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गणपत्यथर्वशीर्षम्

पंचदेव अथर्वशीर्षम् | Duration : 4 Hours
Price : 12000
About Puja

   गणपति स्तवन प्राय: समस्त मांगलिक कार्यों में सर्वप्रथम करने का विधान है। गणपति पूजन से कार्य निर्विघ्नता से संपन्न होता है । भगवान्  गणेश विघ्नहरण और मंगलकरण के रूप में धर्मशास्त्रों, वैदिक वाङ्मयों एवं पुराणों में प्रसिद्ध  हैं। समस्त गणों के ईश अर्थात् ईश्वर होने के कारण इनको गणेश या गणपति कहते हैं। समस्त शास्त्रीय कार्यों को निर्विघ्नतया पूर्ण करने के लिए  भगवान् गणपति का प्रथम पूजन, अर्चन एवं वन्दन करने का विधान है। भगवान्  गणपति की प्रसन्नता में आठों सिद्धियों एवं नवों निधिओं का आश्रय है। समस्त देवों के वन्दनीय, अनन्त शुभ गुणों से युक्त एवं दुःखों का हरण करने वाले तथा अनन्त सुखों के दाता हैं। भगवान्  गजानन की ही उपासना से विद्या, विनय, वैभव और बुद्धि की प्राप्ति होती है।

Benefits

गणपत्यथर्वशीर्ष पाठ का माहात्म्य :-

  • गणपत्यथर्वशीर्ष के मंत्रों  द्वारा जो गणेश जी का अभिषेक करता है वह वाग्मी (वक्ता) होता है।
  • इस गणपत्यथर्वशीर्ष के पाठ कर्ता और पाठ कराने वाला समस्त विघ्न बाधाओं और महापातकों  से मुक्त होता है।
  •  धर्म ,अर्थ ,काम एवं मोक्ष के साथ वह षट्सम्पत्ति का अधिकारी हो जाता है।
  • इस सूक्त में सर्वविध रक्षा के लिए  भगवान् गजानन से प्रार्थना किया गया है।
  • दूर्वादल से जो पूजन करता है वह कुबेर सदृश्य धनवान् होता है।
  • लाजा( धान का लावा )द्वारा जो यजन करता है, वह यशस्वी और मेधावान् होता है।
  • मोदकों ( लड्डू ) द्वारा जो यजन करता है, वह मनोवांछित फल प्राप्त करता है।
  • घृतयुक्त समिधा से जो हवन करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है।
Process

गणपत्यथर्वशीर्षम् में  होने वाले प्रयोग या विधि

  1. स्वस्तिवाचन एवं शान्तिपाठ
  2. प्रतिज्ञा-सङ्कल्प
  3. गणपति गौरी पूजन
  4. कलश स्थापन एवं वरुणादि देवताओं का पूजन
  5. पुण्याहवाचन एवं मन्त्रोच्चारण अभिषेक
  6. षोडशमातृका पूजन
  7. सप्तघृतमातृका पूजन
  8. आयुष्यमन्त्रपाठ
  9. सांकल्पिक नान्दीमुखश्राद्ध (आभ्युदयिकश्राद्ध)
  10. नवग्रह मण्डल पूजन
  11. अधिदेवता, प्रत्यधिदेवता आवाहन एवं पूजन
  12. पञ्चलोकपाल,दशदिक्पाल, वास्तु पुरुष आवाहन एवं पूजन 
  13. रक्षाविधान, 
  14. प्रधान देवता पूजन
  15. पाठ विधान
  16. विनियोग,करन्यास, हृदयादिन्यास
  17. ध्यानम्, स्तोत्र पाठ
  18. पंचभूसंस्कार, अग्नि स्थापन, ब्रह्मा वरण, कुशकण्डिका
  19. आधार-आज्यभागसंज्ञक हवन
  20. घृताहुति, मूलमन्त्र आहुति, चरुहोम
  21. भूरादि नौ आहुति स्विष्टकृत आहुति, पवित्रप्रतिपत्ति
  22. संस्रवप्राश , मार्जन, पूर्णपात्र दान
  23. प्रणीता विमोक, मार्जन, बर्हिहोम 
  24. पूर्णाहुति, आरती, विसर्जन
Puja Samagri

 वैकुण्ठ के द्वारा दी जाने वाली पूजन  सामग्री

  • रोली, कलावा    
  • सिन्दूर, लवङ्ग 
  • इलाइची, सुपारी 
  • हल्दी, अबीर 
  • गुलाल, अभ्रक 
  • गङ्गाजल, गुलाबजल 
  • इत्र, शहद 
  • धूपबत्ती,रुईबत्ती, रुई 
  • यज्ञोपवीत, पीला सरसों 
  • देशी घी, कपूर 
  • माचिस, जौ 
  • दोना बड़ा साइज,पञ्चमेवा 
  • सफेद चन्दन, लाल चन्दन 
  • अष्टगन्ध चन्दन, गरी गोला 
  • चावल(छोटा वाला), दीपक मिट्टी का 
  • पानी वाला नारियल, सप्तमृत्तिका 
  • सप्तधान्य, सर्वोषधि 
  • पञ्चरत्न, मिश्री 
  • पीला कपड़ा सूती, तांबा या पीतल का कलश ढक्कन सहित  
  • पंचगव्य गोघृत, गोमूत्र

हवन सामग्री एवं यज्ञपात्र :-

  • काला तिल 
  • जौ,चावल 
  •  कमलगट्टा, पंचमेवा 
  •  हवन सामग्री, घी,गुग्गुल
  • गुड़ (बूरा या शक्कर) ,गड़ी गोला 
  •  पान पत्ता, बलिदान हेतु पापड़
  • काला उडद 
  • पूर्णपात्र -कटोरी या भगोनी
  • प्रोक्षणी, प्रणीता, स्रुवा, शुचि, स्फय - एक सेट
  • हवन कुण्ड ताम्र का 10/10  इंच या 12/12 इंच 
  • कलश रखने के लिए मिट्टी का पात्र
  •  पिसा हुआ चन्दन 
  • नवग्रह समिधा
  •  हवन समिधा 
  •  घृत पात्र
  • कुशा
  • पंच पात्र

यजमान के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था:-

  • वेदी निर्माण के लिए चौकी 2/2 का - 1
  • गाय का दूध - 100ML
  • दही - 50ML
  • मिष्ठान्न आवश्यकतानुसार 
  • फल विभिन्न प्रकार ( आवश्यकतानुसार )
  • दूर्वादल (घास ) - 1मुठ 
  • पान का पत्ता - 11
  • पुष्प विभिन्न प्रकार - 2 kg
  • पुष्पमाला - 7 ( विभिन्न प्रकार का)
  • आम का पल्लव - 2
  • विल्वपत्र - 21
  • तुलसी पत्र -7
  • शमी पत्र एवं पुष्प 
  •  थाली - 2, कटोरी - 5, लोटा - 2, चम्मच - 2 आदि 
  • अखण्ड दीपक -1
  • देवताओं के लिए वस्त्र -  गमछा, धोती  आदि 
  • बैठने हेतु दरी,चादर,आसन 
  • गोदुग्ध,गोदधि,गोबर

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