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नारायणाथर्वशीर्षम्

पंचदेव अथर्वशीर्षम् | Duration : 4 Hours
Price : 12000
About Puja

    नर शब्द जीव का वाचक है, नार= जीवों के समूह और उन जीवों का अयन (आश्रय) परमेश्वर हैं, अतः परब्रह्म परमात्मा को नारायण कहा जाता है। नारायण ही इस समस्त सृष्टि के उद्भव, स्थिति एवं प्रलय के कारण हैं। मुख्य रूप से भगवान् नारायण सत्वगुण के योग से विश्व का पालन करते हैं ।समस्त अभीष्ट की सिद्धि नारायण  अथर्वशीर्ष से होती है । कर्मफल के दाता भगवान् नारायण ही हैं नारायण की भक्ति से महालक्ष्मी अत्यन्त प्रसन्न होती हैं एवं धनधान्य से पूर्ण करती है।शाश्वत शान्ति एवं विघ्नों का विनाश नारायण अथर्वशीर्ष से होता है।

Benefits

नारायणाथर्वशीर्ष का पाठ माहात्म्य:-

  • इस वैदिक पाठ से समग्र अशुभ वासनाओं की निवृत्ति के साथ शुभ योग का आगमन होता है।
  • ब्रह्महत्या,सुरापान, चौरकार्य, ज्येष्ठ जनों से अनुचित व्यवहार एवं दुर्गुण जनों के संसर्ग से किया हुआ अपराध ,इन सभी पापों का  इस पाठ के प्रभाव से मुक्ति होती है।
  • समस्त वैदिक वाङ्गमय के अर्थात् वेद पारायण का फल प्राप्त होता है।
  • .नारायण नाम उच्चारण मात्र से अजामिल को यमदूतों से रक्षा तथा नारायण के प्रभाव से इन्द्र की रक्षा हुई जो भागवत महापुराण में उद्धृत है।
  • नारायण की आराधना से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है तथा लक्ष्मी जी अत्यंत हर्षित होकर उसके समस्त वाञ्छित मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
Process

नारायणाथर्वशीर्षम् में होने वाले प्रयोग या विधि-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल , वास्तु पुरुष आवाहन एवं , पूजन 
  13. रक्षाविधान , 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग ,करन्यास , हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम् , स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार , अग्नि स्थापन , ब्रह्मा वरण , कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति , मूलमन्त्र आहुति , चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति , पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राशन , मार्जन , पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक , मार्जन , बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति , आरती , विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा , धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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