सर्वदा मङ्गल की कामना एवं व्यापार वृद्धि के लिए गाएं गणेश गीतम्

सर्वदा मङ्गल की कामना एवं व्यापार वृद्धि के लिए गाएं गणेश गीतम्

।। श्री गणेश गीतम् ।।

श्री महालिंगकविकृत यह गणेश गीत है । इस गीत में पांच (5 ) श्लोक हैं जिनमें भगवान् गणेश की गीत के माध्यम से स्तुति की गयी है । जो मनुष्य इस गणेश गीत का पाठ करता है उसके कार्यसिद्धि में आ रहे विघ्नों का नाश होता है ।

जय भूधर-कुलनायक तनया-प्रिय-सूनो ।
गण-नायक, सुख-दायक, धृत-मोदक देव ॥१॥

पर्वतराजपुत्री पार्वती के प्रिय पुत्र, गणनायक, सुखदायक, मोदक हाथ में लिये भगवान् गणपति की जय हो । 

अघ-शोषण,शशि-भूषण, नत-पोषण, दीने ।
 करुणा-मयमयि पातय मयि वीक्षणमीश ॥२॥

पापनाशक, शशिभूषण, भक्तों के पोषक, हे प्रभु ! मुझ दीन पर अपनी कृपादृष्टि करें । 

प्रणवात्मक, तिमिरापह, गज-वक्त्र, गणेश ।
कुरु मङ्गलमव मामति-बहु-विह्वलमीश ॥३॥ 

ॐकारस्वरूप, अज्ञानान्धकार के नाशक, गजानन, हे भगवान् ! गणपति मुझ दीन की रक्षा और कल्याण करें ।

त्रिपुरान्तक-बहुनन्दित-निजविक्रम, धीर ।
निखिलार्चित, निरुपद्रव-फलदान-धुरीण ॥४॥

दलितार्गल-सुगमां मम पदवीं कुरु सिद्धेः।
शमयाखिल-दुरितानि च कृपया गणनाथ ॥५॥

त्रिपुरासुर का नाश करने वाले, अपने पराक्रम से सभी को प्रसन्न करने वाले, सबसे पूजित, मंगलमय वरदान देने में अग्रणी हे गणनाथ ! आप मेरी कार्यसिद्धि के विघ्नों का नाश करके, मेरे पापों का संहार करके कृपापूर्वक मुझे सिद्धि प्रदान करें । 

॥ इति श्रीमहालिङ्गकविकृतं गणेशगीतं सम्पूर्णम् ॥

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