माघ स्नान का पौराणिक महत्व तथा गंगा स्नान के लिए पवित्र तीर्थ

माघ स्नान का पौराणिक महत्व तथा गंगा स्नान के लिए पवित्र तीर्थ

माघ मास को हमारे शास्त्रों में पुण्य प्राप्त करने वाला सर्वश्रेष्ठ मास माना गया है। क्योंकि इस मास में गंगा स्नान और व्रत का विशेष महत्व बताया है। इस माह में गंगा स्नान, दान एवं पुण्य कार्यों से साधक को वह फल प्राप्त होता है जो होम, यज्ञ तथा इष्टापूर्ती कर्मों के बाद भी नहीं मिलता है। जिस प्रकार से वैशाख मास में अन्न एवं जल दान, कार्तिक मास में तुलसी पूजा एवं तपस्या उत्तम है, ठीक इसी प्रकार से माघ मास में स्नान, जप एवं दान ये तीनों महत्वपूर्ण हैं। केवल गंगा में डुबकी मात्र से स्नान पूर्ण नहीं होता है, बाहरी शुद्धता के साथ-साथ व्यक्ति को मन एवं इंद्रियों के संयम से स्नान करना चाहिए, जिसके बाद ही व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है।  

माघ मास का महत्व 

माघ मास में नियमपूर्वक किए गए सत्कार्य एवं त्याग से व्यक्ति के अधर्म की जड़ समाप्त होती है। वैदिक शास्त्रों में उल्लेखित है कि, जो लोग माघ मास में प्रात: स्नान करके भगवान विष्णु का स्तोत्र पाठ एवं दान जैसे पुण्य कार्य करते हैं उन्हें तीहलोक में धन धान्य के साथ ही अंतत: भगवान धाम की प्राप्ति होती है। माघ मास के महात्म्य को बताते हुए महर्षि भृगुने ने कहा है “जो व्यक्ति माघ मास में, उष: काल की लालिमा में गांव के बाहर तालाब अथवा नदी में प्रतिदिन स्नान करता है, वह अपने परिवार की सात पीढ़ीयों का उद्धार करके स्वयं स्वर्गलोग को जाता है। 

माघे निमग्ना: सलिले सुशीते 
विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।। 

अर्थात् माघ मास में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाकर स्नान करने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त होकर स्वर्ग लोक में जाता है।  

माघ स्नान के लिए पवित्र स्थल  

वैदिक शास्त्रों में माघ मास के स्नान के लिए हमारे ऋषियों ने बताया है कि नगर एवं बस्ती से बाहर का जल गंगा जल के समान है। वशिष्ठ जी ने माघ मास स्नान के लिए कुछ मुख्य तीर्थ बताए हैं, जिसमें पहला तीर्थ है प्रयागराज, जहां पर स्नान करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और व्यक्ति विशेष को मोक्ष प्राप्त होता है। इसके अलावा नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, उज्जैन, सरयू, यमुना, द्वारका, अमरावती, सरस्वती और समुद्र का संगम, गंगा-सागर-संगम, कांची, त्र्यम्बक तीर्थ, सप्त-गोदावरी का तट, कालंजर, प्रभास, बदरिकाश्रम, महालय, ओंकार क्षेत्र, पुरुषोत्तम क्षेत्र- जगन्नाथ पुरी, गोकर्ण, भृगुकर्ण, भृगुतुंग, पुष्कर, तुंगभद्रा, कावेरी, कृष्णा वेणी, नर्मदा, सुवर्णमुखरी तथा वेगवती नदी हैं। इन तीर्थों में स्नान से पापों का शमन होता है।  

माघ मास के महत्व की पौराणिक कथा 

वशिष्ठ जी अपनी एक कथा में बताते है कि प्राचीन रथन्तर कल्प के सत्ययुग में कुत्स नामक एक ऋषि थे, उनका विवाह कर्दम ऋषि की पुत्री के साथ हुआ और उन्हें वत्स नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। वत्स बहुत तेजस्वी एवं आज्ञाकारी थे, वह प्रतिदिन नित्य स्नान और ब्रह्मचर्य का पालन करते थे और माघ मास में सूर्य के मकर राशि में रहते हुए वह भक्ति भाव में लीन होकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान किया करते थे। उन्होंने कावेरी के पश्चिम तट पर लगभग तीन वर्षों तक निरंतर स्नान किया। फिर वह अपने माता- पिता और गुरू की आज्ञा लेकर सर्वपाप नाशक तीर्थ में आ गए और वहां लगभग एक मास तक उन्होंने माघ मां गंगा स्नान किया और अपनी तपस्या में लीन हो गए।  उनकी यह भक्ति को देखकर भगवान विष्णु स्वयं उनके समक्ष अवतरित हुए और बोले- मैं तुम्हारी उपासना से बहुत प्रसन्न हूं, माघ मास में जो तुमने गंगा सवोवर में तप एवं स्नान किया है उससे मैं बहुत संतुष्ट हूं। यज्ञ, दान, नियम एवं यमों के पालन से मुझे इतना संतोष प्राप्त नहीं होता है, जितना माघ मास में किए गए स्नान से होता है। वर मांगो वत्स! तब ऋषि कहते हैं, देवताओं में वंदित जगन्नाथ, आप सदैव यहीं निवास करें और समस्त प्राणियों का कल्याण करें।  
तब भगवान विष्णु कहते हैं मैं सदैव ही यहां निवास करूंगा और जो व्यक्ति सूर्य के मकर राशि पर होने के समय गंगा स्नान करेगा उसके समस्त पापों का शमन होगा। 

माघ मास में व्रत एवं स्नान का लाभ 

  • माघ मास में स्नान से समस्त विपत्तियों का नाश तथा पापों का शमन हो जाता है।  
  • माघ मास में सूर्य के मकर राशि मे रहने तक प्रात: स्नान करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है 
  • समस्त रोग समाप्त होते हैं, उत्तम गुण एवं सौभाग्य की प्राप्ति होती है।  
  • इस मास में स्नान करने से मनुष्य के भीतर की दरिद्रता नष्ट हो जाती है।  
  • माघ मास में स्नान करने से व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है।  
  • बुद्धि में मेधा का विकास होता है।  
  • गंगा जल औषधियों में सर्वश्रेष्ठ है, इसलिए मनुष्य के समस्त रोगों का दूर होते हैं।  

माघ मास में नियमपूर्वक स्नान, दान, व्रत एवं पुण्य के द्वारा वत्स ऋषि को भगवान विष्णु के दर्शन प्राप्त हुए। 

Vaikunth Blogs

नव वर्ष में करें नवग्रह पूजा, सुख-शांति और व्यवसाय में होगी उन्नति
नव वर्ष में करें नवग्रह पूजा, सुख-शांति और व्यवसाय में होगी उन्नति

नववर्ष प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में नई खुशी एवं नए लक्ष्यों को पाने की उम्मीद को जगाता है। बीता साल...

पितृदोष क्या है, जानें लक्षण एवं निवारण हेतु उपाय
पितृदोष क्या है, जानें लक्षण एवं निवारण हेतु उपाय

पितरों को देव कहा गया है। जिस प्रकार से देवताओं के आशीर्वाद के लिए हम उनकी पूजा अर्चना करते हैं, ठीक...

जानें बसंत पंचमी में क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा
जानें बसंत पंचमी में क्यों की जाती है मां सरस्वती की पूजा

बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जिसमें विद्या की अधिष्...

कन्याओं के लिए उत्तम वर प्रप्ति तथा भक्तों के दुःख का हरण करने वाला कात्यायनी स्तोत्र
कन्याओं के लिए उत्तम वर प्रप्ति तथा भक्तों के दुःख का हरण करने वाला कात्यायनी स्तोत्र

श्री महाभागवत पुराण के अन्तर्गत श्रीराम जी द्वारा कात्यायनी माता की स्तुति की गयी है | जो मनुष्य प्र...

Hanuman Jayanti 2024:  Date, Auspicious Time and Spiritual Significance
Hanuman Jayanti 2024: Date, Auspicious Time and Spiritual Significance

Hanuman Jayanti is marked by the birth anniversary of Lord Hanuman and is celebrated by Hindus all o...

7 Benefits of Performing Rudrabhishek Puja on Mahashivratri 2024
7 Benefits of Performing Rudrabhishek Puja on Mahashivratri 2024

Mahashivratri is the most sacred and worshipped Shivratri among the 12 Shivratris that occur once a...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account