श्रीराम

विजयादशमी (दशहरा)

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 2 Hrs 30 min
Price Range: 5100 to 7100

About Puja

भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है। शौर्य तथा वीरता का ही प्रतीक एक पर्व जो कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष दशमी तिथि को मनाया जाता है, जिसे हम विजयदशमी (दशहरा) नाम से जानते हैं। दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है ।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान् राम ने आश्विन मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक माँ दुर्गा की उपासना की थी। इसके बाद दशमी तिथि को ही श्रीराम जी ने रावण का संहार किया था इसी कारण प्रत्येक वर्ष विजय दशमी पर्व मनाया जाता है।

व्रत की विधि = विजयदशमी के दिन घर को स्वच्छ कर लें प्रात:स्नान करके तथा सुयोग्य वैदिक आचार्य के द्वारा भगवान् श्रीरामचन्द्र का उनके समस्त परिकरों के साथ विजयश्री की प्राप्ति के हर्षोल्लास में, विधिपूर्वक षोडशोपचार पूजन-अर्चन करें एवं कराएं।

विजयदशमी के अवसर पर शुभ मुहूर्त में ही भगवान् राम एवं समस्त परिकरों के साथ अपने वाहनों अस्त्र शस्त्रों का पूजन अवश्य ही करें। साथ ही इस दिन देवी अपराजिता और शमी वृक्ष का भी पूजन करना चाहिए। विजय दशमी का दिन, किसी भी नवीन कार्य को प्रारम्भ करने का सर्वश्रेष्ठ उत्तम मुहुर्त माना गया है।

Benefits

विजयादशमी पाठ का माहात्म्य :-

  • विजया दशमी (दशहरा) इस पर्व का  हिंदु संस्कृति तथा सनातन समाज में उत्कृष्ट स्थान है। 
  • इसको भक्तगण अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में  मनाते हैं।
  • विधि पूर्वक इस पर्व का अनुष्ठान करने से व्यक्ति के दश प्रकार के पाप - काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार आलस्य, हिंसा और अस्तेय (चोरी) इत्यादि दुष्ट प्रवृत्तियों के परित्याग की सद्प्रेरणा एवं शक्ति प्राप्त होती है। 
  • विजयदशमी का एक सांस्कृतिक पहलू यह भी है, कि भारत कृषि प्रधान देश है, जब किसान अपने खेत में सुनहरी फसल उगाकर अनाज रूपी संपत्ति को घर लाता है  तब उसके उल्लास और उमंग का पारावार (ठिकाना) नहीं रहता है, . अतः वह प्रसन्नचित्त होकर भगवान की इस कृपा को स्वीकार करते हुए उनका पूजन करता है।
  • विजयश्री की प्राप्ति- अर्थात्- विजय दशमी को जो भक्तगण पूजन-अर्जन करता है उसकी इस चराचर जगत् के समस्त कार्यों  में विजय निश्चित है ।
  • नवीन कार्य करने (उद्योग, व्यापार बीज- वपन) इत्यादि के लिए उत्तम दिवस है।
  • यह उत्सव हमें कुमार्ग से सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
Process

विजयादशमी (दशहरा) में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  1. काला तिल 
  2. चावल 
  3. कमलगट्टा
  4. हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  5. गुड़ (बूरा या शक्कर) 
  6. बलिदान हेतु पापड़
  7. काला उडद 
  8. पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  9. प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  10. हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  11. पिसा हुआ चन्दन 
  12. नवग्रह समिधा
  13. हवन समिधा 
  14. घृत पात्र
  15. कुशा
  16. पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • पानी वाला नारियल
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित
  • गोदुग्ध,गोदधि

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