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गोवत्स द्वादशी

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 3 Hrs 30 min
Price Range: 5100 to 11000

About Puja

कार्तिक कृष्ण द्वादशी का दिन गोवत्स द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन गोमाता एवं उनके बछड़े की पूजा अर्चना की जाती है। यह त्यौहार कार्तिक कृष्ण एकादशी के एक दिन बाद तथा धनतेरस से एक दिन पहले मनाया जाता है। गोवत्स द्वादशी की पूजा गोधूलि बेला में की जाती है। जो लोग गोवत्स द्वादशी व्रत का पालन करते हैं, वे दिन में किसी भी गेहूं और दूध के बनी हुई खाद्य सामग्रियों का ग्रहण नहीं  करते हैं।
भारत के कुछ हिस्सों मे इसे बछ बारस का पर्व भी कहते हैं। गुजरात में इसे वाघ बरस  कहते हैं। गोवत्स द्वादशी को नन्दिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है। हिंदू धर्म में नन्दिनी गाय को परम पूज्य माना गया हैं।
गोवत्स द्वादशी पूजा महिलाओं द्वारा पुत्र की मंगल-कामना के लिए की जाती है। इस पर्व पर गीली मिट्टी की गाय-बछड़ा, बाघ तथा बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रख कर उनकी विधिवत पूजा की जाती है अथवा साक्षात् गोमाता की बछड़े सहित पूजा करनी चाहिए। भविष्य पुराण के  अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म, गले में विष्णु , मुख में रुद्र, मध्य में समस्त देवता, रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खुरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय (गोबर) में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र का वास है। 
विष्णु पुराण के अनुसार
स त्वां कृष्णाभिषेक्ष्यामि गावं वाक्यप्रचोदितः।
उपेन्द्रत्वे गवामिन्द्रो गोविन्दस्त्वं भविष्यसि।।   

भावार्थ- हे कृष्ण! अब मैं गौओं के आशीर्वाद से ही आपका उपेन्द्र पद पर अभिषेक करूँगा तथा आप गौओं के पालक है एवं रक्षक हैं इसलिए आपका नाम गोविन्द भी होगा।
 गोमाता का पूजन तथा प्रणाम करते समय इस श्लोक का वाचन करें।
नमो गोभ्य: श्रीमतीभ्य: सौरभेयीभ्य एव च।
नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः।।

भावार्थ - श्रीमती गौओं को प्रणाम! कामधेनु की सन्तति को प्रणाम। ब्रह्मा जी की पुत्रियों को प्रणाम!पावन करने वाली गौओं को बार बार प्रणाम।

Benefits

गौ पूजा के लाभ:-

  • गौ सेवा अथवा गौओं का अर्चन  करने से मेधावी सन्तान (पुत्र, पुत्री) की प्राप्ति होती है। 
  • राजा दिलीप को नन्दिनी गाय की सेवा करने से सर्वगुण सम्पन्न भगीरथ जी की प्राप्ति हुई।
  • गाय का पंचगव्य कई प्रकार के रोगों से मनुष्य की रक्षा करता है। पंचगव्य पान से मनुष्य का अन्त:करण शुद्ध होता है तथा अस्थिगत् पाप भी समाप्त होते हैं।
  • गाय के घी से किया गया होम याजक को  पुचुर धन-धान्य प्राप्त कराता है।
  • गाय के निमित्त किया गया दान पुण्य समस्त कामनाओं को पूर्ण कराता है तथा विघ्नों का वारण करता है।
Process

गोवत्स द्वादशी में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प  
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन वरुणादि 
  5. देवताओं का पूजन 
  6.  ब्राह्मण वरण सङ्कल्प
  7. गो प्रोक्षण
  8. गो सर्वाङ्ग में देवताओं का ध्यान एवं सर्वविध पूजन
  9. शृङ्गभूषार्थं स्वर्णशृङ्गम् 
  10.  चरणभूषणार्थं रजतखुर
  11.  गलभूषार्थं घटा, 
  12.  दोहनार्थं कांस्य पात्रम्
  13.  सर्वालङ्कारार्थं यथाशक्ति द्रव्यं 
  14.  गोपुच्छ तर्पण
  15.  गोदान सङ्कल्प 
  16.  प्रतिष्ठा सङ्कल्प
  17.  वत्स सहित गाय की चार  प्रदक्षिणा
  18.  गौ अभिवादन
  19.  गाय के दक्षिण कान में मन्त्रपाठ
  20.  गोपुच्छ के जल से अभिषेक
  21.  रक्षासूत्र बन्धन
  22.  तिलक करण परस्पर
  23.  ब्राह्मणद्वारा आशीर्वाद 
  24.  विनियोग एवं अर्ध्य प्रदान  सूर्यनारायण को 
  25. आरती, प्रसाद ग्रहण 
  26. क्षमा प्रार्थना
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  1. रोली, कलावा    
  2. सिन्दूर, लवङ्ग 
  3. इलाइची, सुपारी 
  4. हल्दी, अबीर 
  5. गुलाल, अभ्रक 
  6. गङ्गाजल, गुलाबजल 
  7. इत्र, शहद 
  8. धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  9. यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  10. देशी घी, कपूर 
  11. माचिस, जौ 
  12. दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  13. सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  14. अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  15. चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  16. सप्तमृत्तिका 
  17. सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  18. पञ्चरत्न, मिश्री 
  19. पीला कपड़ा सूती

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  1. वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  2. गाय का दूध - 100ML
  3. दही - 50ML
  4. मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  5. फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  6. दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  7. पान का पत्ता - 07
  8. पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  9. पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  10. आम का पल्लव - 2
  11. विल्वपत्र - 21
  12. तुलसी पत्र -7
  13. शमी पत्र एवं पुष्प 
  14. थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  15. अखण्ड दीपक -1
  16. देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  17. बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  18. गोदुग्ध,गोदधि
  19. पानी वाला नारियल,
  20. तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

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