हरितालिका व्रत

हरितालिका व्रत

व्रतोत्सव त्यौहार | Duration : 4 Hours
Price Range: 5100 to 8100

About Puja

सनातन धर्म में प्रत्येक दिन त्यौहार के नाम से जाना जाता है।  हिंदू पद्धति के उपासक इन त्योहारों को बड़े हर्षोल्लास एवं भक्तिभाव के साथ मनाते हैं इन्हीं में से एक व्रत है हरतालिका व्रत जिसके बारे में  भविष्योत्तरपुराण में वर्णन किया गया है, जो कि भाद्रपद मास में शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को सम्पन्न की जाती है, हरतालिका अथवा तीज के नाम से जाना जाता है।
इस व्रत के द्वारा भगवती (पार्वती) की कृपा प्राप्त होती है। महिलायें तथा कुंवारी कन्यायें इस व्रत को  करती हैं, सर्वोत्तम पति प्राप्ति की इच्छा से कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत अमोघ है, जो महिलायें इस व्रत को करती  हैं वे माँ भगवती (पावती) के समान सुखपूर्वक  दाम्पत्य जीवन का निर्वहन करती हैं।
इस दिन माता पार्वती के साथ भगवान् शङ्कर की भक्तियुक्त होकर  पूजन, आराधन करने से समस्त भौतिक पदार्थों की प्राप्ति के साथ ही सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

Benefits

हरितालिका व्रत करने का माहात्म्य :-

  • इस व्रत को करने से  भगवान् शिव तथा माता गौरी प्रसन्न होते हैं, तथा अपने भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
  • इस  व्रत के प्रभाव से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
  • वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही स्त्रियों की कामना पूर्ति में सहायता प्रदान करता है।
  • भगवान् शिव एवं माता पार्वती सौभाग्य (सुहाग) की  सुरक्षा करते हैं।
  • वैवाहिक  जीवन सुखमय रहता है तथा परस्पर एक दूसरे से प्रेम बना रहता है।
  • विवाह में आ रही समस्त बाधाओं की निवृत्ति होती है।


 

Process

हरितालिका व्रत में  होने वाले प्रयोग या विधि :-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 07
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  • थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि
  • पानी वाला नारियल,
  • तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  

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