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सूर्याथर्वशीर्षम्

पंचदेव अथर्वशीर्षम् | Duration : 4 Hours
Price : 12000
About Puja

  भगवान् सूर्य को वेदों में चराचर जगत् का आत्मा कहा गया है।  "सूर्यआत्माजगतस्तथुषश्च"  पौराणिक साहित्य में भगवान् भुवन भास्कर सूर्यनारायण को आरोग्य प्रदान कराने वाला परम देवता माना गया है।  "आरोग्यं भास्करादिच्छेत्" असाध्य रोगों की निवृत्ति सूर्याथर्वणसूक्त के विधि विधान से यजन,पाठ,पूजन एवं आराधन , वैदिक परम्परानुसार कराने या करने से होती है। नेत्ररोग निवारण के लिए सूर्यअथर्वणसूक्त परम उपादेय एवं लाभकारी है ।भगवान् सूर्य त्रिभुवन के स्वामी हैं, उनकी उपासना से पाप, ताप तथा संताप दूर होता है।  यमराज भी भगवान् सूर्य के ही पुत्र हैं, सूर्योपासना से यमलोक (नरक ) की यातना भी सहने का अवसर नहीं आता है।

Benefits

सूर्याथर्वणशीर्ष का पाठ माहात्म्य:-

  •  इस सूक्त पाठ से अनेक लौकिक तथा पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • इस जन्म या पूर्व जन्मों में ज्ञात अज्ञात बस किए गए पापों का परिमार्जन होता है।
  • महापातकों से मुक्ति होती है।
  • आधि ,व्याधि आदि महादु:खों के भय से मुक्त होता है।
  • जीवन में दरिद्रता नष्ट होती है।
  • यह शीर्ष जगत् के भौतिक अंधकार एवं हृदय के अज्ञानान्धकार का हरण करता हैं।
  • इसके पाठ से दुष्टप्रवृत्तियों का शमन होता है।
  • दुखों एवं क्लेशों का नाश होता है। 
  • सूर्य अथर्वण के पाठ से आयु की वृद्धि होती है।
  • विशेषत: इन मंत्रों से सूर्योपासना कराने से पीलिया रोग और ह्रदय रोग दूर होता है।
  • दु:स्वप्नों का नाश होता है।
Process

सूर्याथर्वशीर्षम्  में होने वाले प्रयोग या विधि:-

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान,
  14. प्रधान देवता पूजन
  15.  पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री:-

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2 , कटोरी - 5 ,लोटा - 2 , चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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