मनोकामना पूर्ति हेतु करें श्रीविन्ध्येश्वरी स्तोत्र

मनोकामना पूर्ति हेतु करें  श्रीविन्ध्येश्वरी स्तोत्र

।। श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम् ।।

विन्ध्याचल पर्वत पर विराजमान माता विन्ध्येश्वरी समस्त भोग एवं ऐश्वर्य की प्रदात्री हैं ।  इस अष्ट श्लोकात्मक स्तोत्र  से माँ विन्ध्येश्वरी की आराधना समस्त भोगों को प्रदान करने वाली है । 

निशुम्भशुम्भमर्दिनीं प्रचण्डमुण्डखण्डिनीम् । 
वने रणे प्रकाशिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥१॥

शुम्भ तथा निशुम्भ का संहार करने वाली, चण्ड तथा मुण्ड का विनाश करने वाली, वन में तथा युद्धस्थल में पराक्रम प्रदर्शित करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

त्रिशूलरत्नधारिणीं धराविघातहारिणीम् । 
गृहे गृहे निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥२॥

त्रिशूल तथा रत्न धारण करने वाली, पृथ्वी का संकट हरने वाली और घर-घर में निवास करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

दरिद्रदुःखहारिणीं सतां विभूतिकारिणीम् । 
वियोगशोकहारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥३॥

दरिद्रजनों का दुःख दूर करने वाली, सज्जनों का कल्याण करने वाली और वियोगजनित शोक का हरण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

लसत्सुलोललोचनां लतां सदावरप्रदाम् । 
कपालशूलधारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥४॥

सुन्दर तथा चंचल नेत्रों से सुशोभित होने वाली, सुकुमार नारी- विग्रह से शोभा पाने वाली, सदा वर प्रदान करने वाली और कपाल तथा शूल धारण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

करे मुदा गदाधरां शिवां शिवप्रदायिनीम् ।
वरावराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥५॥

प्रसन्नतापूर्वक हाथ में गदा धारण करने वाली, कल्याणमयी, सर्वविध मंगल प्रदान करने वाली तथा सुरूप-कुरूप सभी रूपों में व्याप्त परम शुभस्वरूपा भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

ऋषीन्द्रजामिनप्रदां त्रिधास्यरूपधारिणीम् । 
जले स्थले निवासिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥६॥

ऋषिश्रेष्ठ के यहाँ पुत्रीरूप से प्रकट होने वाली, ज्ञानालोक प्रदान करने वाली, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वतीरूप से तीन स्वरूपों को धारण करने वाली और जल तथा स्थल में निवास करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

विशिष्टसृष्टिकारिणीं विशालरूपधारिणीम् । 
महोदरां विशालिनीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥७॥

विशिष्टता की सृष्टि करने वाली, विशाल स्वरूप धारण करने वाली, महान् उदर से सम्पन्न तथा व्यापक विग्रह वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

पुरन्दरादिसेवितां मुरादिवंशखण्डिनीम् । 
विशुद्धबुद्धिकारिणीं भजामि विन्ध्यवासिनीम् ॥८॥

इन्द्र आदि देवताओं से सेवित, मुर आदि राक्षसों के वंश का नाश करने वाली तथा अत्यन्त निर्मल बुद्धि प्रदान करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।  

॥ इस प्रकार श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें ।

Vaikunth Blogs

भगवान् श्रीकृष्णचन्द की अर्धांगिनी श्रीयमुनाजी की कृपा प्राप्ति एवं सर्वथा रक्षा हेतु श्रीयमुना कवच
भगवान् श्रीकृष्णचन्द की अर्धांगिनी श्रीयमुनाजी की कृपा प्राप्ति एवं सर्वथा रक्षा हेतु श्रीयमुना कवच

श्रीयमुना महारानी भगवान् श्रीकृष्ण की परम प्रेयसी हैं । इनका आचमन, दर्शन, कीर्तन आदि करने से कृष्णप्...

बन्धु वियोग से मुक्ति और पतिप्रेम की प्राप्ति हेतु करें श्री राधा स्तोत्र का पाठ
बन्धु वियोग से मुक्ति और पतिप्रेम की प्राप्ति हेतु करें श्री राधा स्तोत्र का पाठ

।। श्री राधा स्तोत्रम् ।। श्री ब्रह्मवैवर्त महापुराण में भगवान् श्रीकृष्णजी के परम सखा श्रीउद्धवज...

अज्ञानवश हुए पापों के शान्ति हेतु और भगवति जगदम्बिका के आशीर्वाद प्राप्ति हेतु
अज्ञानवश हुए पापों के शान्ति हेतु और भगवति जगदम्बिका के आशीर्वाद प्राप्ति हेतु

आद्य शंकराचार्य  द्वारा विरचित भगवती दुर्गा को समर्पित यह स्तोत्र है । इस स्तोत्र में बारह श्लोक हैं...

समस्त विपत्तियों से रक्षा करती है भगवत्कृत तुलसी स्तोत्रम्
समस्त विपत्तियों से रक्षा करती है भगवत्कृत तुलसी स्तोत्रम्

।। श्री तुलसी स्तोत्र ।। श्रीब्रह्मवैवर्तमहापुराण के प्रकृतिखण्ड में श्रीभगवान् द्वारा कथित यह तु...

कृष्णाह्लादिनी श्री राधा में दृढभक्ति तथा लौकिक कामनाओं की प्राप्ति हेतु करें इस स्तोत्र का पाठ
कृष्णाह्लादिनी श्री राधा में दृढभक्ति तथा लौकिक कामनाओं की प्राप्ति हेतु करें इस स्तोत्र का पाठ

।। श्री राधाषोडशनाम स्तोत्रम् ।। श्रीब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीनारायणजी द्वारा कथित इस स्तोत्र मे...

स्थिर लक्ष्मी, ज्ञान तथा अविचल भक्ति प्राप्ति के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ
स्थिर लक्ष्मी, ज्ञान तथा अविचल भक्ति प्राप्ति के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ

।। श्रीपुण्डरीककृत तुलसी स्तोत्रम् ।।  श्रीपुण्डरीककृत इस स्तोत्र में भगवती तुलसी की उपासना की गय...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account