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मेधासूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

     मेधाशब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - धारणाशक्ति, प्रज्ञा, बुद्धि आदि। मेधाशक्ति से सम्पन्न मनुष्य को ही मेधावी कहते है। ज्ञान को धारण करने के साथ ही यथा अवसर उसे अभिव्यक्त करने वाली मेधा शक्ति  ही है। मेधासूक्त के पाठ से बुद्धि कुशाग्र एवं तीव्र हो जाती है तथा बुद्धि के समस्त कल्मष नष्ट हो जाते है। मेधा (बुद्धि) की प्राप्ति के लिए ही विशेष प्रार्थना की गयी है। यजुर्वेद के 32 वें अध्याय में मेधा की प्राप्ति कराने वाले मन्त्र पढे गये हैं। जातकर्म संस्कार में मेधा की प्राप्ति तथा आयुवर्द्धक इन्हीं सूक्तों का पाठ किया जाता है। बुद्धि की मन्दता (जड़ता) का निवारण करने के लिए मेधा सूक्त का पाठ अत्यन्त उपयोगी है। महानारायणोपनिषद् में भी मेधा सूक्त प्राप्त होता है।

Benefits

मेधासूक्त पाठ एवं हवन का माहाम्य:-

  • विद्यार्थी की प्रज्ञा को उत्कृष्ट बनाने के लिए मेधासूक्त का पाठ कराना शास्त्रविधि के अनुसार अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है।
  • मेधा की उपासना देवगण एवं  पितरों के द्वारा भी की जाती है।
  • तत्वज्ञान को ग्रहण करने के लिए यह सूक्त परम उपयोगी  है।
  • ज्ञानशक्ति एवं  दिव्यदृष्टि प्रदान कराने वाला यह अनुपम सूक्त है।
  • मेधा देवी का कृपापात्र मनुष्य  ऋषि तुल्य हो जाता है।
  • ब्रह्मज्ञान के कपाट को खोलने वाला यह सूक्त है।
  • सुगन्ध के समान सर्वत्र व्यापिनी भगवती सरस्वती इस सूक्त के पाठ से प्रसन्न होती है।
  • बौद्धिक एवं लौकिक असफलता को दूर करने के  साथ ही यह सूक्त परम सौभाग्य  एवं सफलता प्रदान करने वाला   है।
Process

मेधासूक्त  पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान आदि
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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