्रत से व्यक्ति के समस्त दुखों का शमन होता है, धन धान्य की वृद्धि होती है, संतान एवं सौभाग्य के साथ सर्वत्र विजय प्रदान होती है। अत: इस प्रकार से सत्यनारायण व्रत कथा एवं पाठ करने से व्यक्ति को धन धान्य, सुख की प्राप्ति होती है, साथ ही समस्त दु:खों का नाश होता है।  

Vaikunth Blogs

Bhai Dooj 2023: तिलक का शुभ मुहूर्त और यमुना स्नान का विशेष महत्व
Bhai Dooj 2023: तिलक का शुभ मुहूर्त और यमुना स्नान का विशेष महत्व

भाईदूज एक दूसरे के प्रति भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष क...

दिवाली 2023: पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व
दिवाली 2023: पूजा का शुभ मुहूर्त एवं महत्व

दिवाली एक महत्वपूर्ण महापर्व है, जिससे लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है, इसलिए इस पर्व को बड़े ही...

Vat Savitri Puja 2024: Date, Time, Vidhi and Benefits
Vat Savitri Puja 2024: Date, Time, Vidhi and Benefits

Vat Savitri is one of the most regarded festivals in Sanatan Dharma, celebrated by married women. Th...

धन- वैभव, समृद्धि और यश के विस्तार हेतु करें माता जया की यह स्तुति
धन- वैभव, समृद्धि और यश के विस्तार हेतु करें माता जया की यह स्तुति

श्री मार्कण्डेयपुराण के अन्तर्गत देवताओं के द्वारा भगवती जया की स्तुति की गयी | इस स्तुति में भगवती...

कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय
कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय

हमारे जीवन की डोर हमारी कुंडली में होती है अर्थात् व्यक्ति की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है...

पञ्च महापातकों से निवृत्ति एवं माता ललिता देवी की कृपा प्राप्ति हेतु
पञ्च महापातकों से निवृत्ति एवं माता ललिता देवी की कृपा प्राप्ति हेतु

श्रीमत् शंकराचार्य जी द्वारा विरचित यह स्तोत्र है | भगवती ललिता के विभिन्न स्वरूपों का स्मरण किया गय...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account