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अभ्युदयसूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

      भगवान् वादरायण (वेदव्यास) के अन्तेवासी शिष्य महर्षि जैमिनी के द्वारा प्रणीत पूर्वमीमांसा दर्शन में अभ्युदय पद का प्रयोग सर्वविध लौकिक उन्नति अर्थ में किया गया है। अथर्ववेद में उत्तरार्ध के 17 वें काण्ड में अभ्युदय सूक्त का वर्णन प्राप्त होता है। सूक्त के देवता आदित्य हैं तथा मन्त्रद्रष्टा ऋषि ब्रह्मा । प्रकृत सूक्त के द्वारा परमेश्वर से दीर्घायु, सद्बुद्धि, ज्ञान आदि मानवीय सद्‌गुणों को प्राप्त करने की अभ्यर्थना (प्रार्थना) की गयी है। 

      आत्म कल्याण एवं परम अभ्युदय हेतु इस सूक्त का पारायण किया जाता है। इस सूक्त की उपासना एवं पाठ से शत्रुवर्ग झुक जाता है। अत: शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए यह सूक्त प्रयोग नितान्त उपकारक है।

Benefits

अभ्युदयसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  • किसी कारण से अवरुद्ध धन भी सूक्त पारायण एवं हवन से प्राप्त हो जाता है।
  • इन मन्त्रों के प्रयोग से सहज भाव में ही सभी लोग प्रेम करने लगते हैं।
  • भगवत् कृपा को प्राप्त कराने वाला यह मङ्गलकारी सूक्त है। इस सूक्त की उपासना से व्यक्ति शत्रुवश में कभी नहीं आता।
  • मिथ्या आरोपित कलङ्क को दूर करने वाला यह अभ्युदय सूक्त है।
  • व्यक्ति के सौभाग्य को प्रसस्त करने के लिए इस सूक्त का पारायण परम कल्याणकारी है।
  •  बुद्धि की मन्दता (जड़ता) को दूर कर उत्कर्ष प्राप्ति कराने वाला यह सूक्त परम उपयोगी है।
  • परमात्मा की निरन्तर कृपा प्राप्ति कराने वाले ये मन्त्र हैं।
  •  शत्रु के द्वारा प्रायोजित अभिचार कर्म से मुक्ति प्राप्त कराने वाला अभ्युदय सूक्त है।
  • मनुष्य के सम्पर्क में आने वाली प्रत्येक व्यक्ति अथवा वस्तु अभ्युदय सूक्त की कृपा से अनुकूल हो जाती है।
Process

अभ्युदयसूक्त  पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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