सीमन्तोन्नयन

सीमन्तोन्नयन संस्कार

संस्कार | Duration : 4 Hours
Price Range: 4500 to 6100

About Puja

सीमन्त तथा उन्नयन इन दो शब्दों के योग से सीमन्तोन्नयन सिद्ध हुआ है। सीमन्त का अर्थ है,स्त्री की मांग तथा उन्नयन = उन्नत करना या उठाना। विवाह के समय सीमन्त (मांग) में हीं सिन्दूरदान होता है, सीमांत भाग अत्यंत मर्म होता है ,पवित्र सिंदूर से विशिष्ट भावना उत्पन्न होता है, जो जीवन में अखण्ड सौभाग्य एवं अभ्युदय की प्राप्ति कराता है। इस संस्कार में पति द्वारा सीमन्त भाग का विभाजन किया जाता है, जिसका प्रभाव संतति पर विशेष रूप से पड़ता है, इस दृष्टि से सीमन्तोन्नयन संस्कार का बहुत महत्व है।

व्यास स्मृति में कहां गया है कि - यह संस्कार छठे या आठवें महीने में वैदिक विद्वानों के द्वारा सम्पन्न कराना चाहिए। इस संस्कार से संतान के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है।

Benefits

सीमतोन्नयन संस्कार का शास्त्रोक्त माहात्म्य :-

  • शास्त्रीय विधि के द्वारा सीमन्त (माँग )विभाजन से मस्तिष्क की शक्ति उन्नत होती है।
  • अखंड सौभाग्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।
  • इस संस्कार से गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क की क्षमता का विकाश होता है।
  • इस संस्कार के व्याज से  शिशु जन्म के पूर्व ही मध्यम स्वर से वैदिक ध्वनि तथा देव पूजन का स्पष्ट प्रभाव उस गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है।
  • इस संस्कार में वीणा ध्वनि सुनने का अत्यन्त माहात्म्य है।
  • सुवासिनी (सुहागिनी) स्त्रियां वैदिक विद्वान् ब्राह्मणों द्वारा आशीर्वाद प्राप्त करती  हैं ।
  • यह संस्कार पुरुष संज्ञक नक्षत्र में किया जाता है।
Process

सीमन्तोन्नयन संस्कार में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध  (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14.  पञ्चभूसंस्कार
  15. परिसमूहन,उपलेपन,उल्लेखन,उद्धरण,अभ्युक्षण या सेचन
  16.  मङ्गल नामक अग्निस्थापन
  17. कुशकण्डिका
  18. आधार आहुति 
  19. नवाहुति 
  20. स्विष्टकृत् आहुतिमार्जन,पवित्रप्रतिपत्ति,पूर्णपात्र दान,प्रणीता विमोक,मार्जन,बर्हिहोम

Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पीपल की कीलकुशाओं की तीन पिंजुली
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • गूलर की डाल, विल्वफल
  • तिल,चावल, मूंग का आज्य
  • पीला कपड़ा सूती
  • कुशाशल्लकी का कांटा

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी, गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, सुवा, शुचि , स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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