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नारायणसूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

         समस्त जीव समूह को नार संज्ञा दी गयी है और उन समस्त जीवों का जो अयन (आश्रय) है, उस परमपिता परमात्मा को नारायण कहा जाता  है। शुक्लयजुर्वेद में नारायण सूक्त उपलब्ध होता। सृष्टि के विकाश का वैज्ञानिक वर्णन इस सूक्त में प्राप्त होता है। मनुष्य को कर्तव्यबोध कराने वाला नारायण सूक्त ही है। इन सूक्तों के उपासक को समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। भगवान् नारायण अज्ञानान्धकार से परे विद्यमान हैं। नारायण की उपासना मोक्ष पथ का प्रदर्शक है। वेद भी भगवान् का उत्कृष्टता के साथ प्रतिपादन करते हैं। समस्त यज्ञों की अवधि स्वरूप भी नारायण ही हैं। धर्म की चरमावस्था भी नारायण में ही  समाप्त होती है और नारायण ही  जीवों की एक मात्र परम गति हैं। शरीर, वचन ,मन एवं इंद्रियों के द्वारा मनुष्य जो भी कर्म करता है, वे सभी कर्म भगवान् नारायण को ही समर्पित कर देनी चाहिए । ऐसा करने से कर्म बंधन के कारण नहीं बनते हैं और उन कर्मों का अनंत गुना फल प्राप्त होता है।

Benefits

नारायणसूक्त पाठ एवं हवन का माहात्म्य :-

  •  नारायण की उपासना से  अन्तःकरण (मन, बुद्धि, चित्त) के समस्त मल नष्ट होते हैं तथा हृदय निर्मल हो जाता है।
  • मनुष्य के द्वारा किये गये निषिद्ध (पाप) कर्म नारायण सूक्त के विधि विधान युक्त  पाठ से अल्प भोग के साथ ही नष्ट हो जाते हैं।
  •  भगवान् नारायण के इस सूक्त पाठ से वे परमात्मा प्रणियों के हृदय में सदैव विद्यमान रहकर  उसका उत्कर्ष करते हैं।
  • धीर पुरुषों के द्वारा ही इस सूक्त उपासना से नारायण  का साक्षात्कार होता है।
  • समस्त देवों के अधिपति होने के कारण नारायण सूक्त के पाठ एवं हवन से समस्त देवता प्रसन्न होते हैं।
  • इस सूक्तपाठ से नारायण की आह्लादिनी शक्ति भगवती लक्ष्मी की कृपा भी निरन्तर  रहती है।
  • नारायण नाम के उच्चारण मात्र से ही अजामिल को भी यमपाश से मुक्ति मिली थी
  • इस सूक्त की उपासना से यम यातनाएं भोगने का अवसर नहीं आता।
  •  देवराज इंद्र को भी भगवान्  नारायण की कृपा से ही ब्रह्म हत्या से मुक्ति मिली थी।
Process

नारायणसूक्त पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं  पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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