ब्रह्मतेज की प्राप्ति तथा पञ्चऋण से मुक्ति के लिए करें गायत्री स्तुति

ब्रह्मतेज की प्राप्ति तथा पञ्चऋण से मुक्ति के लिए करें गायत्री स्तुति

।। श्री गायत्री स्तुति ।।

श्रीवराहपुराण में भगवान् शिव के द्वारा माता गायत्री का स्तवन किया गया है। माता गायत्री का अर्चन, पूजन, उपासना विप्रों के लिए अनिवार्य है। दैनिक सन्ध्या में इस स्तोत्र के द्वारा माता गायत्री की उपासना से ब्रह्मतेज की प्राप्ति होती है।

             महेश्वर उवाच

जयस्व देवि गायत्रि महामाये महाप्रभे। 
महादेवि महाभागे महासत्त्वे महोत्सवे ॥१॥

दिव्यगन्धानुलिप्ताङ्गि दिव्यस्रग्दामभूषिते । 
वेदमातर्नमस्तुभ्यं त्र्यक्षरस्थे महेश्वरि ॥२॥

त्रिलोकस्थे त्रितत्त्वस्थे त्रिवह्निस्थे त्रिशूलिनि। 
त्रिनेत्रे भीमवक्त्रे च भीमनेत्रे भयानके ॥३॥ 

कमलासनजे देवि सरस्वति नमोऽस्तु ते। 
नमः पङ्कजपत्राक्षि महामायेऽमृतस्रवे ॥४॥

भगवान् महेश्वर बोले - महामाये ! महाप्रभे! गायत्रीदेवि ! आपकी जय हो ! महाभागे ! आपके सौभाग्य, बल, आनन्द - सभी असीम हैं। दिव्य गन्ध एवं अनुलेपन आपके श्रीअंगों की शोभा बढ़ाते हैं। परमानन्दमयी देवि ! दिव्य मालाएँ एवं गन्ध आपके श्रीविग्रह की छवि बढ़ाती हैं। महेश्वरि ! आप वेदों की माता हैं। आप ही वर्णों की मातृका हैं। आप तीनों लोकों में व्याप्त हैं। तीनों अग्नियों में जो शक्ति है, वह आपका ही तेज है। त्रिशूल धारण करने वाली देवि ! आपको मेरा नमस्कार है। देवि ! आप त्रिनेत्रा, भीमवक्त्रा, भीमनेत्रा और भयानका आदि अर्थानुरूप नामों से व्यवहृत होती हैं। आप ही गायत्री और सरस्वती हैं। आपके लिये हमारा नमस्कार है। अम्बिके ! आपकी आँखें कमल के समान हैं। आप महामाया हैं। आपसे अमृत की वृष्टि होती रहती है ।

सर्वगे सर्वभूतेशि स्वाहाकारे स्वधेऽम्बिके। 
सम्पूर्णो पूर्णचन्द्राभे भास्वराङ्गे भवोद्भवे ॥५॥ 

महाविद्ये महावेधे महादैत्यविनाशिनि ।
महाबुद्धयुद्भवे देवि वीतशोके किरातिनि ॥६॥ 

त्वं नीतिस्त्वं महाभागे त्वं गीस्त्वं गौस्त्वमक्षरम्। 
त्वं धीस्त्वं श्रीस्त्वमोङ्कारस्तत्त्वे चापि परिस्थिता । 
सर्वसत्त्वहिते देवि नमस्ते परमेश्वरि ॥७॥ 

इत्येवं संस्तुता देवी भवेन परमेष्ठिना ।
देवैरपि जयेत्युच्चैरित्युक्ता परमेश्वरी ॥८॥

सर्वगे ! आप सम्पूर्ण प्राणियों की अधिष्ठात्री हैं। स्वाहा और स्वधा आपकी ही प्रतिकृतियाँ हैं; अतः आपको मेरा नमस्कार है। महान् दैत्यों का दलन करने वाली देवि ! आप सभी प्रकार से परिपूर्ण हैं। आपके मुख की आभा पूर्णचन्द्र के समान है। आपके शरीर से महान् तेज छिटक रहा है। आपसे ही यह सारा विश्व प्रकट होता है। आप महाविद्या और महावेद्या हैं। आनन्दमयी देवि ! विशिष्ट बुद्धि का आपसे ही उदय होता है। आप समयानुसार लघु एवं बृहत् शरीर भी धारण कर लेती हैं। महामाये ! आप नीति, सरस्वती, पृथ्वी एवं अक्षरस्वरूपा हैं। देवि ! आप श्री, धी तथा ॐकारस्वरूपा हैं। परमेश्वरि ! तत्त्व में विराजमान होकर आप अखिल प्राणियों का हित करती हैं। आपको मेरा बार-बार नमस्कार है ।
 
इत्येवं संस्तुता देवी भवेन परमेष्ठिना ।
देवैरपि जयेत्युच्चैरित्युक्ता परमेश्वरी ॥८॥

इस प्रकार परम शक्तिशाली भगवान् शंकर ने उन देवी की स्तुति की और देवतालोग भी बड़े उच्चस्वर से उन परमेश्वरी की जयध्वनि करने लगे ।

इस प्रकार श्रीवराहमहापुराणमें महेश्वरकृत “गायत्रीस्तुति” सम्पूर्ण हुई ॥

वैदिक पद्धति से विशिष्ट पूजा-पाठ, यज्ञानुष्ठान, षोडश संस्कार, वैदिकसूक्ति पाठ, नवग्रह जप आदि के लिए हमारी साइट vaikunth.co पर जाएं तथा अभी बुक करें ।

Vaikunth Blogs

कृष्णाह्लादिनी श्री राधा में दृढभक्ति तथा लौकिक कामनाओं की प्राप्ति हेतु करें इस स्तोत्र का पाठ
कृष्णाह्लादिनी श्री राधा में दृढभक्ति तथा लौकिक कामनाओं की प्राप्ति हेतु करें इस स्तोत्र का पाठ

।। श्री राधाषोडशनाम स्तोत्रम् ।। श्रीब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीनारायणजी द्वारा कथित इस स्तोत्र मे...

धन-धान्य की वृद्धि हेतु करें शङ्कराचार्यकृत् श्रीअन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ
धन-धान्य की वृद्धि हेतु करें शङ्कराचार्यकृत् श्रीअन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ

।। श्री अन्नपूर्णास्तोत्रम् ।।  श्रीशंकराचार्यजी द्वारा विरचित यह स्तोत्र समस्त इहलौकिक एवं पारलौ...

भगवान् श्रीकृष्णचन्द की अर्धांगिनी श्रीयमुनाजी की कृपा प्राप्ति एवं सर्वथा रक्षा हेतु श्रीयमुना कवच
भगवान् श्रीकृष्णचन्द की अर्धांगिनी श्रीयमुनाजी की कृपा प्राप्ति एवं सर्वथा रक्षा हेतु श्रीयमुना कवच

श्रीयमुना महारानी भगवान् श्रीकृष्ण की परम प्रेयसी हैं । इनका आचमन, दर्शन, कीर्तन आदि करने से कृष्णप्...

ब्रजेश्वरी राधारानी एवं श्याम सुन्दर की कृपा प्राप्ति हेतु करें श्रीराधाष्टकम् का पाठ
ब्रजेश्वरी राधारानी एवं श्याम सुन्दर की कृपा प्राप्ति हेतु करें श्रीराधाष्टकम् का पाठ

।। श्री राधाष्टकम् ।।  श्रीभगवान् निम्बार्क महामुनीन्द्र विरचित इस स्तोत्र में ब्रजराजेश्वरी राधा...

अचलसम्पत्ति,वैभवलक्ष्मी प्राप्ति एवं दारिद्रय निवारण हेतु श्री सूक्त पाठ
अचलसम्पत्ति,वैभवलक्ष्मी प्राप्ति एवं दारिद्रय निवारण हेतु श्री सूक्त पाठ

।। श्री सूक्तम् ।। दरिद्रता, दुःख, संताप, कष्ट इत्यादि समस्याओं के निवारण हेतु प्रत्येक मनुष्य को...

पद्मपुराणोक्त संकष्टनामाष्टकम् करता है सभी संकष्टों को दूर
पद्मपुराणोक्त संकष्टनामाष्टकम् करता है सभी संकष्टों को दूर

।। संकष्टनामाष्टकम् ।। श्रीपद्मपुराण में वर्णित नारद जी के द्वारा यह स्तोत्र गेय है । इस स्तोत्र...

 +91 |

By clicking on Login, I accept the Terms & Conditions and Privacy Policy

Recovery Account