विघ्नों से मुक्ति तथा शोक से निवृत्ति हेतु करें विघ्ननाशक गणेश स्तोत्र का पाठ

विघ्नों से मुक्ति तथा शोक से निवृत्ति हेतु करें विघ्ननाशक गणेश स्तोत्र का पाठ

।। विघ्ननाशकगणेशस्तोत्रम् ।।

भगवान् गणपति का यह स्तोत्र श्रीब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्णखण्ड में प्राप्त होता है। भगवान् गणपति समस्त विघ्नों के विनाशक हैं । जो साधक नित्यप्रति इस स्तोत्र का प्रातःकाल पाठ करता है अवश्य ही भगवान् गणपति उसके सभी कष्टों का हरण कर लेते हैं ।  

         श्रीराधिका उवाच 

परं धाम परं ब्रह्म परेशं परमीश्वरम् ।
विघ्ननिघ्नकरं शान्तं पुष्टं कान्तमनन्तकम् ॥१॥

श्रीराधिका ने कहा- जो परम धाम, परब्रह्म, परेश, परम ईश्वर,विघ्नों के विनाशक, शान्त, पुष्ट, मनोहर और अनन्त हैं । 

सुरासुरेन्द्रैः सिद्धेन्द्रैः स्तुतं स्तौमि परात्परम्। 
सुरपद्मदिनेशं च गणेशं मङ्गलायनम् ॥ २॥

प्रधान-प्रधान सुर, असुर और सिद्ध जिनका स्तवन् करते हैं । जो देवरूपी कमल के लिये सूर्य और मंगलों के आश्रय स्थान हैं, उन परात्पर गणेशकी मैं स्तुति करता हूँ ।

इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोकहरं परम्। 
यः पठेत् प्रातरुत्थाय सर्वविघ्नात् प्रमुच्यते ॥ ३॥

यह उत्तम स्तोत्र महान् पुण्यमय तथा विघ्न और शोक को हरने वाला है । जो प्रातःकाल उठकर इस स्तोत्र का पाठ करता है, वह सम्पूर्ण विघ्नों से विमुक्त हो जाता है ।

॥ इति श्रीब्रह्मवैवर्तपुराणे श्रीकृष्णजन्मखण्डे विघ्ननाशक - गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

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