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इन्द्रसूक्त पाठ एवं हवन

सूक्त पाठ एवं हवन | Duration : 4 Hours
Price : 11000
About Puja

       इन्द्र सूक्त के ऋषि अप्रतिरथ है, देवता इन्द्र तथा छन्द त्रिष्टुप है। वेद के प्रमुख देवताओं में इन्द्र का महत्वपूर्ण स्थान है। अन्य देवों की अपेक्षा इन्द्र का विशद् वर्णन किया गया है। इन्द्र का स्वरूप स्वर्णिम तथा अरुणवत् है। अत्यन्त कमनीय को धारण करने वाले ये देव हैं। इसी कारण इनको हिरण्य भी कहा जाता है। इन्द्र को देवराज के रूप में जाना जाता है। 
संस्कृत वाङ्मय में मघवा, विडोजा, पाकशासन , शचीपति , शक्र, देवराज आदि अनेक नाम हैं। इसके साथ ही वैदिक वाङ्‌मय में इन्द्रपद का प्रयोग परमात्मा के लिए भी किया गया है। 

Benefits

इन्द्रसूक्त  पाठ एवं हवन का माहात्म्य:-

  •   इन्द्र सूक्त के पाठ पारायण से मन में प्रसन्नता का सञ्चार एवं इन्द्रियों में सात्विक भाव जागृत हो जाता है। 
  • यह  इन्द्रसूक्त  शत्रुओं के चित्त को मोहित कर देता है, तथा शत्रु विषम परिस्थिति में भटक जाता है। 
  •  देवराज इन्द्रसूक्त विजय प्राप्त कराने वाला सूक्त है।
  •  समस्त कामनाओं की वृष्टि(वर्षा) करने वाले एक मात्र देव हैं।
  •  इस सूक्त पाठ से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
  • प्रबल शत्रु भी इन्द्र सूक्त का पाठ कराने वाले के समक्ष नतमस्तक हो जाते हैं।
  •  निशाचरी (राक्षसी) पीड़ा को भी विनाश करने वाले ये अद्भुत देव हैं।
  • इन्द्र सूक्त की आराधना से साधक तेजस्वी एवं शक्तिशाली होता है
  •  इन्द्र देव की कृपा प्राप्त होने पर अन्य देवों की कृपा सहज रूप से प्राप्त हो जाती है।
  • शत्रुओं का मान मर्दन करने वाले इंद्र देव की कृपा प्राप्त होने पर अवरुद्ध (रुका हुआ) कार्य भी यथाशीघ्र संपन्न हो जाता है।
  • शत्रु तामस अहंकार से ग्रस्त होकर शोकाकुल हो जाते हैं तथा शत्रु के ऊपर किया गया प्रहार सफल होता है।
  •  सेवक गण , स्वामी भक्तपरायण बन जाते हैं, प्रबल शत्रु भी  किंकर्तव्यविमूढ़ होकर स्वत: नष्ट हो जाते हैं।
  • इन्द्र सूक्त का पारायण साधक के लिए कवच का कार्य करता है, तथा अकाल मृत्यु की बाधा भी दूर होती है।
  • इन्द्र सूक्त का समाराधन प्रायश: शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए ही किया जाता है।
Process

इन्द्रसूक्त  पाठ एवं हवन में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पंचभूसंस्कार
  16. अग्नि स्थापन
  17. ब्रह्मा वरण 
  18. कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति
  21. मूलमन्त्र आहुति 
  22.  चरुहोम
  23. भूरादि नौ आहुति
  24.  स्विष्टकृत आहुति
  25. पवित्रप्रतिपत्ति
  26. संस्रवप्राशन 
  27. मार्जन
  28. पूर्णपात्र दान
  29. प्रणीता विमोक
  30. मार्जन 
  31. बर्हिहोम 
  32. पूर्णाहुति, आरती, भोग, विसर्जन  आदि
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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