देवीसूक्त

देवी सूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

देवी सूक्त को वैदिकवाङ्मय में वाक् सूक्त भी कहा गया है तथा इसी सूक्त को आत्मसूक्त भी कहते हैं। ऋग्वेद के दशम् मण्डल का 125 वें सूक्त को वाक् सूक्त कहते हैं। ब्रह्मवेत्ता की वाणी का ब्रह्म से तादात्म्य सम्बन्ध होता है, इसी आशय से सर्वात्मा के रूप में यह वर्णित है। यम,नियम आदि योगानुष्ठान के द्वारा ब्रह्म का साक्षात्कार करने वाला जीवनमुक्त महापुरुष ही होता है, उस जीवन मुक्त पुरुष की ब्रह्ममयी प्रज्ञा ही वाक् सूक्त है। वैदिकवाङ्मय वाक् सूक्त का प्रतिपादक है,तथा वैदिक मन्त्रों का प्रतिपाद्य उक्तसूक्त है। अतएव इनका ऐकात्म्य सम्बन्ध सिद्ध होता है।

Benefits

देवी सूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  • देवी सूक्त (वाक्‌सूक्त) ब्रह्मस्वरुपा है। ब्रह्म सर्वात्मक होता है,अत: देवी भी रूद्र, वसु,आदित्य तथा विश्वेदेवों के रूप में भासित होती है। मित्र एवं वरुण को धारण करने वाली देवी ही हैं। 
  • इन्द्र एवं वरुण का आधार भी देवी ही हैं।
  • देवी सूक्त (वाक्‌सूक्त) से समस्त शत्रुओं का नाश होता है।
  • इस सूक्त के पाठ से कामादि   दोषों का विनाश होता है।
  • परम आह्लाद स्वरूपा देवी की कृपा सर्वविध प्राप्त होती है।
  • समस्त यज्ञों के फलों की प्राप्ति तथा शत्रु सर्वप्रकार से पराजित होता है।
  • समस्त जगत् की अधीश्वरी देवी ही उपासकों को अभीष्ट सिद्धि प्रदान करती है।
  • इस सूक्त से देवी की उपासना करने से वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
  • परम शक्ति एवं प्रज्ञा का अधिनायक वाक् सूक्त ही है।
  • विधि के द्वारा पाठ से साधक(यजमान),ऋषि भावापन्न(भाव से युक्त) होता है तथा बृहस्पति के समान मेधायुक्त होता है।
  • वाक् सूक्त की आवृत्ति, शत्रुओं को सर्वथा पराजित करता है।
  • जैसे वायु बिना किसी से प्रेरित हुए स्वयमेव प्रवाहित होती है,उसी प्रकार विना किसी की प्रेरणा से समस्त कार्यों का कारण देवी ही हैं।
Process

देवीसूक्त (वाक् सूक्त) पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22. चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24. स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • चावल 
  • कमलगट्टा
  • हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर)
  • बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  • हवन समिधा 
  • घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि

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