कन्याओं के लिए उत्तम वर प्रप्ति तथा भक्तों के दुःख का हरण करने वाला कात्यायनी स्तोत्र

कन्याओं के लिए उत्तम वर प्रप्ति तथा भक्तों के दुःख का हरण करने वाला कात्यायनी स्तोत्र

श्री महाभागवत पुराण के अन्तर्गत श्रीराम जी द्वारा कात्यायनी माता की स्तुति की गयी है | जो मनुष्य प्रतिदिन इस कात्यायनी स्तुति का पाठ करता है, उसके जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाएँ दूर होती हैं, एवम् सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं | कात्यायनी स्तोत्र का पाठ करने से से कन्याओं को मनोभिलसित वर की प्राप्ति होती है |  

स्तुति :- 

श्रीराम उवाच 

        नमस्ते त्रिजगद्वन्द्ये संग्रामे जयदायिनि ।
        प्रसीद विजयं देहि कात्यायनि नमोऽस्तु ते ॥१॥

श्रीरामचन्द्र जी बोले- त्रिलोकवन्दनीया ! युद्ध में विजय देने वाली ! कात्यायनी ! आपको बार-बार नमस्कार है | आप मुझ पर प्रसन्न हों, और मुझे विजय प्रदान करें |

        सर्वशक्तिमये दुष्टरिपुनिग्रहकारिणि ।
        दुष्टजृम्भिणि संग्रामे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥

सर्वशक्तिमयी, दुष्ट शत्रुओं का निग्रह करने वाली, दुष्टों का संहार करने वाली भगवती ! संग्राम में मुझे विजय प्रदान करें , आपको नमस्कार है | 

        त्वमेका परमा शक्तिः सर्वभूतेष्ववस्थिता ।
        दुष्टं संहर संग्रामे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥

आप ही सभी प्राणियों में निवास करने वाली पराशक्ति हैं, संग्राम में दुष्ट राक्षस का संहार करें, और मुझे विजय प्रदान करें | आपको नमस्कार है |

        रणप्रिये रक्तभक्षे मांसभक्षणकारिणि ।
        प्रपन्नार्तिहरे युद्धे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥  

युद्धप्रिये ! शरणागत की पीड़ा हरने वाली ! तथा {रक्षासों} का रक्त एवम् मॉस भक्षण करने वाली [जगदम्बे !] युद्ध में मुझे विजय प्रदान करें, आपको नमस्कार है |   

        खट्वाङ्गासिकरे मुण्डमालाद्योतितविग्रहे ।
        ये त्वां स्मरन्ति दुर्गेषु तेषां दुःखहरा भव॥५॥

हाथ में खट्वांग तथा खड्ग धारण करने वाली एवम् मुण्डमाला से सुशोभित विग्रह वाली भगवती ! विषम परिस्थितियों में जो आपका स्मरण करते हैं, उनका दुःख हरण कीजिये |     

        त्वत्पादपङ्कजादैन्यं नमस्ते शरणप्रिये । 
        विनाशय रणे शत्रून् जयं देहि नमोऽस्तु ते॥ ६ ॥

शरणागतप्रिये ! आप अपने चरणकमल के अनुग्रह से दीनता(दुःख) का नाश कीजिये | युद्धक्षेत्र में शत्रुओं का विनाश कीजिये और मुझे विजय प्रदान कीजिये , आपको नमस्कार है, पुनः नमस्कार है | 

        अचिन्त्यविक्रमेऽचिन्त्यरूपसौन्दर्यशालिनि |
        अचिन्त्यचरितेऽचिन्त्ये जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ७ ॥

आपका पराक्रम, रूप, सौन्दर्य, तथा चरित्र अपरिमित होने के कारण सम्पूर्ण रूप से चिन्तन का विषय बन नहीं सकता | आप स्वयं भी अचिन्त्य हैं | मुझे विजय प्रदान कीजिये, आपको नमस्कार है | 

        ये त्वां स्मरन्ति दुर्गेषु देवीं दुर्गविनाशिनीम्। 
        नावसीदन्ति दुर्गेषु जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥

जो लोग विपत्तियों में दुर्गति का नाश करने वाली आप भगवती का स्मरण करते हैं, वे विषम परिस्थितियों में दु:खी नहीं होते | आप मुझे विजय प्रदान कीजिये , आपको नमस्कार है | 

        महिषासृक् प्रिये संख्ये महिषासुरमर्दिनि ।
        शरण्ये गिरिकन्ये मे जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ९ ॥ 

युद्ध में महिषासुर का मर्दन करने वाली तथा उस महिषासुर के रक्तपान में अभिरुचि रखने वाली, शरण ग्रहण करने योग्य हिमालयसुता ! आप मुझे विजय प्रदान कीजिये , आपको नमस्कार है | 

        प्रसन्नवदने चण्डि चण्डासुरविमर्दिनि । 
        संग्रामे विजयं देहि शत्रूञ्जहि नमोऽस्तु ते ॥ १०॥

चण्डासुर का नाश करने वाली प्रसन्नमुखी चण्डिके ! युद्ध में शत्रुओं का संहार कीजिये और मुझे वर प्रदान कीजिये, आपको नमस्कार है |  

        रक्ताक्षि रक्तदशने रक्तचर्चितगात्रके । 
        रक्तबीजनिहन्त्री त्वं जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ ११ ॥

रक्तवर्ण के नेत्र वाली, रक्तरंजित दन्तपंक्ति वाली तथा रक्त से लिप्त शरीर वाली भगवती ! आप रक्तबीज का संहार करने वाली हैं, आप मुझे विजय प्रदान करें , आपको नमस्कार है |    

        निशुम्भशुम्भसंहन्त्रि विश्वकर्त्रि सुरेश्वरि ।
        जहि शत्रून् रणे नित्यं जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ १२॥ 

निशुम्भ तथा शुम्भ का संहार करने वाली,  जगत् की सृष्टि करने वाली सुरेश्वरी ! आप नित्य युद्ध में शत्रुओं का संहार कीजिये और मुझे विजय प्रदान कीजिये, आपको नमस्कार है | 

        भवान्येतज्जगत्सर्वं त्वं पालयसि सर्वदा।
        रक्ष विश्वमिदं मातर्हत्वैतान् दुष्टराक्षसान् ॥ १३ ॥ 

भवानी ! आप सदा इस सम्पूर्ण जगत् का पालन करती हैं | मात: ! आप इन दुष्ट राक्षसों को मारकर इस विश्व की रक्षा कीजिये |

        त्वं हि सर्वगता शक्तिर्दुष्टमर्दनकारिणि । 
        प्रसीद जगतां मातर्जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ १४॥

दुष्टों का संहार करने वाली भगवती ! आप सब में विद्यमान रहने वाली शक्तिस्वरूपा हैं, जगन्माता ! प्रसन्न होइये, मुझे विजय प्रदान कीजिये, आपको नमस्कार है |

        दुर्वृत्तवृन्ददमनि सद्वृत्तपरिपालिनि ।
        निपातय रणे शत्रूञ्जयं देहि नमोऽस्तु ते ॥ १५ ॥  
  

दुराचारियों का दमन करने वाली तथा सदाचारियों का पालन करने वाली भगवती ! युद्ध में शत्रुओं का संहार कीजिये और मुझे विजय प्रदान कीजिये, आपको नमस्कार है | 

        कात्यायनि जगन्मातः प्रपन्नार्तिहरे शिवे । 
        संग्रामे विजयं देहि भयेभ्यः पाहि सर्वदा ॥ १६ ॥

शरणागतों का दुःख दूर करने वाली, कल्याण प्रदान करने वाली जगन्माता कात्यायनी ! युद्ध में मुझे विजय प्रदान कीजिये और भय से सदा रक्षा कीजिये |                                

 “इस प्रकार श्री महाभागवत् पुराण के अन्तर्गत् श्रीराम द्वारा की गयी कात्यायनी स्तुति सम्पूर्ण हुई” |

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें |      

Vaikunth Blogs

महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति
महामृत्युञ्जय मन्त्र के जप से मिलती है, हर बाधा से मुक्ति

भगवान शिव के अनेक स्वरूप हैं, उनमें से भगवान शिव का एक रूप है महामृत्युंजय स्वरूप। जिसमें भगवान शिव...

समस्त आपदाओं से मुक्ति के लिए करें “दुर्गापदुद्धार स्तोत्र” का पाठ
समस्त आपदाओं से मुक्ति के लिए करें “दुर्गापदुद्धार स्तोत्र” का पाठ

श्री सिद्धेश्वरी तंत्र के उमामहेश्वर संवाद के अन्तर्गत् “श्री दुर्गापदुद्धार स्तोत्र” का वर्णन प्राप...

कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय
कुंडली में मांगलिक दोष निवारण हेतु उपाय

हमारे जीवन की डोर हमारी कुंडली में होती है अर्थात् व्यक्ति की सफलता असफलता इस बात पर निर्भर करती है...

How Rudrabhishek Puja Helps To Alleviate Suffering?
How Rudrabhishek Puja Helps To Alleviate Suffering?

‘Rudra’ the destroyer of sorrows and worries is worshiped by Sanatanis around the globe. The word ‘A...

7 Benefits of Performing Rudrabhishek Puja on Mahashivratri 2024
7 Benefits of Performing Rudrabhishek Puja on Mahashivratri 2024

Mahashivratri is the most sacred and worshipped Shivratri among the 12 Shivratris that occur once a...

जन्मदिन पूजा का महत्व एवं लाभ
जन्मदिन पूजा का महत्व एवं लाभ

जन्मदिवस हर एक व्यक्ति के जीवन का विशेष दिन होता है। आखिर हो भी क्यों ना, क्योंकि इसी दिन करोड़ों यो...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account